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तांत्रिक भूतनाथ......

16 सितम्बर 2022

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सुबह के आठ बज चुके थे।
प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ था। जबकि रोमील को उसने काम से बाहर भेजा हुआ था।…..वैसे भी रोमील के लौटने के बाद उसे तांत्रिक भूत नाथ के पास जाना था। इसलिये वह चाहता था कि आँफिस के काम जल्द से जल्द निपटा ले। तभी उसे ध्यान आया कि “ होटल “ से लौटने के बाद उसने प्रभास एवं होटल के मैनेजर ऋषिकांत से किसी प्रकार की पूछताछ नहीं की है। इसलिये उसने फाइल साइड में रखा और “रुल” उठाकर आँफिस से बाहर निकला।
                   वैसे तो उसको इस बात की अनुभूति थी कि “उन दोनों” के पास जाकर भी किसी प्रकार की जानकारी नहीं मिलनी है,…..फिर भी डियूटी तो निभाना ही था। इसलिये वो गलियारों से चलता हुआ “लाँकअप “ के करीब पहुंचा और उसकी नजर अंदर बंद प्रभास एवं होटल के मैनेजर ऋषिकांत पर गई। वे दोनों लाँकअप के कोने में दुबके हुए बैठे थे और जैसे ही उन दोनों की नजर “सलिल” पर गई,…..दोनों की धिग्धी बंध गई। लेकिन जब तक दोनों संभल कर बैठ पाते, सलिल लाँकअप को खोलकर अंदर प्रवेश कर चुका था। इसके बाद तो सलिल ने दोनों को संभलने का कोई मौका दिए बिना ही प्रश्नों की झड़ी लगा दी।
                   भला वे दोनों उन प्रश्नों का क्या जबाव देते, जिसके बारे में उन्हें खुद नहीं पता, भला उसके बारे में क्या जबाव देते। इसलिये दोनों चुप्पी साधे ही रहे,….जिसका परिणाम हुआ कि “सलिल” के क्रोध की ज्वालामुखी भड़क उठा। फिर तो वो दोनों पर पिल पड़ा और फिर तो लाँकअप दोनों के चीखो पुकार से दहल उठा। शायद उन दोनों की स्थिति बहुत देर तक ऐसी ही रहती,….अगर रोमील वहां पर न आ गया होता। रोमील के आते ही सलिल ने दोनों को उसी हाल में छोड़ा और फिर बाहर निकला। इसके बाद दोनों आँफिस में पहुंचे। वहां पहुंचते ही रोमील उसको बतलाने लगा कि उसने जाकर कौन-कौन से कार्य का संपादन किया है। सलिल उसकी बातों को सुनकर सिर्फ सहमति में सिर हिलाता रहा।
                                 इसके बाद दोनों आँफिस से बाहर निकले और स्काँरपियों के पास पहुंचे
और वहां पहुंचते ही रोमील ने ड्राइविंग संभाल ली और सलिल बगल बाली शीट पर बैठ गया। इस दरमियान दोनों के बीच चुप्पी छाई रही, हां, रोमील ने कार श्टार्ट करके जरूर आगे बढा दिया था और जैसे ही कार ने रफ्तार पकड़ी, रोमील के अंतर्मन में प्रश्न घुमड़ने लगे। उसे इस बात को जानना था कि “ उसके बाँस के दिमाग में आखिर चल क्या रहा है ?” एवं सुबह -सुबह ही जाना कहां है?.....परन्तु उसका हिम्मत नहीं हो रही था कि अपने प्रश्न पुछ सके। लेकिन उसके मन की दुविधा की स्थिति ज्यादा देर तक टिकी नहीं रह सकी,….क्योंकि उसके मनोभाव को सलिल ने पढ लिया था, इसलिये शांत स्वर में पुछा।
रोमील….मैं देख रहा हूं कि तुम बहुत देर से उलझन में हो,….शायद किसी प्रश्न को पुछना चाहते हो? सलिल ने रोमील को संबोधित करके कहा और उसने अपनी नजर रोमील के चेहरे पर टिका दी। जबकि रोमील अपनी नजर ड्राइव पर टिकाए हुए ही शंकित स्वर में बोला।
सर….!आप के दिमाग में इस समय क्या चल रहा है और हम लोग अभी जा कहां रहे है?
लेकिन इन बातों को तुम्हें जानने की जरूरत क्या आन पड़ी। सलिल ने सपाट स्वर में कहा और गहरी नजरों से रोमील के चेहरे को देखा। जबकि उसके मुख से निकली इतनी सी बात और रोमील की धिग्धी बंध गई। इसके बाद तो उसके कंठ से एक शब्द नहीं निकल सका, वह बस ड्राइव पर नजर जमाये रहा और कार सड़क पर सरपट दौड़ती रही।…..आखिरकार सलिल से नहीं रहा गया और तब वह बोला।….रोमील!...अभी तो मेरे दिमाग में फिलहाल तो कोई योजना नहीं है, रही बात चलने की, तो हम लोग अभी तांत्रिक भूत नाथ के पास जा रहे है। बोलने के बाद सलिल ने चुप्पी साध ली।
                            फिर तो रोमील की हिम्मत ही नहीं हुई कि आगे “किसी प्रश्न को पुछ सके” इसलिये उसने अपना ध्यान ड्राइव पर केंद्रित किया। इसके बाद तो स्काँरपियों सड़क पर सरपट दौड़ती रही और पीछे शहर की बिल्डिंगे छूटती रही। ऐसे में करीब घंटे बाद स्काँरपियों ने दक्षिणी दिल्ली के वीरान इलाके में प्रवेश किया और एक आश्रम के सामने रुकी। वह आश्रम, वीरान इलाके मौजूद विशाल फुस का बना मंदिर के शेप में बना हुआ झोंपड़ी। स्काँरपियों रुकते ही सलिल एवं रोमील बाहर निकले और झोंपड़ी के गेट की ओर बढे। गेट के करीब पहुंचते ही उन दोनों के नथुनों से धुमन जलने की सुगंध टकराई। फिर तो उनका मन वाग-वाग हो गया और फिर दोनों ने अंदर कदम रखा।
                   बाहर से साधारण सी दिखने बाली झोंपड़ी, अंदर से बहुत ही आलीशान एवं भौतिक सुख- सुविधा से परिपूर्ण थी। अंदर की साज-सज्जा एवं सुविधा को देखकर आश्चर्य चकित हो रहे सलिल की नजर जैसे ही आगे एक छोटे से मंदिर के आगे ध्यानस्थ तांत्रिक भूत नाथ पर गई,……उसके आश्चर्य की सीमा नहीं रही। उसने तो सोचा था कि तांत्रिक कोई बूढा होगा, परन्तु आसन पर बैठा हुआ वह पच्चीस वर्ष के करीब का नौजवान था। जिसके माथे पर जटा का शक्ल लिए हुए बाल, बढी हुई दाढी और ललाट पर लगी हुई लाल-लाल रोली। झोंपड़ी में जलती हुई रोशनी में तांत्रिक का व्यक्तित्व चमक रहा था।
                       उसे ध्यानस्थ देखकर सलिल एवं रोमील झोंपड़ी के अंदर सजाकर रखे सोफे पर बैठ गए और इंतजार करने लगे कि “तांत्रिक भूत नाथ” कब ध्यान से अलग होते है। लेकिन उन्हें ज्यादा देर तक
इंतजार नहीं करना पड़ा,…..क्योंकि तांत्रिक भूत नाथ की आँखें खुल चुकी थी। आँखें खुलने के साथ ही जैसे ही उसकी नजर आए हुए आगंतुक पर गई, तांत्रिक ने हल्की आवाज में ताली बजाई। जिसके प्रतिक्रिया स्वरूप अप्सरा सी सुंदर युवती ने दो गिलास हाथ में लिए वहां कदम रखा और रोमील एवं सलिल को गिलास थमाकर वहां से उलटे पांव लौट गई। तब सलिल एवं रोमील ने देखा कि गिलास में “सुगंधित पेय” रखा हुआ था, जिसे दोनों ने होंठों से लगा लिया। जबकि तांत्रिक ने एक बार उन दोनों के चेहरे को देखा, फिर अपनी दाढी पर हाथ फेरते हुए गंभीर स्वर में बोला।
श्रीमान!.......आप लोगों के आने का प्रयोजन क्या है, जानता हूं। परन्तु आप इतनी जल्दी आ जाएंगे,…इसकी उम्मीद तो बिल्कुल भी नहीं थी।
महात्मन….समस्या ही ऐसी है कि मैं समय बीतने का इंतजार नहीं कर सकता था। जानता था कि आप जरूर सहायता करने को तैयार होंगे, इसलिये आपकी सेवा में हाजिर हो गया। सलिल अपने शब्दों में शहद लपेट कर बोला। जबकि उसकी बातों ने मानो भूत नाथ पर कोई असर नहीं किया हो, वो पूर्ववत मुस्करा कर बोला।
आपका सोचना सही है श्रीमान…..आप तो जाइए और तैयारी कीजिए। समान का लिस्ट आपके थाने पर पहुंच जाएगा और मैं नियत जगह पर समय से पहुंच जाऊंगा।
                                 इतनी बातें बोलने के बाद भूत नाथ ने समाधि लगा ली।…..अब ऐसे में वहां रुकने का कोई प्रयोजन ही नहीं था। अतः सलिल ने एक नजर झोंपड़ी के अंदर चारों ओर डाली और फिर रोमील के साथ बाहर निकल गया। मन में इस आशा को लिए हुए…..कि कहीं इससे होकर ही केस में आगे बढने के लिए रास्ता मिले।…..परन्तु वो जानता नहीं था कि उसके इस कदम के परिणाम सार्थक होंगे या निरर्थक। वह तो बाँस ने आदेश दिया था। इसलिये उनके आदेश का पालन करना ही उसका धर्म था।



क्रमश:-

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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022
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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

16 सितम्बर 2022
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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

16 सितम्बर 2022
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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022
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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

18 सितम्बर 2022
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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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