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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

18 सितम्बर 2022

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रात के ग्यारह बज चुके थे।
अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला।
लवण्या.....मेरे विचार से रात बहुत हो चुकी है और ऐसे में हमें चलना चाहिए। बोलने के बाद उसने लवण्या की आँखों में देखा। लवण्या तो पहले से ही उसके चेहरे पर नजरें जमाए हुए बैठी थी, क्योंकि इशांत और संभ्रांत कब के दोनों को एकांत में छोड़ कर जा चुके थे। एक तो रात, दूसरे एकांत, लवण्या चाहती थी कि सम्यक थोड़ी देर और बैठे।....परन्तु सम्यक को उकताया हुआ देखकर लवण्या ने गहरी सांस लेकर कहा।
ठीक है,....जब तुम चाहते हो, तो चलते है।
तो क्या तुम और वियर पीना चाहती हो? सम्यक ने उसकी बातें सुनते ही तत्काल प्रतिक्रिया दी। जबकि उसकी बातें सुनकर लवण्या चिढ गई। बस उसका यही स्वभाव, जिसके कारण लवण्या उसके भावना को नहीं समझ सकी थी और उनका मिलन न हो सका था।....ऐसे में लवण्या चिढ कर बोली।
नहीं श्रीमान....कुछ नहीं, बस चलते है।
                      बोलने के बाद लवण्या शीट से उठ खड़ी हो गई और कैश काउंटर की ओर बढी। जबकि सम्यक, वो लवण्या के द्वारा कहे गए अंतिम शब्दों को समझने की कोशिश करता रहा और जब उसके "पल्ले" कुछ नहीं पड़ा, वह भी उठा और लवण्या के पीछे हो लिया। फिर तो बील पेमेंट करने के बाद दोनों बाहर निकले और अगले दिन मिलने का वादा कर अपने-अपने कार में सवार हो गए। वैसे भी सम्यक के द्वारा दिए गए "प्रतिसाद" से लवण्या थोड़ा क्रोधित और थोड़ा हताश हो गई थी। इसलिये उसने कार को श्टार्ट किया और तेजी से आगे बढा दी।
                 लवण्या, इस समय उसके दिमाग में घमासान मचा हुआ था। भला......,उसने सम्यक को समझने में भूल कैसे कर दी?....जबकि वह तो जानती थी कि वो उसके पीछे लट्टू है और फिर सम्यक स्मार्ट भी था, सुंदर भी था। ऐसी कोई बात नहीं थी कि उसे इग्नोर किया जा सके। तो फिर वह उसके प्रेम को समझ क्यों नहीं सकी और गर्वित सक्सेना की ओर आकर्षित हो गई। वह उससे प्रेम करने लगी, जो कि " प्रेम शब्द " का महत्व ही नहीं जानता था। वह तो सिर्फ सुंदरता का पुजारी था, तभी तो उसके दामन को छोड़ कर "सान्या सिंघला" के दामन को थाम लिया। बस इतनी सी बात के लिए कि वह शादी से पहले "इंटरकोर्स" करना चाहता था और लवण्या इसे शादी से पहले गलत मानती थी।
                           उसे अभी तक याद है कि जब उसने गर्वित के प्रस्ताव को ठुकराया था। गर्वित बौखला गया था, उसने लवण्या का मजाक भी उड़ाया था और फिर धीरे- धीरे उससे दूर होता चला गया।....परन्तु लवण्या समझ ही नहीं सकी उसको, जो कि सच्चे अर्थ में उसको चाहता था। उसके घनी जुल्फों का दीवाना था और उसकी गुलामी के लिए भी तत्पर रहता था। किसलिये,....."शायद इस कारण से ही कि वो सामने बाले की इच्छा नहीं समझ पाता था"।....उसे जल्दी ही मिलन में ऊब होने लगती थी, तभी तो आज भी, वो वियर बार में थोड़ा समय उसके साथ और भी बिताना चाहती थी,....परन्तु उसे तो घर जाने की जल्दी थी।
                 लवण्या आर सोच रही थी और कार रफ्तार से भागती जा रही थी। तभी वह चौंकी, उसके विचार को तेज झटका लगा,....क्योंकि उसकी नजर ने देखा, सान्या सिंघला की कार बगल से निकली थी।....लवण्या धोखा नहीं खा सकती, वह सान्या सिंघला ही थी, जो अजनबी नौजवान के साथ कार में जा रही थी। उसको देखते ही लवण्या के विचारो की गति बदल गई। किस प्रकार से? वो इस समय दूसरे युवक के साथ है और अगर दूसरे नौजवान के साथ है, तो गर्वित सक्सेना कहां है और उसका क्या हुआ? उसके दिमाग में यह प्रश्न उभड़ा और उसने कार घुमा कर "सान्या सिंघला" के पीछे लगा दी।
                                उसके दिमाग में प्रश्न था, विचारों के झंझावात थे और साथ ही वह जानना चाहती थी कि आखिर "सान्या सिंघला" जा कहां रही है। ऐसे में उसको ज्यादा समय नहीं लगा और उसकी कार सान्या सिंघला के कार के पीछे-पीछे चलने लगी। परन्तु उसके दिमाग में तो सवाल उमड़- घुमड़ रहे थे। वो कार ड्राइव करती हुई सोचती जा रही थी कि आखिर बात क्या है कि सान्या सिंघला इतनी रात गए दूसरे नौजवान के साथ जा रही है? इतना ही नहीं, उसे विश्वास भी था कि जब सान्या मिल गई है, तो गर्वित भी जरूर मिल जाएगा। फिर वो उससे अपने प्रश्न पुछ सकेगी कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया? क्या कमी थी उसमें, जो उसके प्रेम का निरादर करके सान्या सिंघला के साथ हो गया?
                             इतना ही नहीं, लवण्या मन ही मन शंकित भी हो रही थी कि कहीं गर्वित ने सान्या का भी साथ तो नहीं छोड़ दिया? लवण्या जानती है ऐसे आशिक मिजाज भंवरे के स्वभाव को। आखिरकार इस प्रकार के स्वभाव के लड़के ऐसे ही तो होते है। वे किसी एक लड़की से दिल लगाकर नहीं रह सकते,....उन्हें तो मन बहलाने के लिए नित नई लड़कियां चाहिए होती है। जरूर!....ऐसी ही बात सान्या के साथ भी हुई होगी, अन्यथा इस प्रकार से वो रात के इस समय दूसरे नौजवान के साथ नहीं होती। सोचती हुई लवण्या कार ड्राइव में भी ध्यान दे रही थी। उसे डर था कि कहीं "सान्या सिंघला" की कार आगे नहीं निकल जाए और वो पीछे छूट जाए।
                              लवण्या सावधान रहना चाहती थी और अपने ऊपर किसी विचार को हावी नहीं होने देना चाहती थी।.....परन्तु " विचार " तो स्वेच्छित है, जो रोकने से नहीं रुकती। मानव मन की गति ही इतनी है कि यह स्वतः ही विचारों के जाल में जाकर उलझ जाता है। ऐसे में विचारों को नियंत्रित करना, मन को नियंत्रित करने जितना ही दुष्कर है।.....तभी तो लवण्या भी "अपने मन में आते विचारों को नियंत्रित नहीं कर पा रही थी"। आखिर नियंत्रित करती भी तो कैसे? उसके बीते हुए अतीत की परछाईं को लेकर ही तो "विचार" उसके ऊपर हावी हो रहा था। वो भले ही सावधानी पूर्वक कार चला रही थी,.... परन्तु खुद को विचारों की श्रृंखला से आजाद नहीं कर पा रही थी।
                   उसके अतीत की परछाईं से एक जीवंत करेक्टर उसके सामने था और " कार में आगे-आगे भागा जा रहा था"। फिर वो अपने विचारो को किस प्रकार से रोक पाती। वह तो बस सान्या और गर्वित के बारे में ही सोचती जा रही थी,.....क्योंकि उस कारण से ही उसने वर्षों तक अपनी रातें "दिल्ली की सड़कों पर गुजारी थी"। उफ!.....जीवन के उस कड़वे अनुभव को वो किस प्रकार से भुलाती, जब वो पागलों की तरह रात-रात भर दिल्ली की सड़कों को छानती रहती थी। बस अपने उलझे हुए सवालों का जबाव जानने के लिए और इसलिये ही तो..... वो सान्या के कार के पीछे लगी थी।
                       लवण्या ने कलाईं घड़ी पर नजर डाली, रात के बारह बजने को थे। तभी वो चौंकी, क्योंकि उसने देखा कि सान्या सिंघला की कार "होटल सम्राट" के गेट की ओर मुड़ी और कंपाऊंड के अंदर चली गई। वह अब क्या करें?.....रात के इस समय होटल के अंदर जाए या नहीं? क्योंकि, जहां तक उसको जानकारी थी," होटल सम्राट" अपने अंदर होते अय्याशियों के लिए बदनाम था। ऐसे में सूनसान रात और वो अकेली,....होटल के अंदर जाना ठीक होगा या नहीं? अंत में लवण्या के "विवेक" की जीत हुई और उसने होटल में जाने का विचार त्याग दिया। लेकिन उसके दिमाग में विचारों की घंटी बजी,.... रात के समय, इस बदनाम होटल में अनजान नौजवान के साथ "सान्या" क्या करने गई होगी? लवण्या अपने मन में उठे सवाल के जबाव से भी अंजान नहीं थी। तो क्या सान्या अपनी काम पूर्ति के लिए इतनी भटक गई है कि वो नौजवान युवक के साथ होटल में। सोचते हुए लवण्या के मन में घृणा के भाव भर गए, लेकिन उसे सान्या से अपने प्रश्नों का जबाव चाहिए था,....इसलिए उसने वहीं पर रुक कर "सान्या का" इंतजार करने का फैसला कर लिया।
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क्रमश:-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022
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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

16 सितम्बर 2022
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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

16 सितम्बर 2022
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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

16 सितम्बर 2022
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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

16 सितम्बर 2022
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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

16 सितम्बर 2022
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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022
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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

18 सितम्बर 2022
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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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