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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022

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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उसपर अधनंगे बार बालाओं का नृत्य, कामुकता का खुला निमंत्रण देता हो जैसे।.....तभी तो यहां पर ज्यादातर युवा अपनी कुंठित आकांक्षा को पूरा करने के लिए आते थे। यहां पैसे के बल पर ग्राहकों को हर वो सुविधा मुहैया करवाई जाती थी, जिसके लिए कोई लालायित होता है, खासकर युवा।
                    आजकल बिजनेस का एक ट्रेंड सा हो गया है कि वे युवा को आकर्षित करना चाहते है। मानव सभ्यता की महत्वपूर्ण कड़ी युवा ही तो है,.....परन्तु युवाओं की तादाद आजकल ज्यादा हो गई है। उसमें भी युवा "जोश" से लबरेज होते है, युवाओं में कुछ नया करने की "उत्कंठा " ज्यादा होती है। "युवा मन चंचल होता है और मुक्त गगन में परवाज करना चाहता है"। यही कारण है कि समाज के वो मांधाता, जो कि बिजनेस करते है और समाज के नेतृत्व की हामी भरते है, युवा को टार्गेट करने के लिए हर संभव कोशिश करते है। यही आज का सत्य है " कि जिसने युवा की नब्ज पकड़ ली, उसे बिजनेस टायकुन बनने से कोई नहीं रोक सकता।
                               नहीं तो घर-गृहस्थी बाले इतने खर्च करने में समर्थ कहां होते है। उनके ऊपर परिवार की जिम्मेवारी होती है, उन्हें बच्चों के परवरिश की चिन्ता होती है। ऐसे में वो अपने ऊपर मनमाना खर्चा नहीं कर सकते, तो फिर खर्चा करेगा कौन? अरे, युवा है न, बेफिक्र होकर खर्चे करेगा, क्योंकि अभी वो कमाना नहीं जानता। बस यही लाँजिक इस "उन्नति वियर बार" के मालिक भी जानते थे। तभी तो विशाल क्षेत्रफल में फैला हुआ वियर बार, जिसकी इंटिरियर डिजाइनिंग बेहतर तरीके से की गई थी। "वियर बार" को दुल्हन की मानिंद सजाया गया था और अंदर खास प्रकार की सजावट की गई थी। इस कारण से इसके अंदर जाने पर प्रतीत होता था कि "स्वर्ग अगर कहीं है, तो यही है।
                                 अंदर हाँल में वेटर ग्राहकों को तत्परता के साथ आँडर सर्व कर रहा था। वहां की व्यवस्था इतनी उम्दा थी कि रात के दस बज चुके थे, परन्तु अभी तक ग्राहकों के आने का सिलसिला जारी था और हाँल भरा हुआ था। लेकिन उस बीच बाले टेबुल पर बैठे कपल को मानो इससे कोई मतलब नहीं था। उस टेबुल पर बैठे कपल में "सान्या सिंघला थी और लड़का कोई नया था। ....परन्तु सान्या सिंघला की पसंद तो साधारण नहीं हो सकती न, उसके साथ बैठा युवक आकर्षक था। उसकी नीली आँखें, भूरे बाल, गोल-मटोल मक्खन जैसा चेहरा। नाम बलजीत और नाम के अनुरूप ही उसकी आकर्षक कद-काठी थी। तभी तो राह में मिलते ही सान्या ने उसे सीधे आँफर ही दिया था और साथ में ही यहां पर लेकर आ गई थी।
                         बलजीत भी तो, जब से आया था, हाँल में फैली हुई दुधिया रोशनी में सान्या सिंघला के हुस्न को निहारे जा रहा था। उसकी लालची नजर बार-बार सान्या के जिस्म पर जाकर चिपक जाती थी।....सान्या भी उसके मनोभाव समझती थी.....परन्तु जब तक उसे सही से नशा नहीं हो, वो हम बिस्तर नहीं हो सकती। ऐसे में सान्या प्याले में "टेबुल पर रखे स्काँच की बोतल से" शराब डाल रही थी। साथ ही मंद-मंद मुस्करा रही थी। वो जानती थी कि जब बगल में कमनीय बाला हो, शराब का नशा हो और इश्क करने की रजामंदी हो, कोई भी पुरुष अपने आप पर नियंत्रण नहीं रख सकता। फिर तो वो अप्सरा सी सुंदर थी, ऐसे में बलजीत का बहकना वाजिब ही था।
अरी ओ सान्या.....ऐसा क्यों लगता है कि मैं तुम्हें बहुत पहले से जानता हूं। जबकि हम दोनों तो अभी चंद घंटों पहले मिले है। आखिरकार जब बलजीत से नहीं रहा गया, तो वो अपने शब्दों में मक्खन लपेटकर बोला। जबकि सान्या उसकी बातें सुनकर कातिल अदा के साथ मुस्कराई, साथ ही उसने तैयार जाम को बलजीत को थमाया और दूसरे प्याले को अपने होंठों के करीब ले-जाकर एक बार बलजीत के चेहरे को देखकर बोली।
स्वीट हार्ट....जब शराब का नशा हावी हो और मुझ जैसी कमनीय बाला बगल में हो, नयी पहचान भी जानी- पहचानी हो जाती है।
ओह!....स्योर बेबी। तुम शायद सही कहती हो, यह इश्क चीज ही ऐसी है कि ऐसा होना स्वाभाविक है। बलजीत तपाक से बोला, फिर एक पल के लिए रुका, इसके बाद आगे बोला। अरी सान्या....क्या हम दोनों की दोस्ती हमेशा के लिए कायम नहीं रह सकती। बलजीत ने अभी अपनी बातें खतम ही की थी कि सान्या ने अपने सुर्ख अधर को बलजीत के होंठों के करीब ले गई और फुसफुसा कर मादक स्वर में बोली।
स्वीट हार्ट.....तुम तो आम खाओ, गुठली के दाम क्यों गिनने में लगे हो।
                        बोलने के साथ ही सान्या सिंघला ने अपने होंठ बलजीत के होंठ पर चिपका दिए।......फिर क्या था, खुला निमंत्रण मिला और बलजीत उसके अधर से पराग रस कण को चुसने लगा।....फिर तो दोनों की भावनाएँ भड़कने लगी और पल-प्रति पल बढने लगी। परन्तु कितने देर तक? आखिरकार दोनों अलग हुए और हाथ में थामे जाम को गटक लिया। प्याला खाली हुआ और सान्या फिर से जाम बनाने लगी, जबकि बलजीत अपने "कामुक" नजरों से सान्या के जिस्म को तोलता रहा। उसके हृदय में हो रहा था कि "बिल्ली के भाग्य से छींके टूटे है" अन्यथा अप्सरा सी सुंदर लड़की का सानिध्य कहां मिल पाता है।
                        परन्तु वो कहां जानता था कि कुछ पल बाद ही उसका दिन में देखा गया "दीवा:स्वप्न" टूटकर बिखर जाने बाला है। वो जिसका सानिध्य चाहता है, वो कामना की जीती-जागती प्रति मूरत है, जो पल में ही अपने विचार बदल लेती है।....उसे मानवीय भावनाओं से किसी प्रकार का ताल्लुकात नहीं, उसे तो बस "जरूरत" की बातें ही पता है।....सच! यही हुआ भी, अभी उन दोनों को एक दूसरे से अलग हुए पांच मिनट भी नहीं गुजरा था कि वियर बार के गेट से एक नौजवान युवक ने अंदर कदम रखा और उसकी आँखें हाँल में खाली टेबुल तलाशने लगी। जबकि आए हुए नौजवान को देखकर सान्या सिंघला चौंकी।
                    उसके चौंकने का कारण यह नहीं था कि वो उस नौजवान से परिचित थी।.....परन्तु आए हुए नौजवान का शरीर सौष्ठव काफी आकर्षक था। उसकी भूरी आँखें और काले बाल, उसपर गोल चेहरा और सुराहीदार गर्दन। बस एक नजर में ही वो नौजवान "सान्या सिंघला" के हृदय में उतर गया। उस नौजवान को देखकर वो तड़प सी उठी और मीठे आह भरने लगी।....सहज ही उसके मन में भाव जगे कि "काश यह लड़का आज की रात उसके बांहों में हो"।....फिर तो सोचना था और सान्या सिंघला अपने जगह से उठ खड़ी हुई और तेजी से आए हुए नौजवान की तरफ बढी। उसे अचानक से ही उठते देख और फिर दूसरे नौजवान की तरफ बढता देख पहले तो बलजीत समझ ही नहीं पाया कि "हो क्या रहा है" परन्तु जब उसे समझ आया। उसने सान्या को रोकने की काफी कोशिश की, परन्तु सान्या "भला" अब उसके रोकने से रुकने बाली कहां थी।
                           बलजीत, उसके तो सपने ही छिन्न- भिन्न हो गए। कहां तो उसने सोचा था कि आज की रात वो जन्नत की सैर करेगा और कहां वो हकीकत के कठोर धरातल पर आकर गिरा था। कहीं ऐसा भी होता है? प्रश्न सहज ही उसके मन में उठे। वैसे भी उसकी सुंदरता क्या कम थी? वह भी तो आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी था। परन्तु उसने आज जिसे पार्टनर बनाने का सोचा था, उसका स्वभाव ही ऐसा था। भला उसे क्या पता था कि सान्या तो ऐसी काली नागिन सी है, जिसे रिश्ते बनाने और निभाने में कोई दिलचस्पी नहीं। उसे तो "रात" का पार्टनर चाहिए और उससे बेहतर मिल गया, तो उसके पास चली गई। सान्या के इस हरकत ने तो मानो बलजीत के हृदय पर आघात किया था। परन्तु वो इस आघात को छिपा लेना चाहता था, इस घाव को सहन कर लेना चाहता था। इसलिये, इसके बाद तो वो बेतहाशा पीने लगा।
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क्रमशः-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

16 सितम्बर 2022
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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

16 सितम्बर 2022
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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

16 सितम्बर 2022
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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

18 सितम्बर 2022
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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

18 सितम्बर 2022
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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

18 सितम्बर 2022
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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

18 सितम्बर 2022
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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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