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पुलिस की खोजबीन......

16 सितम्बर 2022

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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था। टाँर्चर चेयर पर बंधा हुआ श्रीकांत भल्ला सलिल एवं रोमील को जिबह होते बकरे की तरह देख रहा था। उसकी आँखों में खौफ....स्पष्ट देखा जा सकता था। उसके आँखों में अगर इस समय कोई भाव था....तो वो था याचना की। वो करुण नेत्रों से दोनों को देख रहा था....मानो कि रहम की भीख मांग रहा हो।
                            परन्तु उसे क्या पता था कि वो ऐसे कसाई के चंगुल में फंस चुका है, जो न तो उसे जीने देंगे और न ही मरने की इजाजत देंगे। सलिल और रोमील तो ऐसे आँफिसर थे, जो अपनी पर आ जाए, तो पत्थर को भी बोलने पर विवश कर सकते थे।....तो फिर श्रीकांत भल्ला की बिसात ही क्या थी? वैसे भी वो ए.सी. रूम में काम करने के कारण कमजोर इम्युनिटी का था। बीतते समय के साथ ही श्रीकांत भल्ला के दिलों की धड़कन बढती जा रही थी और आखिरकार सलिल उसके करीब आकर उससे मुखातिब हुआ।
तो श्रीमान बतलाएंगे कि होटल में आखिर ऐसा क्या हुआ कि नंदा को अपनी जान गंवानी पड़ी। बोलने के साथ ही सलिल ने अपनी आँखों को भल्ला के चेहरे पर गड़ा दी। जबकि उसके प्रश्न सुनकर भल्ला अकबकाया।...उसे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले? सच का उसे शायद पता नहीं था और झूठ बोलने पर मार पड़नी थी। ....परन्तु चुप भी तो नहीं रह सकता था, इसलिये सलिल से आँखें मिलाकर बोला।
सर....सच कहता हूं कि यह घटना कैसे घटी?....इसकी जानकारी बिलकुल भी नहीं है। अभी भल्ला अपनी बाते खतम भी नहीं कर पाया था कि स्वर गुंजा।
तड़ाक......।
आवाज अधिक तीव्र था, जो सलिल के हाथों द्वारा उसके गाल पर पड़ने के स्वरूप उत्पन्न हुई थी। इसके बाद तो भल्ला के मुंह से चीख निकली और वो अपने गाल सहलाने लगा। जबकि सलिल उसकी आँखों में झांककर गुर्रा कर बोला।
अबे कमीने, गोटी किसको दे रहा है? साले....तेरे होटल रूम में अय्याशी होती थी और तू बोलता है कि तुम्हें मालूम ही नहीं। साले....सच-सच बोल, नहीं तो समझ ले कि छठी की दूध याद करा दूंगा। सलिल ने अपनी बातें खतम की और फिर भल्ला को क्रूर नजरों से देखने लगा, जबकि भल्ला बकरी की तरह मिमिया कर बोला।
सर......मैं सच कह रहा हूं कि इस घटना के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।
                           बस इतना बोलना था और सलिल भल्ला पर पिल पड़ा, वह उसकी धुआँधार पिटाई करने लगा। जिसके परिणाम स्वरूप टाँर्चर रूम की दीवार भल्ला के चीखो-पुकार से दहलने लगी। परन्तु इसका कोई असर सलिल पर नहीं हुआ, उसने तो भल्ला को ठोकरों पर रख लिया और जब वो थक गया, रोमील ने मोर्चा संभाल ली। परन्तु भल्ला पर किसी प्रकार की रहम नहीं की गई। जिसके परिणाम स्वरूप ही भल्ला पंद्रह मिनट में ही लहूलुहान होकर बेहोश हो गया था। परन्तु अभी तक सलिल को संतुष्टि नहीं पहुंची थी। इसलिये उसने पानी मंगवा कर भल्ला पर डाला और जब भल्ला होश में आया, फिर से उसकी तुड़ाई शुरु कर दी गई।
                             परन्तु भल्ला "भला उस बात को कहां बताता, जिसके बारे में उसे खुद जानकारी नहीं थी"। ऐसे में सलिल ने ही हार मान ली और रोमील को आदेश दिया कि भल्ला को लाँकअप में पहुंचा दे और खुद पुलिस स्टेशन के बाहर की ओर निकलने के लिए बढा। बाहर वो स्काँरपियों के करीब पहुंचा ही था कि रोमील बाहर निकल कर आ गया। फिर तो सलिल ने खुद ड्राइविंग शीट संभाली, जबकि रोमील बगल में बैठ गया।.....इसके बाद स्काँरपियों श्टार्ट हुई और पुलिस स्टेशन से बाहर निकली और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी। इधर कार के रफ्तार पकड़ते ही रोमील के हृदय में जो विचार दौड़ रहे थे, उसे बाहर लाने को तत्पर होकर बोला।
सर......"भल्ला" ने तो कुछ बताया नहीं, फिर हम लोग क्या करेंगे?
क्या करेंगे से मतलब?.....आखिर तुम कहना क्या चाहते हो? बोल कर सलिल एक पल के लिए रुका, फिर आगे बोला।....मेरे भाई रोमील.....भल्ला को जो मालूम होगा, वही बतलाएगा न।
तो फिर आप कहना चाहते है कि "भल्ला" निर्दोष है? रोमील चौंक कर बोला। जिसके बाद सलिल के होंठों पर मुस्कान छा गई और वो धीरे से बोला।
अमा यार रोमील.....तुम भी न, बिना मतलब की बातें करते हो। भला, "भल्ला" निरपराध कैसे हो गया? उसके मैनेजर रहते होटल में दो नंबर का काम होता था और इसलिये ही यह दुर्घटना घटित हुई है। बोलने के बाद एक पल रुककर सलिल ने रोमील के चेहरे को देखा, फिर आगे बोला।.... परन्तु इस अपराध से "भल्ला" का दूर-दूर तक का रिश्ता नहीं है, क्योंकि यह एक आम मर्डर नहीं होकर सीरियल मर्डर है, मेरे विचार से।
सीरियल मर्डर से मतलब सर? आप कहना क्या चाहते है? रोमील तनिक उत्तेजित होकर बोला। जिसके जबाव में सलिल मुस्करा कर पूर्ववत बोला।
इसका मतलब यही है कि यह एक मर्डर मिस्ट्री है। मैंने जो इस केस में अब तक समझा है, उसके अनुसार इस केस में अभी और भी वारदात होने बाकी है। सलिल बोलकर चुप हुआ, तो रोमील ने टाँपिक ही बदल दिया।
सर....अभी हम लोग कहां जा रहे है?
तुम न रोमील....बहुत ज्यादा सवाल करते हो। चिढ कर बोला सलिल, परन्तु दूसरे ही पल उसने संक्षिप्त उत्तर दिया। हम अभी पोस्टमार्टम विभाग के डाक्टर संजीव पाहूजा के पास जा रहे है।
                           बोलने के बाद सलिल ने चुप्पी साध ली, जिसके बाद रोमील आगे बोलने की हिम्मत नहीं कर सका। जिसके परिणाम स्वरूप स्काँरपियों के अंदर पूर्ण शांति छा गई, रह गया तो सिर्फ इंजन की आवाज। कार सड़क पर सरपट दौड़ती जा रही थी, पीछे लंबी-लंबी बिल्डिंगो की कतार छोड़ते हुए।.....परन्तु कार में फैली शांति उनके हृदय में नहीं थी। जहां रोमील बाँस द्वारा कहे बातों का मनो-मंथन कर रहा था, वही सलिल इस घटना क्रम में उलझा हुआ था।.....उसने नंदा के हत्या की वीडियो देखी थी, वह भी अनेकों बार,...फिर भी उसके समझ में कुछ भी नहीं आया था।
                          वह तो इसी बिंदु पर उलझा हुआ था कि ड्रेसिंग टेबुल का शीशा टूटकर अचानक ही बिखरा किस प्रकार से।....फिर तो एक शीशे का टुकड़ा पेट में धंसने से नंदा की मौत कैसे हो गई? सवाल गंभीर था और इसका उत्तर तभी मिल सकता था, जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ जाए। इसलिये ही वो संजीव पाहूजा से मिलना चाहता था। जब वो संजीव पाहूजा के आँफिस में पहुंचा, दिन के ढाई बज चुके थे।....वह डाक्टर साहब से मिला तो जरूर, परन्तु उसके हाथ निराशा ही लगी," क्योंकि अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई थी। ऐसे में वह रोमील के साथ वहां से निकला और फिर दोनों स्काँरपियों में बैठकर निकले।.....परन्तु अब की सलिल बेवजह ही कार को दिल्ली की सड़क पर दौड़ा रहा था। " नहीं ऐसा कहना भी उचित नहीं होगा कि वह बेवजह ही दिल्ली की सड़कों को नाप रहा था।
                       एक तो उसे समय बिताना था और दूसरे उसे विचार करने के लिए समय चाहिए था और इसलिये ही वो अभी पुलिस स्टेशन लौटना नहीं चाहता था। ……परन्तु विचार तो उलझते ही जा रहे थे, वो जितना चाहता था कि सुलझ जाए "विचारों की श्रृंखला उसपर हावी होती जा रही थी। कार जिस रफ्तार से दिल्ली की सड़क पर दौड़ रही थी, उसी रफ्तार से उसके विचार भी दौड़ रहे थे और इसी कशमकश में शाम के छ बज गए। तब थक-हार कर सलिल ने कार का रुख पुलिस स्टेशन की ओर कर दिया। अब वो अपने आँफिस को लौटना चाहता था, क्योंकि उसे बहुत से काम निपटाने थे।
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क्रमशः-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

16 सितम्बर 2022
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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022
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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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