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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022

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रात के करीब एक बजने को थे।
अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़ियां दौड़ रही थी। परन्तु ऐसा भी नहीं था कि छोटी गाड़ियां नगण्य थी। अभी छोटी गाड़ियां भी इक्का-दुक्का गुजर जाती थी और उसी में वो ब्लैक कलर की इनोवा थी, जो सरपट आगे की ओर भागी जा रही थी।
                     इसका मतलब ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि कार की रफ्तार ज्यादा थी। कार धीमे-धीमे आगे की ओर बढ रही थी, जिसका कारण भी था" ड्राइविंग शीट पर बैठी लड़की" जो कि जान बुझ कर कार की रफ्तार धीमी किए हुए थी। लड़की, जिसका नाम सान्या सिंघला था, पोशाक से ही माँडर्ण लगती थी। गोल चेहरा, रस भरे होंठ, भरे-भरे गोरे गाल और कजरारे कारे नैन। उसपर रेशमी घने बाल, वह सुंदरता की मूरत ही तो थी। सान्या सिंघला, लाखों में भी नहीं छिपने बाली। इस समय वो एक हाथ से कार की स्टेयरिंग थामे हुए थी और दूसरे हाथ में स्काँच की बोतल।......जिसे होंठों से लगाकर वो धीमे- धीमे शराब घुटक रही थी।
                                स्वाभाविक ही था कि वो अगर रात के इस समय शराब घुटक रही थी, तो बेवजह तो सड़क पर कार नहीं दौड़ा रही थी।.....हां, उसे शिकार की तलाश थी। "खुले विचारों की सान्या सिंघला" ,जो कि अभी थी तो काँलेज में ही, परन्तु उसके शौक ऊँचे थे। वो अमीर घराने से ताल्लुकात रखती थी और इसलिये उसके आदत बिगड़ गए थे। वो अपने स्वभाव से इस कदर बिगड़ गई थी कि उसे रोज ही एक नौजवान बेड पर चाहिए था। परन्तु आज उसके मन माफिक कोई नहीं मिला था शाम से, इसलिये वो बेवजह ही भटक रही थी और कार को सड़क पर दौड़ाए जा रही थी।
                      कहते है न कि मानव मन अति चंचल होता है और यह अपने स्वभाव में ही जीता है। वह तो मानव को इसपर अंकुश लगाना पड़ता है, "अन्यथा उसे यह मन जीवन में तिगनी का नाच-नचा दे।.....परन्तु हर एक मानव की न तो इतनी सामर्थ्य होती है और न ही हर एक इंसान चाहता ही-है कि अपने मन को नियंत्रित करें। परिणाम उसका मन इतनी गति से बहकता जाता है कि " उसे पतन के गड्ढे में गिराकर ही छोड़ता है"। सान्या सिंघला भी अपने मन के हाथों मजबूर थी और परिणाम वो पतन के गड्ढे में गिर चुकी थी।
                              वह अपने मन के हाथों इतनी मजबूर थी कि उसे हर रोज एक नया जिस्म चाहिए था। वो अपने शौक पूरे करने के लिए किसी हद तक गुजर सकती थी और अभी भी वही कर रही थी। उसको शिकार चाहिए था और उसकी ही तलाश में भटक रही थी। लेकिन बीतते समय के साथ ही उसके चेहरे पर बेचैनी बढती जा रही थी। वो शाम से ही अपने लिए शिकार की तलाश में निकली थी, परन्तु अभी तक उसे मन मुताबिक कोई नौजवान नहीं मिला था।.....बस इसी बेचैनी में अब तक वो दो बोतल स्काँच की गटक चुकी थी।
                         कहते है न कि मानव जिस चीज का अभ्यस्त हो जाता है, उसे वह चीज समय पर नहीं मिले, वो बेचैन हो जाता है।....फिर उसे कहीं शांति नहीं मिलता और वो अपने मन मुताबिक वस्तु को पाने के लिए हद से भी गुजर जाने को उद्धत हो जाता है।.....मन की लालसा बहुत ही बुरी है, वो मानव से वो भी करवा देती है, जिसकी मानव ने कभी कल्पना भी नहीं की थी। "वो जो नहीं करना चाहता" उसी काम को करने के लिए लालायित होने लगता है।....फिर तो न तो उसे सामाजिक मान- मर्यादा की चिन्ता रहती है और न ही अनुशासन का भय। वो तो वही करता है "जिसकी उसको जरूरत होती है और जिसकी गवाही उसका मन देता है।
                                  सान्या सिंघला भी तो उसी में से थी, जो मन के आधीन होते है। उसे भी रात का आनंद उठाने के लिए बांका नौजवान चाहिए था।....परन्तु आज सुबह उठकर उसने न जाने किसका चेहरा देख लिया था कि उसके मन को भाए, "ऐसा नौजवान उसको मिला नहीं था"। उसपर वो शाम से भूखी थी, इस कारण से उसके पेट में अब चूहे भी दौड़ने लगे थे। एक तो शिकार नहीं मिलने की खीज, उसपर बढता हुआ भूख, "वो अब कुछ -कुछ परेशान भी नजर आने लगी थी। ऐसे में उसने समय बिताने के लिए म्यूजिक प्लेयर आँन कर दिया।....कार में हिमेश रेशमिया के मदमस्त गाने गूंज उठे। अब वो थोड़ा नार्मल हुई, तभी उसे सड़क किनारे खुला हुआ पंजाबी ढाबा मिला।
                   वैसे ही उसे जोड़ो की भूख लगी थी, इसलिये उसने शिकार करने का इरादा त्याग दिया और कार को ढाबा के ग्राऊण्ड की ओर मोड़ दिया। कार खड़ी करने के बाद वह बाहर निकली और ढाबा के अंदर बढ गई। वैसे तो ढाबा की बनावट साधारण ही थी, परन्तु भोजन की खुशबू आ रही थी। खुशबू के नथुने से टकराने भर की देर थी, वह झट खाली टेबुल पर बैठ गई। वैसे भी पूरा ढाबा खाली था और ग्राहकों का वहां नामों-निशान नहीं था। कुर्सी पर बैठने के साथ ही सान्या ने समय देखा, रात के दो बजने बाले थे और जैसे ही उसने नजर उठाया। सामने हट्टा- कट्ठा गबरू नौजवान खड़ा था। गोरा रंग और सलीके से पहना हुआ लिबास, वो नौजवान आकर्षक लग रहा था। उसे देखते ही सान्या की जिस्मानी भूख जागृत हो गई, फिर भी वो अपने पर नियंत्रण रख के बोली।
अभी भोजन में क्या मिल सकता है?
कुछ भी! वो नौजवान विनम्र स्वर में बोला।
कुछ भी से मतलब? परन्तु उसके जबाव सुनकर सान्या चौंक कर बोली। जिसका जबाव उस युवक ने बहुत ही शालीनता से दिया।
कुछ भी से मैडम! आपको जी भी खाने में चाहिए, यहां वही भोजन परोसा जाता है।
तो फिर ठीक है, दो प्लेट पनीर भुजी, पनीर कबाब एवं रुमाली रोटी लेकर आओ। सान्या ने आँडर दिया और अभी उसकी बात भी खतम नहीं हुई थी कि नौजवान वहां से जा चुका था।
                    सान्या उसे जाते हुए देखकर बस आह भर कर रह गई। वैसे तो वो नौजवान उसके मानदंड के अनुरूप नहीं था, परन्तु उसमें कोई कमी भी तो नहीं थी। वह इस लायक तो था ही कि उसकी भूख मिटा सकता था और फिर कभी-कभी अपने स्वाद को बदल-बदल कर भी तो देखना चाहिए। सोचकर वह इस निर्णय पर पहुंच गई कि आज इसी नौजवान से काम चला लेना है। तब तक वो नौजवान, जो कि उस ढाबे पर नौकरी करता था, उसके आँडर लेकर आ गया।.....फिर क्या था, सान्या ने उसे भी साथ में खाने के लिए बिठा लिया। नौजवान भी तो खुले विचारो का था, हाथ आए मौका को नहीं जाने देने बालो में से। फिर तो खाने के दौरान दोनों ही खुल गए, उनके दरमियान छिपाने लायक कुछ नहीं बचा।
                           कहते है न कि दो विपरीत लिंग में आकर्षण जल्द ही होता है। उसमें भी जब निमंत्रण खुला मिले, तो इस आकर्षण को हवा मिलने लगती है।" बस उन दोनों के बीच भी यही हुआ", सान्या के खुले आमंत्रण को उस युवक ने स्वीकार कर लिया। साथ ही सान्या के पुछने पर उसने अपना नाम "आलोक" बतलाया। बातें तो खतम नहीं होनी थी, सो नहीं हुई, परन्तु भोजन खतम हो गया। इसके बाद सान्या ने बिल चुकाए और उस युवक को साथ लेकर ढाबे से बाहर निकली। सान्या के साथ बाहर निकलता हुआ वो नौजवान अच्छा-खासा उत्साहित था। क्योंकि वो जानता था कि ऐसी हुस्न की मलिका बड़े भाग्य से मिलती है और आज "बिल्ली के भाग्य से ही छिका टूटा था। ऐसे में वो हाथ आए हुए इस अवसर को बेजा नहीं जाने देना चाहता था।
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क्रमशः-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022
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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

16 सितम्बर 2022
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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

16 सितम्बर 2022
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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

16 सितम्बर 2022
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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022
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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

18 सितम्बर 2022
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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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