रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उसपर अधनंगे बार बालाओं का नृत्य, कामुकता का खुला निमंत्रण देता हो जैसे।.....तभी तो यहां पर ज्यादातर युवा अपनी कुंठित आकांक्षा को पूरा करने के लिए आते थे। यहां पैसे के बल पर ग्राहकों को हर वो सुविधा मुहैया करवाई जाती थी, जिसके लिए कोई लालायित होता है, खासकर युवा।
आजकल बिजनेस का एक ट्रेंड सा हो गया है कि वे युवा को आकर्षित करना चाहते है। मानव सभ्यता की महत्वपूर्ण कड़ी युवा ही तो है,.....परन्तु युवाओं की तादाद आजकल ज्यादा हो गई है। उसमें भी युवा "जोश" से लबरेज होते है, युवाओं में कुछ नया करने की "उत्कंठा " ज्यादा होती है। "युवा मन चंचल होता है और मुक्त गगन में परवाज करना चाहता है"। यही कारण है कि समाज के वो मांधाता, जो कि बिजनेस करते है और समाज के नेतृत्व की हामी भरते है, युवा को टार्गेट करने के लिए हर संभव कोशिश करते है। यही आज का सत्य है " कि जिसने युवा की नब्ज पकड़ ली, उसे बिजनेस टायकुन बनने से कोई नहीं रोक सकता।
नहीं तो घर-गृहस्थी बाले इतने खर्च करने में समर्थ कहां होते है। उनके ऊपर परिवार की जिम्मेवारी होती है, उन्हें बच्चों के परवरिश की चिन्ता होती है। ऐसे में वो अपने ऊपर मनमाना खर्चा नहीं कर सकते, तो फिर खर्चा करेगा कौन? अरे, युवा है न, बेफिक्र होकर खर्चे करेगा, क्योंकि अभी वो कमाना नहीं जानता। बस यही लाँजिक इस "उन्नति वियर बार" के मालिक भी जानते थे। तभी तो विशाल क्षेत्रफल में फैला हुआ वियर बार, जिसकी इंटिरियर डिजाइनिंग बेहतर तरीके से की गई थी। "वियर बार" को दुल्हन की मानिंद सजाया गया था और अंदर खास प्रकार की सजावट की गई थी। इस कारण से इसके अंदर जाने पर प्रतीत होता था कि "स्वर्ग अगर कहीं है, तो यही है।
अंदर हाँल में वेटर ग्राहकों को तत्परता के साथ आँडर सर्व कर रहा था। वहां की व्यवस्था इतनी उम्दा थी कि रात के दस बज चुके थे, परन्तु अभी तक ग्राहकों के आने का सिलसिला जारी था और हाँल भरा हुआ था। लेकिन उस बीच बाले टेबुल पर बैठे कपल को मानो इससे कोई मतलब नहीं था। उस टेबुल पर बैठे कपल में "सान्या सिंघला थी और लड़का कोई नया था। ....परन्तु सान्या सिंघला की पसंद तो साधारण नहीं हो सकती न, उसके साथ बैठा युवक आकर्षक था। उसकी नीली आँखें, भूरे बाल, गोल-मटोल मक्खन जैसा चेहरा। नाम बलजीत और नाम के अनुरूप ही उसकी आकर्षक कद-काठी थी। तभी तो राह में मिलते ही सान्या ने उसे सीधे आँफर ही दिया था और साथ में ही यहां पर लेकर आ गई थी।
बलजीत भी तो, जब से आया था, हाँल में फैली हुई दुधिया रोशनी में सान्या सिंघला के हुस्न को निहारे जा रहा था। उसकी लालची नजर बार-बार सान्या के जिस्म पर जाकर चिपक जाती थी।....सान्या भी उसके मनोभाव समझती थी.....परन्तु जब तक उसे सही से नशा नहीं हो, वो हम बिस्तर नहीं हो सकती। ऐसे में सान्या प्याले में "टेबुल पर रखे स्काँच की बोतल से" शराब डाल रही थी। साथ ही मंद-मंद मुस्करा रही थी। वो जानती थी कि जब बगल में कमनीय बाला हो, शराब का नशा हो और इश्क करने की रजामंदी हो, कोई भी पुरुष अपने आप पर नियंत्रण नहीं रख सकता। फिर तो वो अप्सरा सी सुंदर थी, ऐसे में बलजीत का बहकना वाजिब ही था।
अरी ओ सान्या.....ऐसा क्यों लगता है कि मैं तुम्हें बहुत पहले से जानता हूं। जबकि हम दोनों तो अभी चंद घंटों पहले मिले है। आखिरकार जब बलजीत से नहीं रहा गया, तो वो अपने शब्दों में मक्खन लपेटकर बोला। जबकि सान्या उसकी बातें सुनकर कातिल अदा के साथ मुस्कराई, साथ ही उसने तैयार जाम को बलजीत को थमाया और दूसरे प्याले को अपने होंठों के करीब ले-जाकर एक बार बलजीत के चेहरे को देखकर बोली।
स्वीट हार्ट....जब शराब का नशा हावी हो और मुझ जैसी कमनीय बाला बगल में हो, नयी पहचान भी जानी- पहचानी हो जाती है।
ओह!....स्योर बेबी। तुम शायद सही कहती हो, यह इश्क चीज ही ऐसी है कि ऐसा होना स्वाभाविक है। बलजीत तपाक से बोला, फिर एक पल के लिए रुका, इसके बाद आगे बोला। अरी सान्या....क्या हम दोनों की दोस्ती हमेशा के लिए कायम नहीं रह सकती। बलजीत ने अभी अपनी बातें खतम ही की थी कि सान्या ने अपने सुर्ख अधर को बलजीत के होंठों के करीब ले गई और फुसफुसा कर मादक स्वर में बोली।
स्वीट हार्ट.....तुम तो आम खाओ, गुठली के दाम क्यों गिनने में लगे हो।
बोलने के साथ ही सान्या सिंघला ने अपने होंठ बलजीत के होंठ पर चिपका दिए।......फिर क्या था, खुला निमंत्रण मिला और बलजीत उसके अधर से पराग रस कण को चुसने लगा।....फिर तो दोनों की भावनाएँ भड़कने लगी और पल-प्रति पल बढने लगी। परन्तु कितने देर तक? आखिरकार दोनों अलग हुए और हाथ में थामे जाम को गटक लिया। प्याला खाली हुआ और सान्या फिर से जाम बनाने लगी, जबकि बलजीत अपने "कामुक" नजरों से सान्या के जिस्म को तोलता रहा। उसके हृदय में हो रहा था कि "बिल्ली के भाग्य से छींके टूटे है" अन्यथा अप्सरा सी सुंदर लड़की का सानिध्य कहां मिल पाता है।
परन्तु वो कहां जानता था कि कुछ पल बाद ही उसका दिन में देखा गया "दीवा:स्वप्न" टूटकर बिखर जाने बाला है। वो जिसका सानिध्य चाहता है, वो कामना की जीती-जागती प्रति मूरत है, जो पल में ही अपने विचार बदल लेती है।....उसे मानवीय भावनाओं से किसी प्रकार का ताल्लुकात नहीं, उसे तो बस "जरूरत" की बातें ही पता है।....सच! यही हुआ भी, अभी उन दोनों को एक दूसरे से अलग हुए पांच मिनट भी नहीं गुजरा था कि वियर बार के गेट से एक नौजवान युवक ने अंदर कदम रखा और उसकी आँखें हाँल में खाली टेबुल तलाशने लगी। जबकि आए हुए नौजवान को देखकर सान्या सिंघला चौंकी।
उसके चौंकने का कारण यह नहीं था कि वो उस नौजवान से परिचित थी।.....परन्तु आए हुए नौजवान का शरीर सौष्ठव काफी आकर्षक था। उसकी भूरी आँखें और काले बाल, उसपर गोल चेहरा और सुराहीदार गर्दन। बस एक नजर में ही वो नौजवान "सान्या सिंघला" के हृदय में उतर गया। उस नौजवान को देखकर वो तड़प सी उठी और मीठे आह भरने लगी।....सहज ही उसके मन में भाव जगे कि "काश यह लड़का आज की रात उसके बांहों में हो"।....फिर तो सोचना था और सान्या सिंघला अपने जगह से उठ खड़ी हुई और तेजी से आए हुए नौजवान की तरफ बढी। उसे अचानक से ही उठते देख और फिर दूसरे नौजवान की तरफ बढता देख पहले तो बलजीत समझ ही नहीं पाया कि "हो क्या रहा है" परन्तु जब उसे समझ आया। उसने सान्या को रोकने की काफी कोशिश की, परन्तु सान्या "भला" अब उसके रोकने से रुकने बाली कहां थी।
बलजीत, उसके तो सपने ही छिन्न- भिन्न हो गए। कहां तो उसने सोचा था कि आज की रात वो जन्नत की सैर करेगा और कहां वो हकीकत के कठोर धरातल पर आकर गिरा था। कहीं ऐसा भी होता है? प्रश्न सहज ही उसके मन में उठे। वैसे भी उसकी सुंदरता क्या कम थी? वह भी तो आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी था। परन्तु उसने आज जिसे पार्टनर बनाने का सोचा था, उसका स्वभाव ही ऐसा था। भला उसे क्या पता था कि सान्या तो ऐसी काली नागिन सी है, जिसे रिश्ते बनाने और निभाने में कोई दिलचस्पी नहीं। उसे तो "रात" का पार्टनर चाहिए और उससे बेहतर मिल गया, तो उसके पास चली गई। सान्या के इस हरकत ने तो मानो बलजीत के हृदय पर आघात किया था। परन्तु वो इस आघात को छिपा लेना चाहता था, इस घाव को सहन कर लेना चाहता था। इसलिये, इसके बाद तो वो बेतहाशा पीने लगा।
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क्रमशः-