रात के ग्यारह बज चुके थे।
अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला।
लवण्या.....मेरे विचार से रात बहुत हो चुकी है और ऐसे में हमें चलना चाहिए। बोलने के बाद उसने लवण्या की आँखों में देखा। लवण्या तो पहले से ही उसके चेहरे पर नजरें जमाए हुए बैठी थी, क्योंकि इशांत और संभ्रांत कब के दोनों को एकांत में छोड़ कर जा चुके थे। एक तो रात, दूसरे एकांत, लवण्या चाहती थी कि सम्यक थोड़ी देर और बैठे।....परन्तु सम्यक को उकताया हुआ देखकर लवण्या ने गहरी सांस लेकर कहा।
ठीक है,....जब तुम चाहते हो, तो चलते है।
तो क्या तुम और वियर पीना चाहती हो? सम्यक ने उसकी बातें सुनते ही तत्काल प्रतिक्रिया दी। जबकि उसकी बातें सुनकर लवण्या चिढ गई। बस उसका यही स्वभाव, जिसके कारण लवण्या उसके भावना को नहीं समझ सकी थी और उनका मिलन न हो सका था।....ऐसे में लवण्या चिढ कर बोली।
नहीं श्रीमान....कुछ नहीं, बस चलते है।
बोलने के बाद लवण्या शीट से उठ खड़ी हो गई और कैश काउंटर की ओर बढी। जबकि सम्यक, वो लवण्या के द्वारा कहे गए अंतिम शब्दों को समझने की कोशिश करता रहा और जब उसके "पल्ले" कुछ नहीं पड़ा, वह भी उठा और लवण्या के पीछे हो लिया। फिर तो बील पेमेंट करने के बाद दोनों बाहर निकले और अगले दिन मिलने का वादा कर अपने-अपने कार में सवार हो गए। वैसे भी सम्यक के द्वारा दिए गए "प्रतिसाद" से लवण्या थोड़ा क्रोधित और थोड़ा हताश हो गई थी। इसलिये उसने कार को श्टार्ट किया और तेजी से आगे बढा दी।
लवण्या, इस समय उसके दिमाग में घमासान मचा हुआ था। भला......,उसने सम्यक को समझने में भूल कैसे कर दी?....जबकि वह तो जानती थी कि वो उसके पीछे लट्टू है और फिर सम्यक स्मार्ट भी था, सुंदर भी था। ऐसी कोई बात नहीं थी कि उसे इग्नोर किया जा सके। तो फिर वह उसके प्रेम को समझ क्यों नहीं सकी और गर्वित सक्सेना की ओर आकर्षित हो गई। वह उससे प्रेम करने लगी, जो कि " प्रेम शब्द " का महत्व ही नहीं जानता था। वह तो सिर्फ सुंदरता का पुजारी था, तभी तो उसके दामन को छोड़ कर "सान्या सिंघला" के दामन को थाम लिया। बस इतनी सी बात के लिए कि वह शादी से पहले "इंटरकोर्स" करना चाहता था और लवण्या इसे शादी से पहले गलत मानती थी।
उसे अभी तक याद है कि जब उसने गर्वित के प्रस्ताव को ठुकराया था। गर्वित बौखला गया था, उसने लवण्या का मजाक भी उड़ाया था और फिर धीरे- धीरे उससे दूर होता चला गया।....परन्तु लवण्या समझ ही नहीं सकी उसको, जो कि सच्चे अर्थ में उसको चाहता था। उसके घनी जुल्फों का दीवाना था और उसकी गुलामी के लिए भी तत्पर रहता था। किसलिये,....."शायद इस कारण से ही कि वो सामने बाले की इच्छा नहीं समझ पाता था"।....उसे जल्दी ही मिलन में ऊब होने लगती थी, तभी तो आज भी, वो वियर बार में थोड़ा समय उसके साथ और भी बिताना चाहती थी,....परन्तु उसे तो घर जाने की जल्दी थी।
लवण्या आर सोच रही थी और कार रफ्तार से भागती जा रही थी। तभी वह चौंकी, उसके विचार को तेज झटका लगा,....क्योंकि उसकी नजर ने देखा, सान्या सिंघला की कार बगल से निकली थी।....लवण्या धोखा नहीं खा सकती, वह सान्या सिंघला ही थी, जो अजनबी नौजवान के साथ कार में जा रही थी। उसको देखते ही लवण्या के विचारो की गति बदल गई। किस प्रकार से? वो इस समय दूसरे युवक के साथ है और अगर दूसरे नौजवान के साथ है, तो गर्वित सक्सेना कहां है और उसका क्या हुआ? उसके दिमाग में यह प्रश्न उभड़ा और उसने कार घुमा कर "सान्या सिंघला" के पीछे लगा दी।
उसके दिमाग में प्रश्न था, विचारों के झंझावात थे और साथ ही वह जानना चाहती थी कि आखिर "सान्या सिंघला" जा कहां रही है। ऐसे में उसको ज्यादा समय नहीं लगा और उसकी कार सान्या सिंघला के कार के पीछे-पीछे चलने लगी। परन्तु उसके दिमाग में तो सवाल उमड़- घुमड़ रहे थे। वो कार ड्राइव करती हुई सोचती जा रही थी कि आखिर बात क्या है कि सान्या सिंघला इतनी रात गए दूसरे नौजवान के साथ जा रही है? इतना ही नहीं, उसे विश्वास भी था कि जब सान्या मिल गई है, तो गर्वित भी जरूर मिल जाएगा। फिर वो उससे अपने प्रश्न पुछ सकेगी कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया? क्या कमी थी उसमें, जो उसके प्रेम का निरादर करके सान्या सिंघला के साथ हो गया?
इतना ही नहीं, लवण्या मन ही मन शंकित भी हो रही थी कि कहीं गर्वित ने सान्या का भी साथ तो नहीं छोड़ दिया? लवण्या जानती है ऐसे आशिक मिजाज भंवरे के स्वभाव को। आखिरकार इस प्रकार के स्वभाव के लड़के ऐसे ही तो होते है। वे किसी एक लड़की से दिल लगाकर नहीं रह सकते,....उन्हें तो मन बहलाने के लिए नित नई लड़कियां चाहिए होती है। जरूर!....ऐसी ही बात सान्या के साथ भी हुई होगी, अन्यथा इस प्रकार से वो रात के इस समय दूसरे नौजवान के साथ नहीं होती। सोचती हुई लवण्या कार ड्राइव में भी ध्यान दे रही थी। उसे डर था कि कहीं "सान्या सिंघला" की कार आगे नहीं निकल जाए और वो पीछे छूट जाए।
लवण्या सावधान रहना चाहती थी और अपने ऊपर किसी विचार को हावी नहीं होने देना चाहती थी।.....परन्तु " विचार " तो स्वेच्छित है, जो रोकने से नहीं रुकती। मानव मन की गति ही इतनी है कि यह स्वतः ही विचारों के जाल में जाकर उलझ जाता है। ऐसे में विचारों को नियंत्रित करना, मन को नियंत्रित करने जितना ही दुष्कर है।.....तभी तो लवण्या भी "अपने मन में आते विचारों को नियंत्रित नहीं कर पा रही थी"। आखिर नियंत्रित करती भी तो कैसे? उसके बीते हुए अतीत की परछाईं को लेकर ही तो "विचार" उसके ऊपर हावी हो रहा था। वो भले ही सावधानी पूर्वक कार चला रही थी,.... परन्तु खुद को विचारों की श्रृंखला से आजाद नहीं कर पा रही थी।
उसके अतीत की परछाईं से एक जीवंत करेक्टर उसके सामने था और " कार में आगे-आगे भागा जा रहा था"। फिर वो अपने विचारो को किस प्रकार से रोक पाती। वह तो बस सान्या और गर्वित के बारे में ही सोचती जा रही थी,.....क्योंकि उस कारण से ही उसने वर्षों तक अपनी रातें "दिल्ली की सड़कों पर गुजारी थी"। उफ!.....जीवन के उस कड़वे अनुभव को वो किस प्रकार से भुलाती, जब वो पागलों की तरह रात-रात भर दिल्ली की सड़कों को छानती रहती थी। बस अपने उलझे हुए सवालों का जबाव जानने के लिए और इसलिये ही तो..... वो सान्या के कार के पीछे लगी थी।
लवण्या ने कलाईं घड़ी पर नजर डाली, रात के बारह बजने को थे। तभी वो चौंकी, क्योंकि उसने देखा कि सान्या सिंघला की कार "होटल सम्राट" के गेट की ओर मुड़ी और कंपाऊंड के अंदर चली गई। वह अब क्या करें?.....रात के इस समय होटल के अंदर जाए या नहीं? क्योंकि, जहां तक उसको जानकारी थी," होटल सम्राट" अपने अंदर होते अय्याशियों के लिए बदनाम था। ऐसे में सूनसान रात और वो अकेली,....होटल के अंदर जाना ठीक होगा या नहीं? अंत में लवण्या के "विवेक" की जीत हुई और उसने होटल में जाने का विचार त्याग दिया। लेकिन उसके दिमाग में विचारों की घंटी बजी,.... रात के समय, इस बदनाम होटल में अनजान नौजवान के साथ "सान्या" क्या करने गई होगी? लवण्या अपने मन में उठे सवाल के जबाव से भी अंजान नहीं थी। तो क्या सान्या अपनी काम पूर्ति के लिए इतनी भटक गई है कि वो नौजवान युवक के साथ होटल में। सोचते हुए लवण्या के मन में घृणा के भाव भर गए, लेकिन उसे सान्या से अपने प्रश्नों का जबाव चाहिए था,....इसलिए उसने वहीं पर रुक कर "सान्या का" इंतजार करने का फैसला कर लिया।
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क्रमश:-