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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

18 सितम्बर 2022

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही थी। हां, इतना जरूर था कि सलिल सोफे पर ही बेसुध होकर सोया हुआ था, दिन-दुनिया से बेखबर होकर और ऐसा होना भी अतिशयोक्ति नहीं था। लगातार तीन दिन की मेहनत और दो रातों का जागरण, उसे तो ऐसा सोना ही चाहिए था।.....उसपर भी दारु ने उसपर असर किया और दिमाग को रीलिफ पहुंचते ही वो सो गया।
                          सोते समय खूंखार स्वभाव का सलिल मासूम लग रहा था।....परन्तु पता नहीं कि उसके नसीब में कितने समय चैन की निंद लिखी थी,.....क्योंकि दुर्घटना घटित होने में समय नहीं लगता और वैसे भी इस समय शहर में "सीरियल मर्डर कांड" का सिलसिला चल रहा था। समय बीतता जा रहा था, तभी अंदर "बेडरूम" से रोमील उठकर आया। इस समय उसकी आँखें लाल-लाल अलसाई हुई थी। लगता था कि अचानक ही उसकी आँख खुली थी और टीवी की आवाज सुनने पर वह हाँल में आया था। हां, टीवी के आवाज के कारण ही वो जगकर हाँल में आया था.....इसलिये ही तो आते ही उसने हाँल में देखा, फिर टीवी को बंद किया।
                             अब वो क्या करें? प्रश्न सहज ही उसके दिमाग में कौंधा। वैसे भी चार घंटे चैन की निंद ले- लेने के कारण उसकी निंद पूरी हो चुकी थी। अतएव उसने एक बार सलिल को देखा और फिर किचन की ओर बढ गया और जब लौटा, हाथ में काँफी का मग लिए था। फिर खाली सोफे पर बैठकर काँफी की चुस्की लेने लगा, साथ ही सोचने लगा। हाश! आज तो शांति से बीते, नहीं तो फिर से वही भागदौड़। इतनी बातें दिमाग में आते ही सहसा उसने कलाईं घड़ी पर नजर डाली और....दिमाग में  घंटी बजी। उफ! टेंशन का भार कितना अजीब और भयावह होता है, यह तो जिसपर बीतता है,....वही बतला सकता है।
                      काश कि आज की रात शांति से गुजरे। वैसे तो "अपराध " घटित होने का समय हो चुका था। यानी कि रात के नौ बजकर दस मिनट हो चुके थे और अब कभी भी फोन आ सकता था। काँफी पीते हुए रोमील के अंतर्मन से आवाज आई, "हे भगवान" आज का दिन तो मंगलमय तरीके से बीतने दो। परन्तु रोमील कहां जानता था कि उसके द्वारा किया हुआ प्रार्थना, सिर्फ मन की संतुष्टि के लिए है,.....क्योंकि जो घटित होना होता है, "घटित होकर ही रहता है" । तभी तो टेबुल पर रखे  सलिल की मोबाइल ने वीप दी। सलिल तो बेसुध सोया हुआ था, इसलिये रोमील ने ही काँल रीसिव की और उधर से जो कहा गया। रोमील सोफे पर उछल पड़ा, उसके हाथ कांपे और काँफी का कप छूटते-छूटते बचा।
                           उधर से जानकारी ही ऐसी दी गई थी। उसने तो सिर्फ इतना ही सुना था कि "होटल सन्याल" में इस समय खूबसूरत लड़की की हत्या हो गई है और उसके होश फाख्ता हो गए थे। इसके बाद तो काँल कट जाने के बाद भी मिनटों तक बुत बना रहा और जब होश में आया। दिमाग में यही सवाल आया कि बाँस को जगाए कैसे? परन्तु जगाना तो था ही, इसलिये उसने हिम्मत जुटाई और सलिल को जगा दिया। "कच्ची" निंद से जगने के कारण सलिल झल्ला कर उसे डपटने बाला ही था कि उसने बतला दी कि "होटल सन्याल" में वारदात घटित हो चुका है। बस इतनी सी बात और सलिल के भी होश फाख्ता हो गए। क्रोध तो कहां गया पता नहीं, सोच में भँवें सिकुड़ने लग गई।
                       बात गंभीर था, इसलिये फोन लगाकर उसने पुलिस स्टेशन में जानकारी दी,....फिर बाँस "मृदुल" शाहा को फोन लगा दिया। इसके बाद वो रुका नहीं, तेजी से उठा और बाहर की ओर लपका। फिर क्या था, रोमील ने भी उसका अनुसरण किया और दो मिनट बाद ही दोनों स्काँरपियों में थे और कार सरपट सड़क को रौंदती जा रही थी। परन्तु विचार" जो कि सलिल के दिमाग में हिलोरे ले रहे थे, उससे वह किस प्रकार से बचता। उसके बाँस ने तो तत्काल राहत के लिए इस केस में तांत्रिक "भूत नाथ" की एंट्री करवा दी थी। परन्तु उसे पता था कि अब क्या होने बाला है। अब मीडिया के उलझे हुए सवालों से खुद को बचाना और जनता के विश्वास को कायम रखना, कितना दुष्कर होगा, यह तो उसकी अंतरात्मा ही बतला सकती थी। इसलिये आने बाले समय से "फाईट करने" के लिए वो खुद को तैयार कर रहा था।
सर!.....इस परिस्थिति में अब हम लोग किस प्रकार से आगे कदम बढाएंगे? सलिल सोच ही रहा था, तभी ड्राइव करते हुए रोमील ने उसकी ओर "प्रश्न के बम" को छोड़ा। जिससे उसका मन आहत हुआ, उसकी इच्छा हुई कि अभी रोमील को "डाँट की घुट्टी" पिला दे। परन्तु नहीं, ऐसा करना ठीक नहीं होगा, सोचकर सलिल ने खुद को नियंत्रित किया और संयमित होकर बोला।
रोमील!.....अभी तो फिलहाल हम लोग घटना स्थल पर चलते है। वहां पर चलकर देखते है कि परिस्थिति किस प्रकार की है, उसके अनुसार ही फिर कार्रवाई करेंगे। सलिल ने कहा और फिर उसने चुप्पी साध ली। ऐसे में बात खतम हुआ ही समझो, फिर तो रोमील की हिम्मत ही नहीं हुई कि बात आगे बढाए।
                            इसके बाद तो उसने ड्राइविंग पर ध्यान केंद्रित की। कार सरपट सड़क पर दौड़ती रही और पीछे ऊँची-ऊँची इमारत और दुकान छूटते रहे। फिर तो कार "होटल सन्याल" के प्रांगण में ही रुकी। कार से निकलते ही सलिल की नजर कंपाऊंड में खड़ी पुलिस की गाड़ियों पर गई और वो आश्वस्त हो गया। इसका मतलब था कि पुलिस टीम वहां पहुंच गई थी और उन्होंने कार्रवाई शुरु कर दी थी। फिर तो दोनों होटल बिल्डिंग की ओर बढे और आगे बढते हुए सलिल ने सरासरी निगाहें होटल बिल्डिंग पर डाली। बहुमंजिला इमारत, आर्टिटेक्ट की दृष्टि से बेहतर बनावट और विशाल क्षेत्रफल में फैला हुआ "भव्य होटल"।
                         वे दोनों चलते हुए उस रूम में पहुंचे, जहां वारदात घटित हुई थी। वहां पहुंचने पर सलिल ने देखा कि फिंगर एक्सपर्ट और डाँग स्क्वायड बाले अपने काम में जुटे हुए थे। इसके बाद सलिल की नजर रूम में लगी बेड पर गई, जिसपर सुन्दर सी दिखने बाली युवती मृत अवस्था में पड़ी हुई थी। उसकी फैली हुई आँखें आश्चर्य और वेदना की गवाही दे रही थी। सलिल ने देखा कि उसके वदन पर भी लेशमात्र कपड़े न थे। फिर भी उसकी अनुभवी आँखों ने अंदाजा लगा लिया कि "युवती" यही बीस वर्ष के करीब की होगी। इसके बाद सलिल ने रोमील को साथ लिया और "होटल" की तलाशी लेने के लिए उस रूम से बाहर निकला, क्योंकि वो जानता था कि यहां रुकने का कोई मतलब नहीं है। पुलिस बाले तो कार्रवाई कर ही रहे है, तबतक उसे होटल के एक चक्कर लगा लेने चाहिए।
                       इसके बाद सलिल और रोमील ने पूरे होटल को छान लिया, लेकिन उनके हाथ काम की चीज नहीं लगी। ऐसे में दोनों सी. सी. टीवी रूम में पहुंचे, वहां से डाटा एसेस किया और फिर वारदात बाले रूम में लौट आए। वहां आने पर पता चला कि उनकी टीम अपना काम खतम कर चुकी थी। अतः सलिल ने आदेश दिया कि "मृत बाँडी" को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया जाए। साथ ही उसकी नजर रूम के कोने में दुबके बैठे लड़के पर गई। जरूर यह लड़की का साथी होगा और यहां रात गुलजार करने आया होगा। सोचकर सलिल ने रोमील को आदेश दिया कि होटल के स्टाफ और इस लड़के को गिरफ्तार कर लो। आदेश मिलते ही रोमील वहां से चला गया, तब सलिल होटल के मुख्य गेट की ओर बढा। लेकिन हाँल में ही उसकी मुलाकात मीडिया बालों से हो गई। सलिल जानता था कि बिना मीडिया बालों के सवालों के जबाव दिए वह बच नहीं सकता। इसलिये वो मीडिया बालों को संतुष्ट करने की कोशिश करने लगा।
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क्रमश:-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022
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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

16 सितम्बर 2022
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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

16 सितम्बर 2022
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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

16 सितम्बर 2022
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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

16 सितम्बर 2022
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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

16 सितम्बर 2022
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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022
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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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