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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

18 सितम्बर 2022

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट का झटका लगा। बात ही कुछ ऐसी थी, टेबुल पर कोर्ट का शील बंद लिफाफा रखा हुआ था।  देखते ही सलिल की भँवें तन गई, फिर वो आगे बढा और अपनी शीट पर बैठ गया, तब तक रोमील भी आँफिस में कदम रख चुका था और उसकी भी नजर लिफाफे पर पड़ चुकी थी।
                  तब तक तो सलिल ने लिफाफे को उठाकर खोल लिया था और उसमें रखे हुए पेपर को निकाल कर पढने लगा था। जबकि रोमील अपनी शीट पर बैठ गया था और उसकी नजर सलिल के चेहरे पर टिक गई थी। उसके मन में उत्कंठा जग रही थी कि आखिर उस पेपर में क्या लिखा है?.....इसलिये वो सलिल के चेहरे को गहरी नजरों से देख रहा था। साथ ही उसके मनोभाव को पढने की कोशिश कर रहा था, परन्तु उसमें सफलता नहीं मिल रही थी।.....क्योंकि इस समय सलिल का चेहरा सपाट था, ऐसे में उसके चेहरे से उसके मनोभावों को पढना आसान नहीं था।
                   लेकिन उसे ज्यादा समय तक इंतजार नहीं करना पड़ा,.....क्योंकि सलिल ने "कोर्ट नोटिस" को पढ लिया था और अब उसने पेपर टेबुल पर रख दिया और मोबाइल उठाकर बाँस को काँल लगा दिया।....काँल रीसिव होते ही सलिल मृदुल शाहा को बतलाने लगा कि किस प्रकार से नोटिस भेजा है। सलिल के बात करने से ही रोमील को पता चला कि इस मर्डर केस में "तांत्रिक भूत नाथ " की एंट्री का कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट को इस बात का जबाव चाहिए कि पुलिस इस प्रकार से अंध विश्वास का शिकार कैसे हो सकती है और मीडिया के साथ ही जनता को भ्रम में किस प्रकार से डाल सकती है? बस इसलिये ही इस केस में स्पष्टीकरण के लिए पुलिस को कोर्ट में दिन के बारह बजे लाइन हाजिर होने को कहा है। फिर रोमील ने सुना कि बाँस सलिल को समझा रहे थे कि आगे क्या करना है।
                              इसके बाद सलिल ने फोन काँल डिस्कनेक्ट किया और अपनी शीट से उठकर बाहर निकला। फिर क्या था,.....रोमील ने उसका अनुसरण किया और फिर दोनों कुछ पल बाद ही स्काँरपियों में बैठे थे। कार ड्राइव रोमील कर रहा था, जबकि सलिल बगल में बैठा हुआ था। कार सड़क पर फूल रफ्तार से भागी जा रही थी। लेकिन ड्राइव करते हुए रोमील अपने विचारों में ही उलझा हुआ था और इन्हीं विचारों के जबाव पाने का इच्छुक था।.....परन्तु किस प्रकार से? वह कैसे अपने बाँस से प्रश्न पुछे?.....क्योंकि वो जानता था कि उसकी जुवान तनिक भी इधर-उधर हुई,..."बाँस उसपर राशन-पानी लेकर चढ दौड़ेगा"। इसलिये मन ही मन वो खुद ही उलझन को सुलझाने की कोशिश कर रहा था, तभी सलिल अचानक ही बोला।
लगता है,....तुम कोर्ट के ही नोटिस पर उलझे हुए हो? सलिल ने प्रश्न पुछा और अचानक ही पुछे गए प्रश्न से रोमील चौंक कर बोला।
ज...जी सर!....मैं इस प्रश्न पर उलझा हुआ हूं कि अब आगे क्या होगा? रोमील गंभीर स्वर में बोला, फिर अपनी नजर ड्राइव पर टिका दी। कार सरपट सड़क पर दौड़ती जा रही थी। आगे-पीछे भागते गाड़ियों की लाइन और इस तरह से भागती हुई प्रतीत होती सड़कें।
रोमील....अब तो कोर्ट रूम में जाने पर ही पता चलेगा कि आगे क्या किया जा सकता है। वैसे अभी तो फिलहाल पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने के लिए हाँस्पिटल चलते है और वहां से सीधे मूख्यालय चलेंगे, बाँस के पास।
                            इतनी बात बोलने के बाद सलिल ने चुप्पी साध ली।....फिर तो रोमील की हिम्मत ही नहीं थी कि आगे कोई प्रश्न पुछ सके। बस उसने कार ड्राइव पर ध्यान केंद्रित कर दिया, जबकि सलिल, वो सोच रहा था कि आगे उसे क्या-क्या करना है। उसे अपनी कार्यवाही को आगे बढाने के लिए सबसे पहले पोस्टमार्टम रिपोर्ट की जरूरत थी, इसलिये वो सरकारी हाँस्पिटल जा रहा था, डा. संजीव पाहूजा के पास। फिर वहां से निकलेगा, तो सीधे पुलिस मूख्यालय जाए और बाँस को रिपोर्ट सौंपेगा। उसके बाद बाँस से आदेश लेगा कि "कोर्ट नोटिस" पर किस प्रकार की कार्रवाई करनी है।
घर्र.....घर्रर।
                     सहसा अचानक ही कार झटके के साथ रुकी, जिसके कारण टायरों के घिसटने की आवाज से पूरा इलाका गुंज उठा और इस अचानक लगने बाले झटके से सलिल की तंद्रा भी टूट गई। फिर उसने देखा कि कार हाँस्पिटल के प्रांगण में खड़ी थी। इसलिये रोमील के साथ कार से उतरा और उधर बढ गया, जिधर डाक्टर संजीव पाहूजा की आँफिस थी।.....मन में इस विचार को लिए हुए कि डाक्टर इस केस में क्या जानकारी देता है। बात भी तो वहीं टिकी थी, रिपोर्ट आने के बाद ही इस केस में आगे कार्रवाई संभव था। इसलिये तेज कदमों से चलता हुआ वह डाक्टर के आँफिस में पहुंचा, तो देखा कि डाक्टर फाइलों में उलझा हुआ था। संजीव पाहूजा की नजर जैसे ही दोनों पर गई, बैठने के लिए इशारा किया और बैठ जाने के बाद उनकी ओर देखकर धीरे से बोला।
कहिए सर!.....आपकी क्या सेवा करुं?
सेवा करने की जरूरत नहीं है डाक्टर साहब, बस आप मुझे पोस्टमार्टम रिपोर्ट दीजिए और इस केस के महत्वपूर्ण बिंदुओं को बताइए। डाक्टर की बातें सुनकर सलिल तपाक से बोला और फिर पाहूजा के चेहरे को व्यग्र नजरों से देखने लगा। उसकी बातें और चेहरे के हावभाव देखकर  को समझ कर डाक्टर पाहूजा के होंठों पर मुस्कान आ गई और फिर बोले।
लगता है सलिल सर......आप बहुत जल्दी में है, तभी तो व्यग्र हो रहे है?
हां डाक्टर साहब,.....बात ही कुछ ऐसी है। कोर्ट ने इस केस में संज्ञान ले लिया है और बारह बजे कोर्ट में भी पेश होना है। पाहूजा की बातें सुनकर सलिल पूर्ववत बोला, जबकि उसकी बातें सुनकर डाक्टर पाहूजा ने एक फाइल उसके हाथों में थमाया और बोला।
सर.....ये रही तीनों डेड बाँडी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट। परन्तु आश्चर्य की बात है कि इन तीनों हत्याओं में साइनाइड जहर का उपयोग हुआ है। परन्तु इससे भी बड़ी आश्चर्य की बात ये है कि इस हत्या में डेड बाँडी के शरीर से जो कांच निकला है,....वो ड्रेसिंग बोर्ड के शीशे का ही टुकड़ा है,.....है न आश्चर्य की बात। अपनी बातें बोलने के बाद पाहूजा ने अपनी नजर सलिल के चेहरे पर टिका दी और उसके आँखों में देखने लगा। जबकि उन्हें अपनी ओर देखता पाकर सलिल बोला।
डाक्टर साहब.....यह तो ठीक है, परन्तु इसके आगे कोई खास बात? सलिल ने प्रश्न पुछा, जिसके जबाव में पाहूजा  एक पल मौन होकर कुछ सोचने लगा, फिर गंभीर होकर बोला।
नहीं सर,.....ऐसी बात नहीं है सर। उसमें भी अभी तक बिसरा रिपोर्ट नहीं आया है, इसलिये इस विषय में ज्यादा कुछ नहीं बतला सकता।
                            बोलने के बाद पाहूजा ने मौन साध ली। डाक्टर के मौन साधते ही सलिल समझ चुका था कि अब पाहूजा बात करने के मुड में नहीं है। इसलिये डाक्टर से विदा लेकर सलिल और रोमील वहां से निकले और कार में बैठते ही श्टार्ट करके आगे बढा दी। फिर तो कार हाँस्पिटल गेट से निकलते ही सरपट दौड़ने लगी। इस दरमियान कार के अंदर चुप्पी छाई रही,.....क्योंकि सलिल बात करने के मुड में नहीं था और रोमील की हिम्मत नहीं थी कि बात की शुरुआत कर सके। ऐसे में बस कार के इंजन की आवाज ही कार में गुंज रही थी। फिर तो कार "पुलिस मूख्यालय " के प्रांगण में ही रुकी और गाड़ी के रुकते ही दोनों बाहर निकले और तेजी से एस. पी. साहब के आँफिस की ओर बढे,....मन में जिज्ञासा के साथ ही भय को लेकर।
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क्रमशः-
                   


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022
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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

16 सितम्बर 2022
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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

16 सितम्बर 2022
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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

16 सितम्बर 2022
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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

16 सितम्बर 2022
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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

18 सितम्बर 2022
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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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