रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही थी। हां, इतना जरूर था कि सलिल सोफे पर ही बेसुध होकर सोया हुआ था, दिन-दुनिया से बेखबर होकर और ऐसा होना भी अतिशयोक्ति नहीं था। लगातार तीन दिन की मेहनत और दो रातों का जागरण, उसे तो ऐसा सोना ही चाहिए था।.....उसपर भी दारु ने उसपर असर किया और दिमाग को रीलिफ पहुंचते ही वो सो गया।
सोते समय खूंखार स्वभाव का सलिल मासूम लग रहा था।....परन्तु पता नहीं कि उसके नसीब में कितने समय चैन की निंद लिखी थी,.....क्योंकि दुर्घटना घटित होने में समय नहीं लगता और वैसे भी इस समय शहर में "सीरियल मर्डर कांड" का सिलसिला चल रहा था। समय बीतता जा रहा था, तभी अंदर "बेडरूम" से रोमील उठकर आया। इस समय उसकी आँखें लाल-लाल अलसाई हुई थी। लगता था कि अचानक ही उसकी आँख खुली थी और टीवी की आवाज सुनने पर वह हाँल में आया था। हां, टीवी के आवाज के कारण ही वो जगकर हाँल में आया था.....इसलिये ही तो आते ही उसने हाँल में देखा, फिर टीवी को बंद किया।
अब वो क्या करें? प्रश्न सहज ही उसके दिमाग में कौंधा। वैसे भी चार घंटे चैन की निंद ले- लेने के कारण उसकी निंद पूरी हो चुकी थी। अतएव उसने एक बार सलिल को देखा और फिर किचन की ओर बढ गया और जब लौटा, हाथ में काँफी का मग लिए था। फिर खाली सोफे पर बैठकर काँफी की चुस्की लेने लगा, साथ ही सोचने लगा। हाश! आज तो शांति से बीते, नहीं तो फिर से वही भागदौड़। इतनी बातें दिमाग में आते ही सहसा उसने कलाईं घड़ी पर नजर डाली और....दिमाग में घंटी बजी। उफ! टेंशन का भार कितना अजीब और भयावह होता है, यह तो जिसपर बीतता है,....वही बतला सकता है।
काश कि आज की रात शांति से गुजरे। वैसे तो "अपराध " घटित होने का समय हो चुका था। यानी कि रात के नौ बजकर दस मिनट हो चुके थे और अब कभी भी फोन आ सकता था। काँफी पीते हुए रोमील के अंतर्मन से आवाज आई, "हे भगवान" आज का दिन तो मंगलमय तरीके से बीतने दो। परन्तु रोमील कहां जानता था कि उसके द्वारा किया हुआ प्रार्थना, सिर्फ मन की संतुष्टि के लिए है,.....क्योंकि जो घटित होना होता है, "घटित होकर ही रहता है" । तभी तो टेबुल पर रखे सलिल की मोबाइल ने वीप दी। सलिल तो बेसुध सोया हुआ था, इसलिये रोमील ने ही काँल रीसिव की और उधर से जो कहा गया। रोमील सोफे पर उछल पड़ा, उसके हाथ कांपे और काँफी का कप छूटते-छूटते बचा।
उधर से जानकारी ही ऐसी दी गई थी। उसने तो सिर्फ इतना ही सुना था कि "होटल सन्याल" में इस समय खूबसूरत लड़की की हत्या हो गई है और उसके होश फाख्ता हो गए थे। इसके बाद तो काँल कट जाने के बाद भी मिनटों तक बुत बना रहा और जब होश में आया। दिमाग में यही सवाल आया कि बाँस को जगाए कैसे? परन्तु जगाना तो था ही, इसलिये उसने हिम्मत जुटाई और सलिल को जगा दिया। "कच्ची" निंद से जगने के कारण सलिल झल्ला कर उसे डपटने बाला ही था कि उसने बतला दी कि "होटल सन्याल" में वारदात घटित हो चुका है। बस इतनी सी बात और सलिल के भी होश फाख्ता हो गए। क्रोध तो कहां गया पता नहीं, सोच में भँवें सिकुड़ने लग गई।
बात गंभीर था, इसलिये फोन लगाकर उसने पुलिस स्टेशन में जानकारी दी,....फिर बाँस "मृदुल" शाहा को फोन लगा दिया। इसके बाद वो रुका नहीं, तेजी से उठा और बाहर की ओर लपका। फिर क्या था, रोमील ने भी उसका अनुसरण किया और दो मिनट बाद ही दोनों स्काँरपियों में थे और कार सरपट सड़क को रौंदती जा रही थी। परन्तु विचार" जो कि सलिल के दिमाग में हिलोरे ले रहे थे, उससे वह किस प्रकार से बचता। उसके बाँस ने तो तत्काल राहत के लिए इस केस में तांत्रिक "भूत नाथ" की एंट्री करवा दी थी। परन्तु उसे पता था कि अब क्या होने बाला है। अब मीडिया के उलझे हुए सवालों से खुद को बचाना और जनता के विश्वास को कायम रखना, कितना दुष्कर होगा, यह तो उसकी अंतरात्मा ही बतला सकती थी। इसलिये आने बाले समय से "फाईट करने" के लिए वो खुद को तैयार कर रहा था।
सर!.....इस परिस्थिति में अब हम लोग किस प्रकार से आगे कदम बढाएंगे? सलिल सोच ही रहा था, तभी ड्राइव करते हुए रोमील ने उसकी ओर "प्रश्न के बम" को छोड़ा। जिससे उसका मन आहत हुआ, उसकी इच्छा हुई कि अभी रोमील को "डाँट की घुट्टी" पिला दे। परन्तु नहीं, ऐसा करना ठीक नहीं होगा, सोचकर सलिल ने खुद को नियंत्रित किया और संयमित होकर बोला।
रोमील!.....अभी तो फिलहाल हम लोग घटना स्थल पर चलते है। वहां पर चलकर देखते है कि परिस्थिति किस प्रकार की है, उसके अनुसार ही फिर कार्रवाई करेंगे। सलिल ने कहा और फिर उसने चुप्पी साध ली। ऐसे में बात खतम हुआ ही समझो, फिर तो रोमील की हिम्मत ही नहीं हुई कि बात आगे बढाए।
इसके बाद तो उसने ड्राइविंग पर ध्यान केंद्रित की। कार सरपट सड़क पर दौड़ती रही और पीछे ऊँची-ऊँची इमारत और दुकान छूटते रहे। फिर तो कार "होटल सन्याल" के प्रांगण में ही रुकी। कार से निकलते ही सलिल की नजर कंपाऊंड में खड़ी पुलिस की गाड़ियों पर गई और वो आश्वस्त हो गया। इसका मतलब था कि पुलिस टीम वहां पहुंच गई थी और उन्होंने कार्रवाई शुरु कर दी थी। फिर तो दोनों होटल बिल्डिंग की ओर बढे और आगे बढते हुए सलिल ने सरासरी निगाहें होटल बिल्डिंग पर डाली। बहुमंजिला इमारत, आर्टिटेक्ट की दृष्टि से बेहतर बनावट और विशाल क्षेत्रफल में फैला हुआ "भव्य होटल"।
वे दोनों चलते हुए उस रूम में पहुंचे, जहां वारदात घटित हुई थी। वहां पहुंचने पर सलिल ने देखा कि फिंगर एक्सपर्ट और डाँग स्क्वायड बाले अपने काम में जुटे हुए थे। इसके बाद सलिल की नजर रूम में लगी बेड पर गई, जिसपर सुन्दर सी दिखने बाली युवती मृत अवस्था में पड़ी हुई थी। उसकी फैली हुई आँखें आश्चर्य और वेदना की गवाही दे रही थी। सलिल ने देखा कि उसके वदन पर भी लेशमात्र कपड़े न थे। फिर भी उसकी अनुभवी आँखों ने अंदाजा लगा लिया कि "युवती" यही बीस वर्ष के करीब की होगी। इसके बाद सलिल ने रोमील को साथ लिया और "होटल" की तलाशी लेने के लिए उस रूम से बाहर निकला, क्योंकि वो जानता था कि यहां रुकने का कोई मतलब नहीं है। पुलिस बाले तो कार्रवाई कर ही रहे है, तबतक उसे होटल के एक चक्कर लगा लेने चाहिए।
इसके बाद सलिल और रोमील ने पूरे होटल को छान लिया, लेकिन उनके हाथ काम की चीज नहीं लगी। ऐसे में दोनों सी. सी. टीवी रूम में पहुंचे, वहां से डाटा एसेस किया और फिर वारदात बाले रूम में लौट आए। वहां आने पर पता चला कि उनकी टीम अपना काम खतम कर चुकी थी। अतः सलिल ने आदेश दिया कि "मृत बाँडी" को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया जाए। साथ ही उसकी नजर रूम के कोने में दुबके बैठे लड़के पर गई। जरूर यह लड़की का साथी होगा और यहां रात गुलजार करने आया होगा। सोचकर सलिल ने रोमील को आदेश दिया कि होटल के स्टाफ और इस लड़के को गिरफ्तार कर लो। आदेश मिलते ही रोमील वहां से चला गया, तब सलिल होटल के मुख्य गेट की ओर बढा। लेकिन हाँल में ही उसकी मुलाकात मीडिया बालों से हो गई। सलिल जानता था कि बिना मीडिया बालों के सवालों के जबाव दिए वह बच नहीं सकता। इसलिये वो मीडिया बालों को संतुष्ट करने की कोशिश करने लगा।
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क्रमश:-