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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022

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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन को था और वो पिछले दो दिनों से अपनी डियूटी पूरी मुस्तैदी से "निभा" रहा था। परन्तु आज इस होटल में सीनियर अधिकारियों के दौरे होने थे, साथ में भूत नाथ भी आने बाला था।
                     बस समय निर्धारित होने के साथ ही होटल "सांभवी" के आस-पास हलचल बढ गई थी और इसे सुचारु रुप से चलाने की जिम्मेदारी राम माधवन एवं रोमील को दी गई थी।.....इसलिये रोमील कब का राम माधवन की मदद करने के लिए पहुंच चुका था। वैसे तो यहां पर ज्यादा कुछ नहीं करना था। बस तांत्रिक भूत नाथ यहां पर आकर तांत्रिक विधि को करने बाला था और इस कार्यक्रम को मीडिया बाले कबरेज करें, इसलिये पुलिस ने मीडिया बालों को भी बुला लिया था।....बस यही टेंशन था पुलिस बालों को कि.....कहीं एन मौके पर ही सब गुड़- गोबर नहीं हो जाए।
                          इसलिये सलिल ने रोमील को विशेष हिदायत देकर भेजा था, साथ ही पुलिस फोर्स की एक कंपनी "होटल" के आस-पास तैनात कर दी गई थी और अब जो रोमील यहां पहुंचा। उसने होटल के लाँक गेट को खुलवाया और फिर राम माधवन के साथ अंदर जाकर जायजा लिया।.....साथ ही एक सिपाही को उस रूम को धोने को कहा,...."जिसमें अपराध घटित हुआ था। सिपाही ने आदेश मिलते ही अपने काम की शुरुआत कर दी, जबकि राम माधवन व रोमील ने होटल बिल्डिंग के एक चक्कर लगाए और जब दोनों लौटे, रूम साफ हो चुका था। ऐसे में स्वाभाविक ही था कि दोनों के चेहरे पर चमक आ जाए।
                   इसके बाद दोनों वहां से निकले और हाँल में आकर बैठ गए एवं अधिकारियों का काफिला आने का इंतजार करने लगे। फिर बीतते समय के साथ ही दोनों के चेहरे पर बेचैनी का भाव परिलक्षित होने लगा, क्योंकि किसी का भी इंतजार करना कितना दुष्कर होता है,....यह तो इंतजार करने बाला ही बतला सकता है।....परन्तु उन्हें ज्यादा देर तक इंतजार नहीं करना पड़ा, क्योंकि चार बजते ही गाड़ियों का काफिला आने लगा।.....गाड़ियों की आवाज सुनते ही रोमील एवं राम माधवन तेजी से बाहर निकले, तब तक उन्हें सामने से सीनियर अधिकारी के साथ सलिल आता दिखाई दिया। राम माधवन ने उन लोगों को सैल्यूट दिया,....परन्तु सलिल एवं आने बाले अधिकारियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
                       इसके बाद मीडिया बालों की भी टीम आ गई और उन लोगों ने भी हाँल का रुख किया। सब से अंत में पांच मिनट बाद एस. पी. साहब की गाड़ी ने होटल कंपाऊंड में प्रवेश किया और पोर्च में रुकी। फिर उसमें से एस. पी. साहब के साथ तांत्रिक भूत नाथ बाहर निकला। उन्हें देखते ही दोनों ने सैल्यूट दिया, जिसका जबाव एस. पी. साहब ने मुस्करा कर दिया।.....फिर तो सभी होटल बिल्डिंग की ओर बढ गये,....लेकिन गेट के पास पहुंचते ही तांत्रिक भूत नाथ अचानक ही रुक गया।.....उसका यूं ही अचानक रुकना....ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उसे अदृश्य ताकत ने रोक लिया हो।....फिर तो वो होंठों ही होंठों में कुछ बुदबुदाने लगा और अचानक ही उसने हुंकार भरी।
                इसके बाद एस. पी. साहब के साथ उसने हाँल में कदम रखा। जबकि उसके इस नौटंकी पर जहां एस. पी. साहब के होंठों पर मंद-मंद मुस्कान छा गई, वही पर राम माधवन कूढ कर बोला,...."साला कमीना, नौटंकी तो ऐसे करता है, जैसे अदृश्य शक्तियों से सीधा ताड़ जोड़ रखा हो"। लेकिन राम माधवन के होंठों से निकला स्वर इतना धीमा था कि उसकी गूंज सिर्फ रोमील के कानों तक ही पहुंच सकी। उसकी बातें सुनकर रोमील के होंठों पर मुस्कान आकर गायब हो गई। फिर वे लोग हाँल के अंदर पहुंचे। तब तक तो सलिल पुजा विधि करवाने के लिए उस रूम में वेदी बनवा चुका था, जिसमें वारदात हुई थी। हाँल में उन लोगों के पहुंचने पर हद ही हो गई, क्योंकि तांत्रिक भूत नाथ वहां रुका नहीं।
                            वह सीधे कदमों से तेजी से चलता हुआ उसी रूम में पहुंचा और वहां पहुंचने के बाद ही रुका। फिर तो देर ही किस बात की थी, वह आसन पर बैठ गया और ऊँचे स्वर में मंत्र बुदबुदाने लगा और फिर हाथों में जल लेकर सीधे हवन वेदी में डाला। उसके इस क्रिया से अचानक ही हवन के लिये रखी लकड़ियों ने आग पकड़ा और धूं-धूं कर जलने लगी। फिर तो तांत्रिक भूत नाथ के होंठों से निकलता "मंत्र स्वर" उच्च आवाज में गुंजायमान होने लगा। उसकी ये हरकत मीडिया बाले लाइव प्रसारण कर रहे थे। जबकि रूम में मौजूद एस. पी. साहब, सलिल, रोमील, राम माधवन एवं पुलिस के अधिकारी, सभी ध्यान पूर्वक उसकी कार्यवाही देख रहे थे।
                          बीतते समय के साथ ही तांत्रिक भूत नाथ, अग्नि में हविश को डालने लगा और उच्च स्वर में मंत्र बुदबुदाने लगा और अचानक ही,.....उसके चेहरे के हाव-भाव बदले। उसकी आँखें अचानक ही लाल-लाल हो गई, उसके बाल बिखर गए और फिर वह दबी-दबी आवाज में चिल्लाने लगा,....."रति संवाद-रति संवाद"। उसे इस प्रकार से चिल्लाता देखकर रूम में मौजूद सभी व्यक्ति की आँखें आश्चर्य से फैलने लगी। जबकि तांत्रिक भूत नाथ अपने स्वर उच्चारण की गति को बढाता जा रहा था-बढाता जा रहा था और अचानक ही रुका। उसने अपनी आँखें बंद कर ली और थोड़ी देर के लिए ध्यानस्थ मुद्रा में हो गया।
                    उसके इस हरकत पर रूम में मौजूद सभी व्यक्तियों की सांसे अधर में फंस गई। तभी भूत नाथ ने अपनी आँखें खोली और फिर से हवन करने लगा। फिर तो वो करीब पंद्रह मिनट तक तांत्रिक क्रियाओं को करता रहा और उसके इस कर्मकांड की लाइव रिपोर्टिंग होती रही। इसके बाद वो रुका और एस पी. साहब की और भरपूर नजरों से देखने के बाद बोला।
एस. पी. साहब....वह कोई प्रेतात्मा है.....खून की प्यासी आत्मा!....जो अतृप्त है और इसी तृप्ति की चाह में वह इन हत्याओं को अंजाम दे रहा है। बोलने के बाद भूत नाथ ने एस. पी. साहब के चेहरे को देखा, मानो जानने की कोशिश कर रहा हो कि उसके बातों का कितना प्रभाव हुआ है। जबकि उसकी बातों को सुनकर एस. पी. साहब गंभीर स्वर में बोले।
तो फिर आप ही बताओ......कि इसके उपाय क्या है और पुलिस को आगे क्या करना चाहिए?
उपाय.....उपाय करने की सोचना भी मत!...क्योंकि जो संभव ही नहीं, उसे करोगे कैसे? वह आत्मा बहुत ही शक्तिशाली है और वह किसी के बस में आने बाली नहीं। भूत नाथ ने ऊँचे स्वर में कहा और एक पल रुककर अपने शब्दों के प्रभाव को देखता रहा, फिर आगे बोला। वह अतृप्त आत्मा लड़के का है और वो लड़की से धोखा खाया हुआ है।.....ऐसे में वो बदले की भावना से ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहा है।.....ऐसे में उसको सिर्फ और सिर्फ तांत्रिक विधि द्वारा ही रोका जा सकता है, जो मैं करूंगा। भूत नाथ अपने अंतिम के शब्दों पर भार देकर कहा।
               इसके बाद एस. पी. साहब ने अपनी शंकाओं को उसके सामने व्यक्त किया, जिसका समुचित उत्तर भूत नाथ ने दिया। उधर उन दोनों में बातें हो रही थी, इधर सलिल मन ही मन कूढ रहा था। उसे इतना तो पता था कि अभी जो इस रूम में हो रहा है,...."ढकोसला” के सिवा कुछ भी तो नहीं"। परन्तु उसकी मजबूरी यह थी कि इस ढकोसले को वह रोक नहीं सकता था। वह यह भी जानता था कि इससे कुछ हासिल होने बाला नहीं, इसलिये उसके चेहरे पर उकताहट के भाव थे। आखिरकार जब सलिल ज्यादा ही व्यग्र हो गया,....उसने राम माधवन एवं रोमील के चेहरे को देखा और उसके मन में संतुष्टि के भाव जगे। क्योंकि एक वही नहीं था, जिसके चेहरे पर ऐसे भाव थे, जबकि दोनों के चेहरे से वही भाव परिलक्षित हो रही थी।
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क्रमश:-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022
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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

16 सितम्बर 2022
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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022
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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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