श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो। लेकिन पूरा होटल छान मारने के बावजूद भी उसके हाथ ऐसी कोई भी चीज नहीं लगी, जिसे वो अपने काम की समझता। इसलिये होटल का एक चक्कर लगाने के बाद वो वापस उसी रूम में आ गया, जहां नंदा की लाश रखी हुई थी।.....परन्तु वो नंदा के लाश के करीब जाने के बजाए सीधे श्रेयांश के पास पहुंच गया और उसके करीब पलथी मारकर बैठ गया। फिर श्रेयांश की आँखों में झांकते हुए सपाट स्वर में बोला।
बर्खुर्दार! आप अपना परिचय देंगे?
ज....जी सर! श्रेयांश, श्रेयांश मजुमदार। श्रेयांश सलिल के प्रश्न सुनकर हकला कर बोला। जबकि उसका जबाव सुनकर सलिल के होंठों पर मंद-मंद मुस्कान छा गई। उसने एक मिनट तक श्रेयांश के चेहरे का अवलोकन किया, फिर शब्दों को चबा-चबा कर बोला।
तो श्रीमान! अब यह भी बतला दो कि इस होटल में तुम दोनों कर क्या रहे थे?
कुछ नहीं सर-कुछ नहीं सर। श्रेयांश जल्दी-जल्दी बोला, फिर रुका, उसके बाद बोला। सर, नंदा और हम अच्छे मित्र थे और बस होटल घूमने आए थे।
तड़ाक! जोरदार चांटे की आवाज रूम में गूंजा। साथ ही श्रेयांश की दबी-दबी चीख भी गूंजी। साथ ही सलिल गुर्रा कर बोला। अबे, मुझे चुतिया समझता है क्या! जो मुझे कच्ची गोलियां दे रहा है। बोलने के बाद सलिल थोड़ी देर के लिए रुका और देखा, श्रेयांश अपने गाल सहला रहा था, क्योंकि सलिल के पाँचों अंगुलियों के निशान उसके गाल पर छप चुके थे। स्वाभाविक था कि भय की स्याह परत उसके आँखों में फैल गई थी। उसके मानसिक स्थिति को समझने के बाद सलिल फिर से पूर्ववत बोला। इत्ता सा है तू और मुझे बेवकूफ बना रहा है। अबे, मैं नहीं जानता कि एक लड़का और एक लड़की होटल में इतनी रात को क्या करने आते है।
ज......जी सर! सहम कर बोला श्रेयांश। जबकि उसकी बाते सुनी-अनसुनी कर के सलिल ने रोमील को आवाज दी और ऊँचे स्वर में बोला।
रोमील!......जरा श्रेयांश के पट्ठे को हथकड़ी लगाकर पुलिस स्टेशन लेकर चलो। वहां चलकर इसका जमकर स्वागत करेंगे। फिर देखना कि यह किस प्रकार से सत्य सुनाता है।
सलिल का बोलना और श्रेयांश के हौसले पस्त हो गए। अब वह अच्छी तरह से समझ चुका था कि पुलिस को घटित घटना के बारे में पूरी डिटेल से बताना होगा, अन्यथा वह सुनता आया था कि " पुलिस की मार मुर्दों से भी सच उगलवा लेती है"। इसलिये वो टेप रिकार्ड की तरह बतलाने लगा कि वह नंदा के साथ यहां पर क्यों आया था। वह कुछ देर पहले घटित हुए घटना की एक- एक बारीकियों को बतलाने लगा। सलिल उसकी बातों को ध्यान पूर्वक सुन रहा था, साथ ही उसकी नजर श्रेयांश के आँखों में ही गड़ी थी।....इतना तो वो समझ चुका था कि श्रेयांश सच बोल रहा है, लेकिन उसका तसदीक करना बाकी था। इसलिये जब श्रेयांश ने अपनी बात खतम की, सलिल वहां से उठा और रोमील के पास पहुंचा, साथ ही उसने जयकांत से पुछा कि उसका काम हो गया?
जयकांत ने तत्परता के साथ हां में सिर को हिलाया। फिर क्या था, सलिल ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजने को कहा। फिर रोमील से बोला कि इस होटल के मैनेजर के पास चलो। बाँस का आँडर, रोमील सलिल को लेकर उधर चल पड़ा, जिधर होटल के मैनेजर श्रीकांत भल्ला का आँफिस था।....जब वे दोनों भल्ला के आँफिस में पहुंचे, उन्होंने देखा कि घबराहट में डूबा हुआ भल्ला सिगरेट पर सिगरेट फूंके जा रहा था।....दोनों करीब दो मिनट तक गेट पर ही खड़े होकर भल्ला के हरकतों को देखते रहे। "तभी भल्ला की नजर उन दोनों पर पड़ी और वो उछलकर खड़ा हो गया, मानो उसके चेयर के नीचे स्प्रिंग लगा हो"। फिर जबरन अपने शब्दों में मिठास घोल कर उसने दोनों का स्वागत किया।
फिर तो दोनों आगे बढे और खाली कुर्सी पर बैठ गए, तब भल्ला भी बैठ गया। भल्ला भले ही नार्मल दिखने की कोशिश कर रहा था, परन्तु उसके चेहरे पर खौफ स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहा था। भल्ला ने सलिल के बारे में सुन रखी थी और वो पुलिसिया रवैये को भी अच्छी तरह से जानता था। जबकि दूसरी तरफ सलिल ने भरपूर नजरों से आँफिस को देखा, आँफिस की सजावट बेहतरीन तरीके से की गई थी।....वहां हर एक सुविधा की वस्तु मौजूद थी, जो एक काँर्पोरेट आँफिस में होता है। आँफिस का मुआयना कर लेने के बाद सलिल ने भल्ला के आँखों में देखा और बोला।
श्रीमान भल्ला साहब! आप प्रकाश डालेंगे कि इस होटल में किस-किस प्रकार की गतिविधि हो रही थी।
ज....जी कुछ नहीं सर। अमूमन जैसा कि हर होटल में होता है, यहाँ भी ग्राहकों को सुविधा दी जाती है। सधे हुए स्वर में बोला भल्ला, जबकि सलिल इस बार गुर्रा कर बोला।
तो फिर नंदा और श्रेयांश उस कमरे में क्या करने के लिए गए थे? श्रीमान भल्ला, कृपया कर इन बातों पर प्रकाश डाल सकते है। सलिल बोला फिर उसके चेहरे को देखने लगा। जबकि एक बारगी को लगा कि भल्ला टूट जाएगा, परन्तु वह भी ढीठ था, शब्दों को तौल-तौल कर बोला।
सर, आप भी न, किस प्रकार की बात करते है? आप तो जानते है कि होटल का काम सुविधा मुहैया कराना है। फिर रूम के अंदर जाकर ग्राहक क्या करते है, होटल इस की जिम्मेदारी कैसे ले सकता है।
भल्ला बोलने को तो इन बातों को बोल गया, परन्तु उसे क्या पता था कि उसके सामने जल्लाद बैठा हुआ है। अभी तो भल्ला की बात खतम भी नहीं हुई थी कि "सलिल पूरे दमखम से उसपर पिल पड़ा और उसको ठोकरों पर रख लिया। "सलिल तो वहशी हो चुका था" उसने यह नहीं देखा कि चोट कहां लग रही है। वो तो बस मारता ही रहा और रूम में भल्ला की कराह गूंजती रही। आखिर मारते-मारते सलिल थक गया, उसकी सांसें फूल गई, परन्तु भल्ला नहीं टूटा। ऐसे में समय की कमी को जानकर सलिल ने रोमील से उसको गिरफ्तार करने के लिए कहा और आँफिस से निकल कर उस रूम में पहुंचा, जहां वारदात हुई थी।
वहां आते ही जयकांत ने उसको बताया कि नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई है। ऐसे में वहां रुके रहने का कोई मतलब ही नहीं था। तभी रोमील भी वहां भल्ला को लेकर पहुंचा। बस सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि श्रेयांश को भी लेकर चले। इसके बाद वो होटल से बाहर निकलने के लिए बढा। परन्तु होटल के बिल्डिंग से बाहर आते ही उसको मीडिया बालों ने घेर लिया। ऐसे में सलिल ने कोशिश की कि किसी भी तरह से मीडिया बालों से पिंड छुड़ा ले। परन्तु मीडिया बालों ने उसकी एक नहीं चलने दी। ऊपर से मीडिया बालों के ऊट-पटांग सवाल, बस सलिल चिढ गया और मीडिया बालों से उलझ गया। वो तो भला हो रोमील का कि उसने सलिल को संभाला और खींचकर गाड़ी के पास लेकर गया। फिर वे लोग जिप्सी में बैठे, भल्ला और श्रेयांश को पहले ही बैठा दिया गया था। इसके बाद ड्राइविंग शीट पर बैठे रोमील ने जिप्सी श्टार्ट करके आगे बढा दी।
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क्रमशः-