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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022

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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा कि उसकी कार सामने बाली कार से टकरा ही गई,.....भय से उसने आँखें बंद कर ली और जब खोली, भौचक्की रह गई। कारण भी था, क्योंकि उसने जो कल्पना नहीं किया था, आखिर वही हुआ था। उसके पांव ब्रेक पर कसे हुए थे और सामने बाली कार भी रुकी हुई थी।
                    खतरा टला, तो स्वाभाविक ही था कि लवण्या आर को होश आया और होश आते ही वो गुस्से से लाल-पीली हो गई। उफ!....शहर के लोग कैसे है? ड्राइव करने नहीं आती और सड़क पर कार लेकर आ जाते है। बस गुस्सा आना था और लवण्या आर बाहर निकली, एवं सामने बाली ब्लैक इनोवा कार के पास पहुंची और गुस्से से कार के शीशे को थपथपाया। लेकिन जैसे ही कार का गेट खुला, लवण्या आर आश्चर्य में डूब कर बुत बन गई। भला वो उस चेहरे को कैसे भूल सकती थी, जो काँलेज में उसका "हमदर्द" नाम से मशहूर था। जिसकी कोशिश ही यही रहती थी कि हमेशा "लवण्या आर" के चेहरे पर खुशी विराजमान रहे। वह नित दिन ही तो उसके होंठों की हंसी को "कायम" रखने के लिए प्रयास रत रहता था। लेकिन एक वो थी कि कभी उसके भावना को समझने की कोशिश ही नहीं की। अन्यथा, शायद वो समझकर भी यूं ही अंजान बनती रही।
                           हां, सामने बाली कार में सम्यक बहल ही था, जो आश्चर्य के सागर में गोते लेता हुआ लवण्या आर को देखे जा रहा था। उस लवण्या आर को, जिसकी दीवानगी में वो काँलेज में "मजनू बहल" के नाम से मशहूर हो गया था। उस लवण्या आर को देख रहा था, जो उसके भावनाओं का कद्र करना ही नहीं जानती थी। लेकिन इससे क्या? चाहतों की उफान धीमी होती है? तो जबाव होगा कि नहीं,.....ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है। चाहत तो वो चीज है, जो सामने से पाने की आशा ही नहीं रखती। इसका तो स्वभाव ही ऐसा है कि जिसको अपना मान लिया,.....बस उसके ही होकर रह गया। इसमें स्वार्थ नहीं होता, अपितु बस अर्पित करने की इच्छा होती है। बस अपने आप में रमने की चाह में "फना" हो जाने पर भी किसी प्रकार की आनाकानी नहीं होती।
                        बस सम्यक बहल, उसी चाहत के अधीन हो चुका था, तभी तो लवण्या आर को अपने सामने देख कर आश्चर्य के सागर में गोते लगा रहा था। लेकिन इस स्थिति में वो ज्यादा देर तक नहीं रह सका, क्योंकि तभी लवण्या आर के होंठ हिले, परन्तु आश्चर्य एव भावनाओं के प्रबल आवेग में वो भी कुछ नहीं कह सकी। बस दोनों की नजरे आपस में एक दूसरे को देखती रही और बातें करती रही। लेकिन ऐसी स्थिति ज्यादा देर तक स्थाई नहीं रहने बाली थी। आखिर दोनों में से किसी को तो बात की शुरुआत करनी ही थी। इसलिये सम्यक ने जब देखा कि लवण्या चाह कर भी बोल नहीं पा रही, वो कार से बाहर निकला और उसके सामने खड़ा हो गया, फिर तो उसके होंठों से कांपता स्वर निकला।
लवण्या.....त....तुम! ओह माय गाँड! विश्वास ही नहीं होता कि तुम मेरे सामने खड़ी हो। बहुत ही मुश्किल से सम्यक अपनी बातों को कह सका, फिर वो उसके आँखों में देखने लगा। जबकि लवण्या आर, वो तो बस अपलक सम्यक को देखे जा रही थी। उसे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि......अचानक से ही उससे मुलाकात हो जाएगी, "वह भी इस प्रकार से"। ऐसे में जब उसने सम्यक की बातें सुनी, "हर्ष, आश्चर्य, दुख और अह्लाद के भाव" से वह सम्यक से लिपट गई और कांपते हुए स्वर में उसके कान के पास धीरे से बोली।
सम्यक......तुम!....यूं ही अचानक से! कहां थे अब तक तुम?
             लवण्या आर ने एक साथ प्रतिक्रिया भी दी और प्रश्न भी पुछ लिए। तब तक सम्यक काफी हद तक संभल चुका था और उसे अनुभूति हो चुकी थी कि "उन दोनों के कारण ट्रैफिक जाम की समस्या उत्पन्न हो चुकी है। दिल्ली की सड़क पर वैसे ही सेकंड में सैकड़ों गाड़ियां गुजर जाती है। ऐसी परिस्थिति में उन दोनों का खङा होना, आगे-पीछे हजारों गाड़ियां खड़ी हो गई थी। इसलिये सम्यक ने अपनी भावना को नियंत्रित किया और लवण्या आर को खुद से अलग किया। फिर उसको समझाया कि " यहां खड़े होकर बात करने की अपेक्षा किसी काँफी शाँप में चलते है।
                 उसकी बाते सुनकर लवण्या आर मुस्कराई और उसने काँफी शाँप चलने की बजाए किसी वियर बार में चलने को कहा। इसके बाद तो, दोनों ने कार श्टार्ट की और एक ही लीक में कर लिया और फिर दोनों की कार आगे-पीछे सरपट सड़क पर दौड़ने लगी। दिल्ली की सड़क, रात में भी रोशनी में नहाई हुई “जगमग" करती। उसपर दौड़ती हुई गाड़ियां, उसके बीच दोनों की कार सरपट भागती जा रही थी और फिर "अशोका वियर बार" के सामने ही जाकर रुकी। अशोका वियर बार, रोशनी में जगमग करती हुई दुल्हन की तरह लग रही थी।
                           कार के रुकते ही दोनों बाहर निकले और वियर बार के बिल्डिंग की ओर बढे। गेट से प्रवेश करते ही उनकी आँखें चमक उठी। कारण, इस वियर बार में ज्यादातर शाम को काँलेज के छात्र ही आते थे, शाम को इंज्वाय करने और दोनों की नजरे दो परिचित चेहरे से टकरा गई। इसलिये ही उन दोनों की आँखों में चमक आई थी। फिर दोनों उसी टेबुल की ओर बढे, जहां उनके काँलेज के दोस्त इशांत एवं संभ्रांत बैठे थे। चलते हुए जैसे ही दोनों उस टेबुल के करीब पहुंचे, इशांत एवं संभ्रांत भी हर्ष एवं आश्चर्य युक्त होकर चौंके। फिर तो सम्यक एवं लवण्या वहां रखी खाली कुर्सी पर बैठ गए। तब तक इशांत खुद पर नियंत्रण कर चुका था, इसलिये आश्चर्य मिश्रित स्वर में बोला।
तुम दोनों......अचानक ही इतने दिनों बाद! वह भी एक साथ इस वियर बार में?.....इशांत ने प्रश्न पुछा, फिर अपनी नजर दोनों के चेहरे पर टिका दी। जबकि उसके प्रश्न सुनकर सम्यक सहज ही मुस्कराया, फिर उसने हाँल में नजर घुमाई। आधुनिक सुविधाओं से युक्त इस वियर बार की बात ही निराली थी। जो शाम होते ही ग्राहकों के अवर-जबर से गुलजार हो जाता था। उस पर यहां के वेटरों की चुस्ती-फुर्ती, जो ग्राहकों की सेवा में तत्पर रहते थे। सम्यक और लवण्या अनेकों बार यहां आ चुके थे, क्योंकि यह वियर बार उन्हें बहुत पसंद था। आज भी तो, नीली रोशनी में हाँल चमक रहा था। जिसे देखने के बाद सम्यक शर्माकर बोला।
यार इशांत......मैं तो आज भी यहां नहीं आता। लेकिन अचानक ही लवण्या मुझे मिली और उसने आने के लिए कहा।
                        इसके बाद सम्यक उसे बतलाने लगा कि किस प्रकार से "लवण्या जब उसे इग्नोर करने लगी थी। उसने काँलेज आना छोड़ दिया था और अपने अपार्ट मेंट में कैद होकर रह गया था और आज अचानक ही वर्षों बाद उसे लवण्या मिली। सम्यक अपनी बातें कहता जा रहा था और लवण्या पछतावा और वेदना में पिघलती जा रही थी। तब तक वेटर "वियर  की बोतल" सर्व कर गया। इसके बाद तो, संभ्रांत ने पैग बनाने की जिम्मेदारी संभाल ली, जबकि सम्यक की बातें खतम होते ही इशांत ने लवण्या से उसके बारे में पुछा।....लवण्या उसके प्रश्न सुनकर एक पल को मौन होकर सोचती रही, फिर बतलाने लगी कि किस प्रकार से वो अपने जीवन के फैसले लेने में धोखा खा गई और "व्यर्थ प्रेम के जाल में फंस गई"।
                             किस प्रकार से "गर्वित सक्सेना " ने उससे प्रेम किया और फिर सान्या सिंघला के जाल में फंस कर उसका साथ छोड़ दिया। लवण्या अपने बीते दिनों के "कड़वे अनुभवों को" बतलाने लगी। इस दौरान उन चारों में पीने-पिलाने का दौर शुरु हो चुका था। जब लवण्या ने अपनी बात खतम की, इशांत दोनों की तकलीफ समझ चुका था। वह जानता था कि लवण्या और सम्यक में वार्तालाप की जरूरत है, तभी उनके बीच के गिले-शिकवे दूर हो सकते है।....इसलिये उसने पीने-पिलाने के दौरान ही दोनों में बात शुरु करवा दी।.....फिर तो दोनों घंटों बात करते रहे और "अलग होने के बाद" के खट्टे-मीठे अनुभव बताते रहे। लेकिन सम्यक से लवण्या को बस इतनी ही शिकवा-शिकायत थी कि जब वो उसको चाहता था,....तो उसने अपने प्रेम का इजहार क्यों नहीं किया।
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क्रमश:-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022
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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

16 सितम्बर 2022
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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

16 सितम्बर 2022
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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

16 सितम्बर 2022
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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

16 सितम्बर 2022
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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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