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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022

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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँलेज स्टुडेंट की भीड़ जमा होने लगी थी। साथ ही बने हुए स्टेज पर अभी इको साऊण्ड सिस्टम धीमी आवाज में बज रहा था।
                        जबकि स्टुडेंट की भीड़ बढने के साथ ही हाँल में शोर-शराबा बढ गया था। वैसे तो दिन के ग्यारह बज चुके थे और अब तक प्रोग्राम शुरु हो जाना चाहिए था।.....परन्तु मुख्य अतिथि राजीव सिंघला के अभी तक नहीं आने के कारण "कार्यक्रम" में विलंब था। लेकिन ऐसी स्थिति ज्यादा देर तक नहीं रही, क्योंकि तभी "बिल्डिंग" के बाहर गाड़ी आने का शोर उभड़ा। इसी के साथ "हाँल" में सीटी की आवाज गुंजने लगी, जो काँलेज के छात्र खुशी में बजा रहे थे।.....फिर तो "मुख्य अतिथि" के आ जाने से स्टेज पर प्रोग्राम संचालक ललित भंडारी आ गया।....."कुछ पल पहले तक मुरझाए हुए चेहरे पर अब हरियाली स्पष्ट दृष्टिगोचर होने लगी"। फिर तो उसके शब्दों में भी ताजगी आ गयी और गला खंखार कर उसने हाँल को संबोधित किया, जो "इको सिस्टम" के कारण हाँल में गुंजने लगा।
हाँल में मौजूद सभी मित्र बंधु.....आप लोगों के इंतजार का पल खतम हो चुका है,....क्योंकि अब चीफ गेस्ट के साथ ही "प्रोग्राम होस्ट" भी आ चुके है। बोलने के बाद ललित भंडारी एक पल के लिए रुका, फिर आगे बोला। आप.....विभिन्न काँलेज के छात्र-छात्राओं का इस मंच के तरफ से स्वागत करता हूं जो आप लोग बड़ी संख्या में इस प्रोग्राम को सफल बनाने के लिए आए है। साथ ही आपसे गुजारिश करता हूं कि आप लोग शांति के साथ बैठकर इस प्रोग्राम का आनंद ले।
              ललित भंडारी ने अभी अपनी बात खतम ही की थी। तभी हाँल में राजीव सिंघला एवं ओजस्वी चक्रवर्ती ने कदम रखा। ओजस्वी चक्रवर्ती, शहर का मेयर, शांत स्वभाव लेकिन शातिर दिमाग। उम्र यही करीब पचपन के करीब होगा। ओजस्वी चक्रवर्ती, लालची प्रवृति के होने के कारण उसका ज्यादातर समय राजीव सिंघला के साथ ही बीतता था। आज भी ओजस्वी चक्रवर्ती इसलिये ही यहां पर आया हुआ था। राजीव सिंघला एवं ओजस्वी चक्रवर्ती आगे बढे और स्टेज पर पहुंच गए। उनके स्टेज पर पहुंचते ही पूरे हाँल ने सीटी बजा कर उन दोनों का अभिनंदन किया, जबकि ललित भंडारी ने फूलों का गुलदस्ता देकर दोनों का स्वागत किया।.....इसके बाद ललित भंडारी ने राजीव सिंघला को "यंग लाइफ" पर हाँल में वक्तव्य देने को कहा,.....परन्तु राजीव सिंघला से पहले ओजस्वी चक्रवर्ती आगे बढा, जबकि राजीव सिंघला वहां पर रखे सोफे पर बैठ गए।
माय डियर फ्रेंड....हाऊ आर यू? ओजस्वी चक्रवर्ती ने माइक के पास पहुंचते ही ओजस्वी एवं मधुर शब्द में कहा। जिसके बदले में हाँल में किलकारियां उभड़ी। जबकि मिस्टर चक्रवर्ती ने फिर अपनी बातों को आगे बढाया। दोस्त......आप लोग यंग हो और अपनी लाइफ के शुरुआती बिंदु पर हो। ऐसे में हृदय में प्रश्न उठना लाजिमी ही है कि...."हम लाइफ" को जीए कैसे? जिसमें आनंद भी हो, उत्तेजना भी हो और बंधन भी नहीं रहे। तो मेरा मानना है कि इसके लिए हमें खुद के शर्तों पर जीना होगा, तभी हम जीवन का सही आनंद ले पाएंगे। मिस्टर चक्रवर्ती ने कहा, तो हाँल में किलकारियां गुंजने लगी। जबकि मिस्टर चक्रवर्ती ने अपनी बात खतम की और सोफे पर जाकर बैठ गया। तब राजीव सिंघला माइक के पास पहुंचा और बोला।
हेलो फ्रेंड.....! राजीव सिंघला ने कहा और हाँल में मौजूद युवाओं को देखा। जबकि उनकी बातें सुनते ही हाँल फिर से किलकारियों से गुंजने लगी,...तब राजीव सिंघला ने कहा। दोस्तों....यह हमारा जीवन है और हमें इसे अपने शर्तों पर जीना चाहिए। बोलने के बाद राजीव सिंघला एक पल के लिये रुका, फिर आगे बोला। यह मेरा जीवन है और इसका मालिक दूसरा कोई नहीं हो सकता। हम फिर इसे अपने मन-मुताबिक क्यों नहीं जीएँ, हम क्यों दूसरे की इच्छाओं का सम्मान करने की शर्तों पर अपनी खुशियों को आग लगा लें। फिर तो....जीवन में जवानी बार-बार नहीं आती। बोलने के बाद "राजीव सिंघला" ने मुस्करा कर हाँल में देखा, तभी हाँल में मौजूद एक पत्रकार ने प्रश्न किया।
तो सर.....इसलिये ही आप "लीव इन रिलेशनशीप" के पक्षधर है?
हां....जरूर!...मैं अपनी बातों को डंके की चोट पर कहता आया हूं और आज भी कहता हूं। पत्रकार की बातें खतम होते ही राजीव सिंघला ने शांत स्वर में कहा और एक पल रुककर फिर आगे बोला। माना कि यह चलन समाज में नया-नया है, लेकिन इसमें आजादी है.....जीवन जीने की अपनी शर्तें है। फिर तो......जीवन बार-बार मिलता नहीं, तो फिर  हम इसे यूं ही बर्बाद क्यों कर दें।
लेकिन सर.....सुनने में आता रहा है कि आपका "सौंदर्य" प्रसाधन का बिजनेस होने के कारण ही आप इसके पक्षधर है? क्या यह बात सही है? राजीव सिंघला की बातें खतम होते ही दूसरे पत्रकार ने प्रश्न पुछा, फिर अपनी नजर उनके चेहरे पर टिका दी।....जबकि उनकी बातें सुनते ही राजीव सिंघला के होंठों पर मुस्कान गहरी हो गई, फिर उन्होंने कहा।
आपकी बातें सही है या नहीं, मैं इन बातों में नहीं पड़ूंगा। फिर भी.....इतना तो कहूंगा ही कि जब व्यक्ति सफल होता है, उसके साथ बदनामी भी चलती है।.....परन्तु मैं उनमें से नहीं, जो इन बातों से घबरा जाऊँ। मैं सच्चे अर्थ में युवाओं को जीने की राह बतलाता हूं।
लेकिन सर!.....इसके दुष्परिणाम भी तो है। आपका इस संदर्भ में क्या मंतब्य है, इस पर भी प्रकाश डालें? राजीव सिंघला की बातें खतम होते ही तीसरे पत्रकार ने पुछा। जिसके जबाव में पहली बार राजीव सिंघला गंभीर शब्दों में बोला।
मानता हूं कि आपका यह प्रश्न समाज के हित में है। लेकिन चिन्ता की ऐसी बात है-ही नहीं। अभी तो "लीव इन रिलेशनशीप" का भारत में नया प्रचलन है, तो स्वाभाविक है कि इसके कुछ इफेक्ट भी दिखेंगे। नया-नया होने के कारण इसका विरोध भी होगा। परन्तु अब तो....हमारे न्यायाधीशों ने भी इसको मान्यता दी है, इसके जरूरत को समझा है।
                        इसके बाद कभी तो छात्र-छात्राओं ने, तो कभी पत्रकारों ने "राजीव सिंघला" से प्रश्न पुछते रहे और वे ढृढता से उन सभी प्रश्नों के जबाव देते रहे। आखिर में ललित भंडारी के संबोधन के साथ इस प्रोग्राम की समाप्ति दिन के दो बजे हुई। इसके बाद राजीव सिंघला हाँल से निकला और अपनी कार के पास पहुंचा। उससे पहले ही उनकी सेक्रेटरी "ज्योत्सना" वहां खड़ी थी। ज्योत्सना, चालीस वर्ष की शादीशुदा महिला, चेहरे पर ओज और सुंदर व्यक्तित्व। राजीव सिंघला के कार में बैठते ही....... ज्योत्सना भी उनके बगल में बैठ गई। इसके बाद तो कार ने रफ्तार पकड़ा और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी। जबकि ज्योत्सना......वह "राजीव सिंघला" से कुछ कहना चाहती थी, लेकिन ड्राइवर के मौजूदगी के कारण कह नहीं पा रही थी। लेकिन वो अपने मन के भाव राजीव सिंघला के अनुभवी आँखों से नहीं छिपा सकी और उन्होंने पुछ ही लिया।
तुम शायद कुछ पुछना चाहती हो? अतः जो भी पुछना हो, निःसंकोच पुछो।
सर......!मैं देखती आ रही हूं कि आप करीब बीते दस वर्षों से "लीव इन रिलेशनशीप" पर वक्तव्य देते आएँ है और युवाओं की भावना भड़काते आए है। जबकि मैं भी जानती हूं और आप भी जानते है, इसके दुष्परिणाम को। राजीव सिंघला की बात खतम होते ही ज्योत्सना ने गंभीर होकर बोला और अपनी नजर उनके चेहरे पर टिका दी। जबकि उनकी बातें सुनकर राजीव सिंघला मुस्करा कर बोले।
ज्योत्सना.......तुम समझ नहीं पाई हो, या समझना नहीं चाहती।.....परन्तु मैं जानता हूं कि मेरे जितने भी "उत्पाद" है, युवाओं के लिए ही-है। ऐसे में युवा जितने स्वच्छंद होंगे, हमारा बिजनेस उतना ही बढेगा।
                        बोलने के बाद राजीव सिंघला ने चुप्पी साध ली। बस ज्योत्सना ने समझ लिया कि बाँस अब नहीं बोलेंगे। लेकिन बाँस के शब्दों ने उसके हृदय को झकझोर दिया था। राजीव सिंघला के कहे गए शब्दों से वह उलझ सी गई थी। वो सोचने लगी थी कि "अपने स्वार्थ पूर्ति" के लिए इंसान इतना अंधा हो सकता है कि समाज में विष रुपी ग्रंथी का "बीजारोपण" करने को उद्धत हो जाए। इसके भयावह परिणाम को जानते हुए भी। लेकिन कहीं यही विष ग्रंथी उसके खुशियों को डंस ले तब? प्रश्न गंभीर था और उसके हल को ढूंढने की कोशिश "ज्योत्सना" कर रही थी,....परन्तु उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। कार में इस समय खामोशी पसरी हुई थी, बस कार के इंजन की आवाज आ रही थी।
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क्रमश:-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022
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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

16 सितम्बर 2022
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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

16 सितम्बर 2022
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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

16 सितम्बर 2022
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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

16 सितम्बर 2022
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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

16 सितम्बर 2022
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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

16 सितम्बर 2022
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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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