सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थी।.....दूसरे पिछली रात का जागरण और दिन भर की भागदौड़....वो काफी थक चुका था। इसलिये शरीर को थोड़ा आराम देने की सख्त जरूरत थी "और फिर क्या पता, कोई अपराध घटित न हो जाए।....जी हां, वो इस केस में अब तक जितना समझ पाया था, उसके मन में अंदेशा तो पनप ही चुका था।
खैर!....जो भी होगा, देखा जाएगा। इस प्रकार से सोचकर सलिल रोमील के साथ पुलिस स्टेशन से बाहर निकला। अभी ड्राइविंग शीट रोमील ने संभाल रखी थी। इसके बाद वे दोनों लक्खी पाजी के ढाबे पर पहुंचे और वहां उन्होंने छककर भोजन किया।.....इसके बाद उनकी स्काँरपियों दिल्ली की सड़क पर निकल पड़ी। ड्राइव कर रहे रोमील ने इस दरमियान सलिल से बात करने की कोशिश की, परन्तु सलिल शायद बात करने के मुड में ही नहीं था, इसलिये उसने किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं दी। ऐसे में स्काँरपियों के अंदर पूर्ण शांति पसर गई। ऐसी शांति कि सुई भी गिरे, तो तेज धमाके की आवाज हो।
परन्तु कब तक? इस शांति को कब तक स्थाई रहना था? अचानक ही सलिल ने अपने कलाईं घड़ी को देखा, जो रात के साढे़ नौ बजने की सूचना दे रही थी और अभी वो अपनी कलाईं से नजर हटा भी नहीं पाया था कि उसके मोबाइल ने वीप दी। रात के इस समय फोन, "सहज ही फोन काँल ने उसके दिल की धड़कन को बढा दिया"। कल की घटना ने उसके दिलो-दिमाग पर गजब का असर किया था, ऐसे में फोन की घंटी," जरूर कोई अमंगल समाचार होगा"। परन्तु फोन काँल आया था, तो उठाना तो था ही। इसलिये सलिल ने अपने अंदर हिम्मत को जुटाया और "काँल" उठा लिया।
उधर मृणालिका होटल के रिसेप्सन से लाइन थी, इसलिये सलिल के पुछने पर सीधा ही होटल में घटित घटना के बारे में बतलाया गया।....फोन पर कही बातें जैसे ही उसके कान में पड़ी, सलिल शीट पर उछल पड़ा। उफ! उसको क्या हो गया है? उसने अभी-अभी तो अपराध के बारे में सोचा था और अपराध घटित भी हो गया। कहीं यह संयोग तो नहीं है?....नहीं-नहीं, यह संयोग तो नहीं हो सकता, हां इसे अपराधी का प्रयोग जरूर कह सकते है। सोचते हुए सलिल खुद को शांत करने की कोशिश करने लगा। वैसे भी थकावट ने उसका बुरा हाल कर दिया था, उसपर से घटित ये घटना। उधर कार ड्राइव कर रहे रोमील ने जब सलिल को उछलते देखा, पहले तो चौंका, फिर समझ गया कि "जरूर कोई अनहोनी घटित हुई है, अन्यथा बाँस ऐसी हरकत नहीं करते।
रोमील सोच ही रहा था कि सलिल ने अपने-आप को संभाल लिया और फिर रोमील को आदेश दिया कि स्काँरपियों "होटल मृणालिका" की ओर लेकर चले। बाँस का आदेश, तत्परता पूर्वक रोमील ने पालन किया और स्काँरपियों को "होटल मृणालिका" की ओर घुमा दिया। जबकि सलिल ने इस दरमियान फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट एवं डाँग स्क्वायड को फोन लगा कर घटना के बारे में बतलाया। साथ ही निर्देशित करने लगा कि उन लोगों को वहां पहुंच कर क्या करना है। इसके बाद उसने पुलिस स्टेशन फोन लगाकर इस घटना के बारे में सूचना दी। फिर फोन साइड में रखकर उसने सिर को शीट से टिकाकर आँखें बंद कर ली और शांत चित होकर इस घटना के बारे में सोचने लगा।
वैसे भी इस घटना ने सलिल को अंदर से आंदोलित कर दिया था। उसपर उलझन ये कि उसने जो वीडियो क्लीप देखा था।....आखिर मामला क्या है?..... समझ में आ जाए, तो आधा केस तभी साँल्व हो जाए। परन्तु समझ आए तो कैसे? शब्द ही इतना उलझा हुआ और असभ्य था कि किसी के सामने कहने में भी शर्मिंदगी महसूस हो।....."रति संवाद" शायद कोर्ड वर्ड था इस अपराध का और अपराधी भी शातिर ही होगा, अन्यथा ऐसे शब्द प्रयोग करने के लिए कुशाग्र बुद्धि चाहिए।...... खैर जो भी हो! परन्तु इस "रति संवाद" का मतलब क्या हो सकता है? सलिल सोच रहा था, दिमाग पर जोड़ दे रहा था और वो जितनी कोशिश कर रहा था, उसकी उलझन भी उतनी ही बढती जा रही थी।
बीतते समय के साथ ही सलिल के उलझन की रफ्तार भी बढती जा रही थी।....जबकि रोमील ने भी कार की रफ्तार बढा दी थी। ठीक रात के दस बजे उनकी स्काँरपियों "होटल मृणालिका" के कंपाऊंड में पहुंच चुकी थी। कार के खड़ी होते ही सलिल एवं रोमील तेजी से बाहर निकले और होटल के अंदर बढ गए। अंदर हाँल में सन्नाटा था, जबकि उस रूम में, जिस रूम में वारदात हुई थी, पुलिस का दस्ता पहुंच चुका था।.....फिर तो सलिल व रोमील भी तेज कदमों से चलते हुए उस रूम में पहुंचे। वहां पहुंच कर सलिल ने देखा कि जयकांत बात्रा अपने काम में जुटा हुआ था, जबकि गेट के पास सिपाहियों की फौज अलर्ट मोड में खड़ी थी।
वहां की स्थिति देखने के बाद सलिल के चेहरे पर संतुष्टि के भाव उभड़ा। वो जानता था कि सिपाहियों की मुस्तैदी के कारण मीडिया बाले अंदर नहीं आ सकते थे। इसलिये चलता हुआ वो "नंदिनी" के डेड बाँडी के पास पहुंच गया और उसके करीब घुटनों के बल बैठकर लाश का अवलोकन करने लगा। सेम वही परिस्थिति, जिस परिस्थिति में नंदा की हत्या हुई थी। पेट में कांच का टुकड़ा धंसा होना और चेहरे पर असह्य पीड़ा के चिन्ह। जब वो वहां से उठकर प्रभास के पास पहुंचा, पहले से ही अक्रांत प्रभास ने वहां घटित होने बाली घटना को सिलसिलेवार बतलाने लगा।.....परन्तु उसके बयान में कुछ नया नहीं होने के कारण सलिल वहां से भी उठकर खड़ा हो गया।
फिर वो आगे बढा, होटल बिल्डिंग की तलाशी के लिए। हलांकि वो जानता था कि उसे कुछ भी हासिल नहीं होने बाला है,....फिर भी कहीं हत्यारे ने कोई गलती कर दी हो। बस वही एक गलती की उसे तलाश थी, इसलिये उसने होटल के विशाल बिल्डिंग की पूरे एक चक्कर लगा लिए,....परन्तु उसके हाथ निराशा ही आई। इसलिये वो वापस उसी रूम में वापस लौट आया, जिसमें वारदात हुई थी। जिसके बाद उसने रोमील को लिया और सी. सी. टीवी रूम में बढा। वहां पहुँचने पर वहां के मौजूद स्टाफ ने उन्हें उस रूम की वीडियो प्ले करके दिखा दी।.... सेम वही परिस्थिति, "नंदिनी का नि:वस्त्र होना और इसके बाद लाइट जलने-बुझने लगना"।.... इसके बाद गुंजता हुआ "रति संवाद-रति संवाद" का स्वर और फिर ड्रेसिंग टेबुल का शीशा टूटना। इसके बाद तो नंदिनी भी नंदा की तरह तड़पने लगी और आखिर में उसने सांस तोड़ दी और लाश में तबदील हो गई।
वीडियो देखने के बाद एकबारगी तो सलिल को मन ही मन बहुत गुस्सा आया, "इस होटल मैनेजमैंट एवं वहां मौजूद स्टाफ पर, जो किसी के अंतरंग पल के वीडियो बनाते है। यह कानूनन जुर्म है और पोर्नोग्राफी के कटेगरी में आता है। परन्तु इस कारण से ही उसे इस केस में महत्वपूर्ण क्लू मिला था। सजा तो जरूर इन होटल के मैनेजमैंट और यहां के स्टाफ को मिलेगा,.... परन्तु अभी नहीं। सोचने के बाद सलिल ने उस वीडियो को अपने मोबाइल में एसेस किया और फिर वहां के स्टाफ को बाहर निकाल कर उस रूम को लाँक करवा दिया। फिर रोमील के साथ वारदात बाले रूम में लौट आया।
तब तक जयकांत बात्रा ने अपने काम निपटा लिए थे और लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। ऐसे में सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि होटल के मैनेजर एवं प्रभास को गिरफ्तार कर ले। फिर वो बाहर की तरफ निकला, परन्तु होटल के गेट पर उसे मीडिया बाले मिल गए।.....कहते है न कि "दूध का जला छाछ भी फुक-फुक कर पीता है"। ऐसे ही सलिल भी सावधान हो गया, उसने मीडिया बालों के अधिकांश प्रश्नों को टालने की कोशिश की, नहीं तो गोल-मटोल जबाव दिया। फिर मीडिया बालों से अपना पिंड छुड़ाकर होटल बिल्डिंग से बाहर निकला और अपने स्काँरपियों की तरफ बढा।
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क्रमशः-