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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022

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रोहिणी पुलिस स्टेशन!
इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव गोते लगा रहे थे। "ऐसा कैसे हो सकता है कि उसने अभी अपराध के बारे में चर्चा की और अभी अपराध घटित हो गया"। क्या यह महज एक संजोग है? या फिर उसकी जुवान ही काली है। बस सलिल संशय और आश्चर्य के सागर में डुबकी लेता हुआ अपनी शीट के पास पहुंचा और धम्म से बैठ गया। इस समय उसके हाव-भाव से ऐसा ही प्रतीत हो रहा था कि जैसे वो शक्तिहीन हो चुका हो।
                               जबकि रोमील, उसे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। क्या भला साहब अच्छे मुड में थे, परन्तु आखिर ऐसी क्या बात हुई कि एक दम से लुंज- पुंज हो गए। ज्यादा तो कुछ नहीं, “परन्तु वह इतना तो समझ ही चुका था कि कोई अनहोनी घटित हुई है"। परन्तु क्या? यह उसके लिए सवाल ही था। वैसे तो रोमील अभी जीवन के बारे में ज्यादा नहीं समझता था, आखिर उसकी उम्र भी तो अधिक नहीं थी। परन्तु साहब के साथ नौकरी करते हुए इन दो वर्ष में बहुत कुछ समझ गया था।....वो अच्छी तरह से जानता था कि किसी के चेहरे पर आश्चर्य का भाव आना, मतलब नहीं होने बाली बात घटित हो गई है। लेकिन क्या? इसी प्रश्न का उत्तर जानने के लिए उसने हिम्मत जुटाकर सलिल से प्रश्न पुछा।
आखिर बात क्या है सर कि आप इस तरह से हैरान- परेशान है? रोमील ने प्रश्न पुछा और अपनी नजर सलिल के चेहरे पर टिका दी। जबकि सलिल, जब वो परेशान हो, उस समय उससे कोई प्रश्न पुछे, उसे नागवार गुजरता था।  इस समय भी उसके चेहरे पर नाराजगी दिखी, परन्तु वह तुरन्त ही सामान्य हो गया, फिर बोला।
घटित हो चुका है!
लेकिन क्या? आधे-अधूरे उत्तर सुनकर रोमील ने अपने प्रश्न को दुहरा दिया। जबकि दुबारा प्रश्न सुनकर सलिल के स्वर में नाराजगी की गंध आ ही गई। वो तनिक उखड़े हुए स्वर में बोला।
तुम भी न रोमील, बहुत सवाल किया करते हो। कभी तो थोड़ी शांति भी रखा करो और अपने जुवान को आराम दिया करो। सलिल ने जब अपनी बात खतम की, रोमील कांप चुका था। वह समझ चुका था कि साहब नाराज हो चुके है, इसलिये संयमित स्वर में बोला।
ज...जी सर! वह सहमें हुए स्वर में बोला। जबकि उसकी बातें सुनकर सलिल तुरंत ही शांत हो गया और अपनी जगह से उठता हुआ बोला।
तुम जल्दी मेरे साथ चलो, फिर रास्ते में बतलाता हूं कि आखिर हुआ क्या है।
                       बोलने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। फिर क्या था, रोमील ने उसका अनुसरण किया। दोनों बाहर आकर पुलिस वान में बैठे और सलिल ने वान श्टार्ट की और दौड़ा दिया। वान गेट से निकली और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी। जबकि इसी बीच सलिल ने डाँग स्क्वायड एवं फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट को काँल कर दिया। उसके बाद उसने ड्राइविंग पर अपनी नजर जमा दी। लेकिन इसका मतलब ये नहीं था कि उसका ध्यान कहीं और नहीं था। उसकी तिरछी नजर पास हो रहे दोनों किनारे की बिल्डिंग को भी देख रही थी। रात के दस बज चुके थे और ऐसे में दिल्ली की सड़क पर ट्रैफिक में कमी आ गई थी। "सलिल सड़क के दोनों ओर बहुमंजिला इमारतों एवं मल्टी स्टोर को देखे जा रहा था" । साथ ही उसकी तिरछी नजर कभी-कभी रोमील के चेहरे पर भी जाकर टिक जाती थी।....वह जानता था कि रोमील उसके व्यवहार से दुःखी है, स्वाभाविक ही है कि उसे इस प्रकार से बात नहीं करनी चाहिए थी। बस इतना सोचने के बाद सलिल रोमील को संबोधित करके धीमे स्वर में बोला।
रोमील! साँरी यार, वैसे तुमने पुछा था न कि क्या हुआ? बोलकर सलिल रुक सा गया। जबकि उसको बोलते देख कर रोमील चहक कर बोला।
यश सर! मैं जानना चाहता था कि एक फोन काँल ने आपके चेहरे के भाव को कैसे बदल दिया? बस एक फोन काँल और आप आश्चर्य के सागर में डूब से गए।
बात ही कुछ ऐसी है रोमील। मैंने तुमको कहा था न कि आजकल अपने इलाके में शांति है।....परन्तु सिर मुड़वाते ही जैसे ओले पड़े हो, मेरी जुवान "काली" साबित हुई। मैंने इधर अपनी बातें खतम नहीं की, उधर होटल "सांभवी " में मर्डर हो चुका था। रोमील के प्रश्न सुनकर सलिल बोला, फिर एक पल रुकने के बाद बोला। अब मैं क्या जानता था कि मैं बोलूंगा और अपराध घटित हो जाएगा। अब इसे संयोग कहे, या अभिशाप कि बोला नहीं और अपराध घटित भी हो गया। बोलने के बाद सलिल तिरछी नजर से रोमील के चेहरे को देखने लगा, जबकि उसके हाव-भाव से लग रहा था कि वो तल्लीनता के साथ ड्राइव कर रहा है। पुलिस जिप्सी आगे की ओर सरपट दौड़ती जा रही थी।
नहीं सर! आप भी न खामखा ही उस बात को दिल पर ले बैठे है। वैसे भी अपराध घटित होना था, तो होता ही, चाहे आप बोलते, या नहीं बोलते। सलिल के चुप होते ही रोमील उत्साहित होकर बोला।
                          उसकी बातें सुनकर सलिल कुछ बोलने ही बाला था, लेकिन फिलहाल उसने अपने इरादे को टाल दिया। क्योंकि होटल सांभवी आ चुका था और अब उसे कार्रवाई को अंजाम देना जो था। सलिल ने पुलिस जिप्सी को होटल गेट के अंदर घुसाया और कंपाऊंड में खड़ी कर दी। फिर वे दोनों जिप्सी से बाहर निकले और बिल्डिंग की ओर बढ चले। जिप्सी से उतरते समय ही सलिल की तेज नजर ने देख लिया था कि पुलिस टीम आ चुकी है। इसका मतलब है कि काम शुरु हो चुका है। इसलिये उसने अपनी चाल तेज कर दी। वे होटल के उस रूम में पहुंचे, जहां " वारदात" घटित हुआ था।
                              वहां पहुँचने के बाद सलिल ने नंदा की लाश को देखा। "लाश" को नंगी अवस्था में देखकर सलिल के तो हाथ-पाँव ही फूल गए। कहीं मीडिया बालों ने लाश को इस अवस्था में देख लिया, तिल से ताड़ बनाते देर नहीं करेंगे। फिर तो उसकी शामत ही आनी है, क्योंकि उसका खड्डूस बाँस तो बस मौके की तलाश में ही रहता है। बस मौका मिला नहीं कि उसपर राशन-पानी लेकर चढ दौड़ेगा।.....सोचकर ही सलिल ने झुरझुरी सी ली, फिर उसने फिंगर एक्सपर्ट जयकांत बात्रा को निर्देशित किया कि लाश को ढक दे। परन्तु जयकांत बात्रा ने उसको समझाया कि अभी सबूत इकट्ठी करनी है, इसलिये लाश के साथ छेड़छाड़ करना ठीक नहीं।
                               जयकांत की बातें सुनकर उसने हामी भरी, फिर वहां खड़े पुलिस के जवानों को निर्देशित करने लगा कि जब तक वो नहीं कहे, मीडिया बाले को अंदर आने नहीं दे। उसके बाद सलिल लाश के पास बैठ गया और गहरी नजर से नंदा के जिस्म को देखने लगा। तभी उसकी नजर दूर कोने में बैठे श्रेयांश पर गई। सलिल उठा और श्रेयांश के पास पहुंचा। उसे अपनी ओर बढता देख श्रेयांश की धिग्धी बंध गई, जबकि सलिल उसके करीब ही बैठ गया।.....फिर अपने हाथ को उसने श्रेयांश के कंधे पर टिका दिया। उसका सहानुभूति भरा स्पर्श पा कर श्रेयांश थोड़ा शांत हुआ और सलिल को घटना के बारे में बतलाने के लिए उद्धत हुआ।.....परन्तु उससे बिना कोई सवाल किए ही सलिल उठा और होटल के दूसरी तरफ बढ गया।
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क्रमशः-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

16 सितम्बर 2022
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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022
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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

18 सितम्बर 2022
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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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