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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022

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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जिसके चारों तरफ विशाल गार्डण और उसके बीच होटल का विशाल बिल्डिंग। .....अंदर होटल के विशाल हाँल में इस समय ग्राहकों की काफी भीड़ थी और वेटर उन्हें सर्विस दे रहा था।
                इस होटल की खासियत थी ग्राहकों के लिए उत्तम प्रकार की सर्विस। यहां होटल में तमाम वो सर्विस दी जाती थी, जो शायद कानून की नजर में "अवैध" भी होता है।....परन्तु इस होटल के मैनेजमैंट "कानून के मुंह" को खनकते पैसों से भर देते थे। फिर तो, सैंया भये कोतवाल, अब डर काहे का।....इस समय भी हाँल में धड़ल्ले से ग्राहकों को मादक द्रव्य "परोसा जा रहा था। हाँल में जाम से जाम टकरा रहे थे, चरस भरे चिलम से कश लिया जा रहा था और कहीं-कहीं तो "ड्रग्स की पुड़िया भी खींची जा रही थी। चारों तरफ मदमस्त आलम था और ऐसे में किसी को किसी की पड़ी नहीं थी।....जिधर नजर घुमाओ -लोग जाम से जाम टकरा रहे थे या तो चिलम में " फुंक" मार रहे थे।
                     हाँल में लगे ब्लू लाइट की रोशनी में चिलम का फैला गाढा धुआँ और टकराते हुए जाम, अजीव से रहस्यमय दुनिया का "आभास" करा रहा था। परन्तु इस से वेटर को मानो कोई मतलब नहीं हो, वे पूरी सतर्कता के साथ ग्राहकों के आँडर को सर्व करने में जुटे थे।....उधर स्टेज पर पाँप म्यूजिक की धुन पर आधे जिस्म दिखाती बार बाला अल्हड़ ठुमके लगा रही थी। उसके इस अल्हड़ नृत्य पर कभी-कभी सुस्वर मादक आह "हाँल" में गुंज जाती थी। आखिर गुंजे भी क्यों नहीं, एक तो शराब का नशा, दूजे हाँल में मौजूद अधिकांश युवा और बीतते रात का मादक मय गहराता आलम।
                                  इस होटल की सर्विस ही ऐसी थी कि यहां अधिकांश युवा ही आते थे "कपल जोड़ा" बनकर, जिसमें से अधिकांश अमीर घर के बिगड़े नवाब जादे होते थे।....जिन्हें मौज-शौक पूरा करने के लिए यह होटल किसी स्वर्ग से कम नहीं लगता था।.....यहां की रूम सर्विस शेफ और उत्तम क्वालिटी की थी, बस यही कारण उनको ये होटल आकर्षित करता था। बस यही कारण भी था कि यहां शाम ढलने के साथ ही ग्राहकों की तादाद बढने लगती थी। आज की रात भी इस होटल में खास ही था, "क्योंकि हाँल में मौजूद ग्राहकों में अधिकांश युवा ही थे, वह भी जोड़े में।
                         सभी को ऐश-मौज करना था और उनमें से अधिकांश को अपने "जिस्म की आग बुझानी थी"। इस सर्विस के लिए तो होटल एक्सपर्ट था। हाँल में फैली मदहोशियों के बीच युवा, उसमें भी बीच बाले टेबुल पर बैठा युवा जोड़ा खास था। लड़की नंदिनी और लड़का प्रभास, दोनों अमीर घर के थे, इसकी चुगली उनके तन पर मौजूद कपड़े कर रहे थे। उन दोनों का चेहरा भी काफी आकर्षक था, तभी तो दोनों एक दूसरे को "कामुक नजरों से देख रहे थे"। जबकि उनके टेबुल पर रखी हुई स्काँच की बोतल खाली होने को आई थी। हां, दोनों के लिए प्याले में जाम बना पड़ा था।....परन्तु दोनों की नजरें एक दूसरे के शरीर-सौष्ठव को नाप-तौल रही थी और होंठ थे कि प्यासे हो रहे थे।
                        कहते है न कि प्रेम अलग वस्तु है, क्योंकि इसमें पाने की "लालसा" नहीं होती। प्रेम तो पूर्ण निष्काम होता है, जो कि निछावर हो जाने को तत्पर रहता है।.....परन्तु यहां प्रेम तो था ही नहीं, थी तो सिर्फ वासना। दोनों के हृदय में कामुकता का वाण लगा हुआ था और वे इस होटल में इसलिये ही आए थे कि "अपने हृदय में भड़की हुई कामुकता की ज्वाला का "समन" कर सकें। दोनों में प्रेम का दूर-दूर तक का संबंध नहीं था, हां थी तो सिर्फ मित्रता, ऐसी मित्रता जो कि "अवैध संबंधों" की मौन स्वीकृति देता है।....यह इसलिये भी कि आज की शिक्षा यथार्थ परक नहीं है और हम अपनी संस्कृति भूला कर पश्चिम की नकल करने लगे है।
                      बस यही हाल दोनों का था, दोनों की आँखों में हवस के कीड़े गिजबिजाने लगे थे। ऐसे में प्रभास से नहीं रहा गया और उसने अपने होंठ "नंदिनी" के सुर्ख होंठों पर टिका दिए और होंठों के पराग कणों को चुसने लगा। जिससे नंदिनी की भी व्यग्रता बढने लगी। वो पल भर में ही तड़प कर प्रभास से अमर बेल की तरह लिपट गई।....परन्तु इससे उनके जिस्म की आग बुझने की बजाए और भी भड़क उठी।....लगा कि दोनों एक दूसरे में समा जाने के लिए उत्कट हो उठे हो। लोक-लाज का तो वहां पर भय था नहीं, तो फिर उनकी कामुकता बढते ही जाना था। वैसे भी वहां पर मौजूद अधिकांश जोड़े इसी क्रिया में लगे हुए थे।
                          परन्तु एक समय ऐसा भी आया, जब प्रभास और नंदिनी, दोनों एक दूसरे से अलग हुए। फिर उन्होंने जाम भरे प्याले को उठाया और हलक में उतार लिया। फिर बोतल में बची-खुची शराब को प्याले में उड़ेलने लगे। परन्तु प्रभास की काम लोलुप नजरे नंदिनी के जिस्म को तौल रही थी। उसका बस चलता, तो वो यही इसी हाँल में नंदिनी से एकाकार हो जाता।.....परन्तु उसपर अभी नशा हावी नहीं हुआ था, इसलिये उसकी चेतना बची हुई थी। अतः दोनों ने अंतिम बचे शराब के प्याले को होंठों से लगाया और अंतिम बूंद तक शराब पी ली। इसके बाद प्रभास ने कलाईं घड़ी देखा, रात के नौ बज चुके थे, तो अब समय हो चुका था।
                           आखिरकार प्रभास अपनी जगह से उठा और नंदिनी को उसने गोद में उठा लिया। उसके इस हरकत से नंदिनी मादक हंसी- हंस पड़ी। जबकि प्रभास उसे लेकर रूम की ओर बढा और सीढ़ियों पर चढ कर फर्स्ट फ्लोर पर पहुंचा और फिर नंदिनी को लिए ही रूम नंबर ग्यारह में प्रवेश कर गया। इसके बाद तो, उसने नंदिनी को बेड पर पटका और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। फिर उसने नजर घुमाकर रूम को देखा, आधुनिक सुविधा से लैस, रूम की सुविधा देखकर प्रभास की नजरों में संतुष्टि के भाव उभड़े।.....इसके बाद तो वह भी कुदककर बेड पर चढ गया और नंदिनी को देखने लगा।.....रूम की नीली रोशनी में नंदिनी और भी कामुक प्रतीत हो रही थी। इस परिस्थिति में प्रभास खुद पर कब तक नियंत्रण रख पाता। उसकी भावना भड़कने लगी, फिर तो उसने नंदिनी को अपने बाहु पाश में जकड़ लिया।
                          .....फिर तो एक-एक कर वो नंदिनी के शरीर से वस्त्रों को जुदा करने लगा और एक ऐसा भी समय आया, जब नंदिनी पूर्ण नि-वस्त्र हो गई। लेकिन जैसे ही प्रभास अपने वस्त्रों को उतारने लगा " रूम की लाइट जलने-बुझने लगी"। लगा कि रूम में कंपन हो रहा हो जैसे और फिर तेज स्वर "रति संवाद-रति संवाद" गुंजने लगा। अचानक परिवर्तन हुए इस परिस्थिति ने प्रभास एवं नंदिनी को आतंकित कर दिया था। भय के मारे दोनों के हलक सूखने लगे थे और शराब का नशा तो न जाने कब का उड़न-छू हो चुका था।....परन्तु वे दोनों जब तक परिस्थिति को समझते या फिर मदद के लिए कोई उपाय करते। रूम में गुंजता हुआ "रति संवाद" स्वर अधिक तीव्र हो गया और फिर ड्रेसिंग टेबुल का शीशा तेज आवाज के साथ टूटकर बिखरा और पूरे रूम में फैल गया।....फिर तो काँच का एक टुकड़ा नंदिनी के पेट में आकर धंस गया।
                           वो असह्य पीड़ा से तड़पने लगी, छटपटाने लगी वो।....जबकि प्रभास हक्का-बक्का सा रह गया, उसे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। वो नंदिनी को बचाना चाहता था, लेकिन नंदिनी ने तड़प कर दम तोड़ दिया। इधर नंदिनी के प्राण पखेरू उड़े और उधर रूम का दरवाजा जोर-जोर से पीटा जाने लगा। ऐसे में प्रभास ने हिम्मत करके दरवाजा खोला, देखा तो गेट पर होटल स्टाफ और ग्राहकों का हुजूम जमा था। इसके बाद तो जैसे ही उन लोगों की नजर अंदर पड़ी और सभी के होश फाख्ता हो गए।
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क्रमशः-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022
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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

16 सितम्बर 2022
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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

16 सितम्बर 2022
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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

16 सितम्बर 2022
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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

16 सितम्बर 2022
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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

16 सितम्बर 2022
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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

16 सितम्बर 2022
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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

16 सितम्बर 2022
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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

16 सितम्बर 2022
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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

16 सितम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022
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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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