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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

16 सितम्बर 2022

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो। लेकिन पूरा होटल छान मारने के बावजूद भी उसके हाथ ऐसी कोई भी चीज नहीं लगी, जिसे वो अपने काम की समझता। इसलिये होटल का एक चक्कर लगाने के बाद वो वापस उसी रूम में आ गया, जहां नंदा की लाश रखी हुई थी।.....परन्तु वो नंदा के लाश के करीब जाने के बजाए सीधे श्रेयांश के पास पहुंच गया और उसके करीब पलथी मारकर बैठ गया। फिर श्रेयांश की आँखों में झांकते हुए सपाट स्वर में बोला।
बर्खुर्दार! आप अपना परिचय देंगे?
ज....जी सर! श्रेयांश, श्रेयांश मजुमदार। श्रेयांश सलिल के प्रश्न सुनकर हकला कर बोला। जबकि उसका जबाव सुनकर सलिल के होंठों पर मंद-मंद मुस्कान छा गई। उसने एक मिनट तक श्रेयांश के चेहरे का अवलोकन किया, फिर शब्दों को चबा-चबा कर बोला।
तो श्रीमान! अब यह भी बतला दो कि इस होटल में तुम दोनों कर क्या रहे थे?
कुछ नहीं सर-कुछ नहीं सर। श्रेयांश जल्दी-जल्दी बोला, फिर रुका, उसके बाद बोला। सर, नंदा और हम अच्छे मित्र थे और बस होटल घूमने आए थे।
तड़ाक! जोरदार चांटे की आवाज रूम में गूंजा। साथ ही श्रेयांश की दबी-दबी चीख भी गूंजी। साथ ही सलिल गुर्रा कर बोला। अबे, मुझे चुतिया समझता है क्या! जो मुझे कच्ची गोलियां दे रहा है। बोलने के बाद सलिल थोड़ी देर के लिए रुका और देखा, श्रेयांश अपने गाल सहला रहा था, क्योंकि सलिल के पाँचों अंगुलियों के निशान उसके गाल पर छप चुके थे। स्वाभाविक था कि भय की स्याह परत उसके आँखों में फैल गई थी। उसके मानसिक स्थिति को समझने के बाद सलिल फिर से पूर्ववत बोला। इत्ता सा है तू और मुझे बेवकूफ बना रहा है। अबे, मैं नहीं जानता कि एक लड़का और एक लड़की होटल में इतनी रात को क्या करने आते है।
ज......जी सर! सहम कर बोला श्रेयांश। जबकि उसकी बाते सुनी-अनसुनी कर के सलिल ने रोमील को आवाज दी और ऊँचे स्वर में बोला।
रोमील!......जरा श्रेयांश के पट्ठे को हथकड़ी लगाकर पुलिस स्टेशन लेकर चलो। वहां चलकर इसका जमकर स्वागत करेंगे। फिर देखना कि यह किस प्रकार से सत्य सुनाता है।
                     सलिल का बोलना और श्रेयांश के हौसले पस्त हो गए। अब वह अच्छी तरह से समझ चुका था कि पुलिस को घटित घटना के बारे में पूरी डिटेल से बताना होगा, अन्यथा वह सुनता आया था कि " पुलिस की मार मुर्दों से भी सच उगलवा लेती है"। इसलिये वो टेप रिकार्ड की तरह बतलाने लगा कि वह नंदा के साथ यहां पर क्यों आया था। वह कुछ देर पहले घटित हुए घटना की एक- एक बारीकियों को बतलाने लगा। सलिल उसकी बातों को ध्यान पूर्वक सुन रहा था, साथ ही उसकी नजर श्रेयांश के आँखों में ही गड़ी थी।....इतना तो वो समझ चुका था कि श्रेयांश सच बोल रहा है, लेकिन उसका तसदीक करना बाकी था। इसलिये जब श्रेयांश ने अपनी बात खतम की, सलिल वहां से उठा और रोमील के पास पहुंचा, साथ ही उसने जयकांत से पुछा कि उसका काम हो गया?
                       जयकांत ने तत्परता के साथ हां में सिर को हिलाया। फिर क्या था, सलिल ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजने को कहा। फिर रोमील से बोला कि इस होटल के मैनेजर के पास चलो। बाँस का आँडर, रोमील सलिल को लेकर उधर चल पड़ा, जिधर होटल के मैनेजर श्रीकांत भल्ला का आँफिस था।....जब वे दोनों भल्ला के आँफिस में पहुंचे, उन्होंने देखा कि घबराहट में डूबा हुआ भल्ला सिगरेट पर सिगरेट फूंके जा रहा था।....दोनों करीब दो मिनट तक गेट पर ही खड़े होकर भल्ला के हरकतों को देखते रहे। "तभी भल्ला की नजर उन दोनों पर पड़ी और वो उछलकर खड़ा हो गया, मानो उसके चेयर के नीचे स्प्रिंग लगा हो"। फिर जबरन अपने शब्दों में मिठास घोल कर उसने दोनों का स्वागत किया।
                           फिर तो दोनों आगे बढे और खाली कुर्सी पर बैठ गए, तब भल्ला भी बैठ गया। भल्ला भले ही नार्मल दिखने की कोशिश कर रहा था, परन्तु उसके चेहरे पर खौफ स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहा था। भल्ला ने सलिल के बारे में सुन रखी थी और वो पुलिसिया रवैये को भी अच्छी तरह से जानता था। जबकि दूसरी तरफ सलिल ने भरपूर नजरों से आँफिस को देखा, आँफिस की सजावट बेहतरीन तरीके से की गई थी।....वहां हर एक सुविधा की वस्तु मौजूद थी, जो एक काँर्पोरेट आँफिस में होता है। आँफिस का मुआयना कर लेने के बाद सलिल ने भल्ला के आँखों में देखा और बोला।
श्रीमान भल्ला साहब! आप प्रकाश डालेंगे कि इस होटल में किस-किस प्रकार की गतिविधि हो रही थी।
ज....जी कुछ नहीं सर। अमूमन जैसा कि हर होटल में होता है, यहाँ भी ग्राहकों को सुविधा दी जाती है। सधे हुए स्वर में बोला भल्ला, जबकि सलिल इस बार गुर्रा कर बोला।
तो फिर नंदा और श्रेयांश उस कमरे में क्या करने के लिए गए थे? श्रीमान भल्ला, कृपया कर इन बातों पर प्रकाश डाल सकते है। सलिल बोला फिर उसके चेहरे को देखने लगा। जबकि एक बारगी को लगा कि भल्ला टूट जाएगा, परन्तु वह भी ढीठ था, शब्दों को तौल-तौल कर बोला।
सर, आप भी न, किस प्रकार की बात करते है? आप तो जानते है कि होटल का काम सुविधा मुहैया कराना है। फिर रूम के अंदर जाकर ग्राहक क्या करते है, होटल इस की जिम्मेदारी कैसे ले सकता है।
                           भल्ला बोलने को तो इन बातों को बोल गया, परन्तु उसे क्या पता था कि उसके सामने जल्लाद बैठा हुआ है। अभी तो भल्ला की बात खतम भी नहीं हुई थी कि "सलिल पूरे दमखम से उसपर पिल पड़ा और उसको ठोकरों पर रख लिया। "सलिल तो वहशी हो चुका था" उसने यह नहीं देखा कि चोट कहां लग रही है। वो तो बस मारता ही रहा और रूम में भल्ला की कराह गूंजती रही। आखिर मारते-मारते सलिल थक गया, उसकी सांसें फूल गई, परन्तु भल्ला नहीं टूटा। ऐसे में समय की कमी को जानकर सलिल ने रोमील से उसको गिरफ्तार करने के लिए कहा और आँफिस से निकल कर उस रूम में पहुंचा, जहां वारदात हुई थी।
                           वहां आते ही जयकांत ने उसको बताया कि नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई है। ऐसे में वहां रुके रहने का कोई मतलब ही नहीं था। तभी रोमील भी वहां भल्ला को लेकर पहुंचा। बस सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि श्रेयांश को भी लेकर चले। इसके बाद वो होटल से बाहर निकलने के लिए बढा। परन्तु होटल के बिल्डिंग से बाहर आते ही उसको मीडिया बालों ने घेर लिया। ऐसे में सलिल ने कोशिश की कि किसी भी तरह से मीडिया बालों से पिंड छुड़ा ले। परन्तु मीडिया बालों ने उसकी एक नहीं चलने दी। ऊपर से मीडिया बालों के ऊट-पटांग सवाल, बस सलिल चिढ गया और मीडिया बालों से उलझ गया। वो तो भला हो रोमील का कि उसने सलिल को संभाला और खींचकर गाड़ी के पास लेकर गया। फिर वे लोग जिप्सी में बैठे, भल्ला और श्रेयांश को पहले ही बैठा दिया गया था। इसके बाद ड्राइविंग शीट पर बैठे रोमील ने जिप्सी श्टार्ट करके आगे बढा दी।
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क्रमशः-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

16 सितम्बर 2022
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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

16 सितम्बर 2022
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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022
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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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