shabd-logo

भाव्या बिला.....

16 सितम्बर 2022

19 बार देखा गया 19

सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष कर बिखरने लगा। सुबह के आगमन के साथ ही वहां हलचल बढ गई थी।.....सूर्य के आगमन के साथ ही सभी अपने-अपने काम में लग गए थे। उस इनोवा कार में भी प्रकाश पड़ी और प्रकाश सीधे पड़ने के कारण सान्या सिंघला कुनमुना कर उठी।
                                  इस समय वो शरीर पर बिना किसी लिबास के थी और आँख खुलते ही उसे इस बात का एहसास हुआ।......यह तो संजोग ही कहा जाएगा कि किसी की नजर कार की तरफ नहीं गई थी.....अन्यथा तो वहां काफी भीड़ जमा हो जाती...और उसे शर्मिंदगी का सामना करना होता। परन्तु ऐसी कोई बात नहीं हुई थी, अतः वो फटाफट अपने कपड़े पहनने लगी।...साथ ही उसके होंठों पर मादक मुस्कान उभड़ आई। उफ!...यह जिंदगी, मजा के लिए ही तो है, जम कर घूमो और मजे लो। उसने सोचा नहीं था कि ढाबे में काम करने बाले लड़के में इतनी जान होगी।....उस लड़के ने तो उसको जन्नत की सैर करा दी थी, उसके अंग-अंग में अभी मीठा -मीठा दर्द हो रहा था।
                           सोचते-सोचते सान्या सिंघला ने कपड़े पहन लिए थे और अब वो कार श्टार्ट करके आगे बढा दी थी। कार झटके लेती हुई आगे बढी और सरपट सड़क पर दौड़ने लगी। जबकि सान्या, उसने म्यूजिक प्लेयर आँन कर दिया था और बजते हुए गीत को होंठों से दुहरा रही थी।......बीस मिनट भी नहीं बीते होंगे कि उसकी कार ने रोहिणी में अवस्थित उसके निवास "भाव्या बिला" में प्रवेश किया। उसने कार को बंगले के पोर्च में खड़ा किया और बाहर निकल कर बिल्डिंग की और बढ गई।
                          जब वो हाँल में पहुंची, राजीव सिंघला हाँल में बैठे थे।....राजीव सिंघला, सौंदर्य प्रसाधन के उत्पादन कर्ता और बहुत बड़े बिजनेस मेन। पचास वर्ष के राजीव सिंघला इकहरा शरीर और आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी थे। उसपर उनके आँखों पर काला चश्मा, उनके व्यक्तित्व को और भी प्रभावशाली बना रहा था।.....राजीव सिंघला, खुले विचार रखने बाले और खुले रिलेशनशीप का समर्थन करने बाले। इस समय वे इंग्लिस न्यूज का अखबार पढ रहे थे।.....सान्या ने हाँल में जैसे ही कदम रखा...उन्होंने पेपर से नजर उठाया और सान्या के चेहरे पर नजर टिकाकर बोले।
सान्या....माइ सन, इतनी देर कहां लग गई बेटा? बोलने के बाद वो फिर पेपर पढऩे लगे, जबकि सान्या उनके करीब आकर बैठ गई।....फिर मुस्करा कर बोली।
कुछ नहीं पापा......मैं सहेली के घर रुक गई थी, इसलिये आने में लेट हो गई।
कोई बात नहीं बेटा.....परन्तु समय से घर आ जाने की कोशिश किया करो। इस बार पेपर पढते हुए ही राजीव सिंघला ने कहा, जिसका जबाव सान्या ने नहीं दिया।
                           ऐसे में वहां चुप्पी छा गई और शायद उन दोनों में से कोई भी चुप्पी तोड़ना नहीं चाहता था। तभी घर का नौकर रामदिन ने हाँल में कदम रखा। इस समय उसके हाथों में ट्रे थी, जिसमें रखे कप से भाप उठ रहे थे, स्वाभाविक था कि वो काँफी लेकर आया था। उसने दोनों को काँफी सर्व किया और उलटे पांव वापस किचन की ओर लौट गया।....फिर तो दोनों काँफी पीने में मशगूल हो गए, परन्तु फिर भी उन लोगों के बीच बात चीत नहीं हुई। लेकिन अपनी काँफी खतम करने के बाद राजीव सिंघला ने अपनी नजर सान्या के चेहरे पर टिका दी और गंभीर स्वर में बोले।
बेटा सान्या.....।
जी पापा...। सान्या ने भी तत्परता के साथ उत्तर दिया। जिसे सुनकर सहज ही राजीव सिंघला के होंठों पर मुस्कान छा गई, फिर वे अपने शब्दों को तौल-तौल कर बोले।
बेटा.....मैं चाहता हूं कि तुम अब अपना जीवन साथी चुन लो, जिससे मैं अपने इस जिम्मेदारी से मुक्त हो सकूं।
पापा.....आप भी न, कभी-कभी बहकी-बहकी बातें करने लगते है। उनकी बातें सुनकर सान्या ने बनावटी नाराजगी दिखाकर कहा और फिर पैर के अंगूठे से फर्श को कुरेदने लगी। जबकि उसके द्वारा कही बातों को सुनकर राजीव सिंघला की मुस्कराहट और भी गहरी हो गयी। उन्होंने सान्या के आँखों में देखकर कहा।
सान्या बेटा.....ब्याह तो तुम्हें करना ही है और यह मेरी जिम्मेदारी भी है। "क्योंकि इतने विशाल एंपायर की तू अकेली वारिस है और तेरे सिवा मेरा दुनिया में कोई भी नहीं है और तो बेटा.....मुझपर मां एवं बाप, दोनों की जिम्मेदारी है। बोलने के बाद राजीव सिंघला एक पल के लिए रुके, फिर बोले।....यह अलग बात है बेटा कि तुम्हें कोई पसंद आ गया हो, तो बोल दे, मैं तुम्हारी शादी उसी से करवा दूंगा। बोलने के बाद राजीव सिंघला ने अपनी नजर सान्या के चेहरे पर टिका दी और उसके मनोभाव को पढऩे की कोशिश करने लगे।
                         जबकि सान्या क्या कहती, उसे तो रोज ही बिस्तर पर एक नया लड़का चाहिए होता था। लड़का में चाहे कितनी भी खूबसूरती हो, वह कितना भी जवाँ मर्द हो, एक बार के बाद वो उसके चित से उतर जाता था। उसकी इच्छा ने इतना विशाल वृक्ष का रुप ले-लिया था कि रात गई-बात गई, बाली स्थिति थी। ऐसी परिस्थिति में वो एक से शादी करके एक खूंटे से बंधकर नहीं रह सकती थी।.....परन्तु इन बातों को वो अपने पिता के सामने कह भी तो नहीं सकती थी। ऐसे में बहुत देर तक उसने चुप रहने के बाद गोल-मटोल जबाव दिया।
पापा.....आप भी न, सुबह-सुबह ही किस टाँपिक को ले कर बैठ गए। आप छोड़िए न अभी इन बातों को, अभी तो मेरी उम्र ही क्या है? जब कोई लड़का पसंद आ जाएगा, आप को बता दूंगी।
                       बोलने के बाद वो उठी और अपने रूम की ओर चली गई। उसने जो जबाव दिया था, उसके प्रतिक्रिया को भी जानने की कोशिश नहीं की।...उसे जाता हुआ देखकर राजीव सिंघला मुस्कराए। उनकी तो समझ में यही आया कि सान्या अभी बच्ची है, शायद उनके बातों को सुनकर शर्मा गई है।.....वैसे भी उनकी नजर में सान्या की उमर ही क्या हुई थी," अभी तो उसके खाने-खेलने के दिन थे। इसलिये उन्होंने अपना ध्यान उस ओर से हटाया और "अपने बिजनेस के लिए निर्धारित कार्यक्रम" को याद करने लगे। वैसे तो उनका बिजनेस बहुत बड़ा आकार ले चुका था....फिर भी उनके हृदय में संतुष्टि नहीं थी। उन्हें अपने इस विशाल एंपायर को और भी विशाल करना था" इतना विशाल कि इसकी जद में पूरी दुनिया ही सिमट कर आ जाए।
                   वैसे तो उनके पास अर्जित किए हुए संपत्ति का उपभोग करने बाला "सान्या" के अलावा और कोई नहीं था। परन्तु फिर भी उनको सनक सवार रहती थी कि इस बिजनेस को किस प्रकार से आगे बढाया जाए। इसलिये वे हमेशा प्रयासरत रहते थे और हर वो कदम उठाने के लिए तत्पर रहते थे, जिससे उनके बिजनेस को लाभ हो। आज भी इसी सिलसिले में उनकी विदेशी कंपनी से मीटिंग थी। इसलिये वे एक पल तक अपने दिन के सारे कार्यक्रम को याद करते रहे.....फिर अपनी जगह से उठे और हाँल से बाहर निकले। बाहर बिल्डिंग के अहाते में उनकी मर्सिडीज खड़ी थी। उन्होंने ड्राइविंग शीट संभाली और कार श्टार्ट करके आगे बढा दी। कार बिला के गेट से निकली और सड़क पर फिसलती चली गई।
*********
                  


क्रमशः-


32
रचनाएँ
रति संवाद
0.0
कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
1

रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
2
0
0

कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

2

रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

3

होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
0
0
0

रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

4

सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

5

नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

16 सितम्बर 2022
0
0
0

श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

6

सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

7

पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

8

लवण्या आर.......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

9

भाव्या बिला.....

16 सितम्बर 2022
0
0
0

सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

10

सलिल का भागदौङ.......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

11

मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

12

पुलिस की खोजबीन......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

13

होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

14

सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

15

उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

16

सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

17

पुलिस मुख्यालय......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

18

होटल पृथा......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

19

इंस्पेक्टर सलिल.......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

20

राजीव सिंघला.......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

21

तांत्रिक भूतनाथ......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

22

सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

23

होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022
0
0
0

दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

24

न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
0
0
0

शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

25

चंद्रिका वन फार्म हाउस......

16 सितम्बर 2022
0
0
0

शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

26

लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
0
0
0

लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

27

तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

18 सितम्बर 2022
0
0
0

रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

28

वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

18 सितम्बर 2022
0
0
0

रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

29

सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

18 सितम्बर 2022
0
0
0

रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

30

सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

18 सितम्बर 2022
0
0
0

एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

31

पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

18 सितम्बर 2022
0
0
0

अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

32

कोर्ट रुम........

18 सितम्बर 2022
0
0
0

दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए