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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022

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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है।
प्रारंभ:-
                वह बीस वर्ष का नौजवान था। शरीर गठा हुआ, लेकिन इकहरा, घनी काली जुल्फें और नीली आँखें। गौर वर्ण और गोल चेहरा और उसपर सुर्ख गुलाबी ओंठ। जंगल के बीच उस फर्महाउस में इस समय वह अकेला ही बरामदे में बैठा हुआ था। उस नौजवान की सुन्दरता ऐसी थी कि किसी का भी दिल अपनी ओर बरबस ही खींच ले। परन्तु उसके आँखों में थकावट की रेखा थी।......उसके चेहरे से बेचैनी स्पष्ट झलक रही थी। बरामदे पर बेंत की कुर्सियां रखी हुई थी और उसके बीच टेबुल पर प्याले में मादक पेय रखा हुआ था।
                              हां, वह फेनी पीने का शौकीन था, इसलिये स्पेशल अपने ही लिए मंगवाता था। इस समय शाम के पांच बजने को थे और ढलते समय के साथ ही सूर्य देव थक कर अस्ताचल की ओर जा रहे थे।.......... लेकिन उनकी थकी हुई रोशनी में भी गजब की चमक थी, जिसमें फर्महाउस अपनी छटा बिखेर रहा था।.....दूर- दूर तक जंगल ही जंगल, जिसके मध्य में बना हुआ वह "चंद्रिका वन, नाम का फर्म हाउस। आर्टिटेक्ट की दृष्टि से काफी भव्य और बेहतर तरीके से बनाया गया था फर्म हाउस को।
                          चारों तरफ ऊँची-ऊँची बाऊँड्री बाँल से घिरा हुआ, जिसके मध्य में तीन मंजिल की इमारत थी। हां, उसे इमारत ही कहना उचित होगा.....क्योंकि वह काफी विशाल थी और काफी दूर में फैली हुई थी। आगे स्वीमिंग पुल और इसके बाद चारों तरफ विभिन्न प्रकार के पौधे और फूलों की क्यारी। वहां का वातावरण काफी खुशनुमा और सुगंधित था।.....ऐसा कि किसी के भी चेहरे पर प्रसन्नता ला दे। परन्तु न जाने क्यों वहां का खुशनुमा वातावरण भी उस नौजवान के चेहरे पर प्रसन्नता नहीं ला सकी थी। वह खुश नहीं था, शायद वहां वो अकेला भी था।
               बीतते समय के साथ ही जब उससे नहीं रहा गया, उसने प्याले को उठाया और हलक में उड़ेल लिया। फिर भी उसके चेहरे पर शांति के भाव परिलक्षित नहीं हुए। ऐसे में वो अपनी जगह से उठा और अंदर जाकर लैपटाँप उठा लाया। साथ में फेनी की बोतल भी, जिसे उसने बैठने के साथ ही प्याले में भरने लगा। उसके बाद तो दे दनादन, उसने चार प्याले हलक में उतार लिए। अब उसकी आँखों में तृप्ति के भाव दृष्टिगोचर होने लगे थे। नशा की हल्की सुर्ख लाली अब उसके आँखों में उतर आई थी और तब वह लैपटाँप खोलकर उसके की-बोर्ड से खेलने लगा।
                   उसे लिखना था, अपने जीवन के बीते हुए उन लमहों को.....जो बेतरतीब से उलझे हुए थे। मानव मन चेतना की पराकाष्ठा को पाना चाहता है। मानव ही तो है......जीवंत होकर जीना चाहता है। परन्तु समय बहुत ही   बलवान है, वह मानव को मन की चलने ही नहीं देता। जब समय अपनी चाल चलता है, मानव के हौसले पस्त हो जाते है। समय जब अपनी चाल चलता है, मानव को अपने अक्ष पर चक्करघिन्नी बनाकर ही छोड़ता है। उसकी भावनाओं को पंगु कर देता है, इतना पंगु कि उसकी सहनशक्ति जबाव देने लगती है।......शायद वह भी तो समय के इसी चपेट में फंसा हुआ था। तभी तो वो अपने बीते हुए लमहों को डायरी के पन्नों में कैद कर लेना चाहता था।
                  उसके मन की कड़वी बातें, उसका खुद का किया हुआ अनुभव किसी के काम आ सके।...उसके साथ जो घटित हुआ, किसी और के साथ घटित नहीं हो। बस इसलिये वह लैपटाँप के की-बोर्ड पर अपने अंगुलियों को तेजी से चलाने लगा।.....इस दरमियान उसके चेहरे पर भावों की आवृति सी होती रही।...सूर्यदेव चलते-चलते थक से गए और अपने अस्ताचल को चले गए। सूनसान इलाका होने के कारण वह पूरा इलाका अंधेरे के आगोश में धीरे-धीरे समाने लगा।.....लेकिन अभी पूरा अंधेरा ढला भी नहीं था कि पूरा फार्म हाउस रोशनी से नहा गया और चंद्रमा की तरह प्रतीत होने लगा। जिस प्रकार से अंधेरी रात में आकाश में चंद्रमा दैदीप्यमान होता है और अपने शीतल प्रकाश से जगत को आच्छादित कर देता है। ठीक उसी प्रकार से जंगल के बीच वह फर्महाउस प्रतीत हो रहा था, चमकता हुआ।
                        अचानक ही वह युवक उठा, उसने लैपटाँप टेबुल पर रख दिए और स्वीमिंग पुल की ओर बढा। लेकिन उसकी चाल बता रही थी कि जैसे उसे किसी प्रकार की जल्दी नहीं है। वह धीमी कदमों से चलता हुआ स्वीमिंग पुल के करीब पहुंचा और फिर छपाक! उसने स्वीमिंग पुल में गोते लगा दिए। इसके बाद वह बेवजह ही पानी में इधर-उधर तैरने लगा। समय आहिस्ता-आहिस्ता आगे की ओर बढती जा रही थी। परन्तु उसके चेहरे से ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा था कि उसे किसी प्रकार की जल्दी हो। वह तो इस शीतल जल में अपने मन को शीतल कर लेना चाहता था। वह, जो विचारो की अग्नि में जल रहा था, उस जलन से उसे निजात चाहिए थी।.....परन्तु क्या यह संभव है?....कभी भी नहीं। क्योंकि मानव मन की गति ऐसी है कि उसे रोकने में तो सिद्ध ऋषि-मुनि भी असमर्थ थे, तो मानव की क्या बिसात।
                      खैर! करीब आठ बजे वो स्वीमिंग पुल से निकला और बिल्डिंग की ओर बढा। लेकिन वह बाहर नहीं रुका, सीधे लीविंग रूम में पहुंच गया। उसका भीगा हुआ वदन, जिसपर से पानी की बूंदें टपक रही थी। इस समय वह और भी सुंदर प्रतीत हो रहा था। जैसे कमल के फूल पर ओर की बूंदें पड़ने के साथ ही खिल जाती है, उसी प्रकार उसका अंग-अंग खिल उठा था। उसने लीविंग रूम में कदम रखा और अपने कपड़े बदलने लगा। अंदर की सजावट बहुत ही बेहतरीन तरीके से की गई थी। अंदर का डेकोरेशन बेहतरीन तरीके से किया गया था। हाँल में लगा हुआ सोफा, जिसके मध्य में लगी हुई सेंटर टेबुल, तो कोने में रखा हुआ रेफ्रीजरेटर।
                          अभी वो कपड़ा बदल ही रहा था कि तभी सेंटर पर रखे हुए उसके मोबाइल ने अचानक ही वीप दी। इसके साथ ही पूरे बंगले की रोशनी अचानक ही बंद हो गई। एकाएक धूप्प अंधेरा छा गया और फिर तो रंग- विरंगी रोशनी जलने-बुझने लगी। इसके साथ ही तरंग में डूबा हुआ स्वर गुंजने लगा।.....रति संवाद.....रति संवाद.. रति संवाद! इसके साथ ही गुंजता हुआ स्वर अधिक तीव्र- अधिक तीव्र होने लगा। साथ ही रंग-विरंगी रोशनी तेजी के साथ जलने-बुझने लगी। वहां ऐसा प्रतीत होने लगा कि रहस्यमय तरंगें प्रवाहित हो रही हो। भय का अजीब सा लहर हाँल में प्रवाहित होने लगा।
                        भय का तीव्र लहर उस युवक के चेहरे पर भी प्रवाहित होने लगी। लेकिन वह डरते-डरते ही आगे बढा, मोबाइल उठा कर काँल रीसिव किया और इसके साथ ही हाँल में गुंजता स्वर शांत हो गया। रोशनी का झपकना रुका और वहां स्थिर शांत दुधिया रोशनी फैल गई। वहां की स्थिति नार्मल होते ही युवक के चेहरे पर भी राहत के भाव दृष्टि गोचर होने लगे। इसके बाद वो फोन पर बात करने लगा और उधर से कही बातों पर आश्चर्य चकित होता रहा। उसके चेहरे पर के हाव-भाव पल-पल बदल रहे थे, साथ ही उसके आँखों की चमक बढती जा रही थी।
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क्रमशः-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

16 सितम्बर 2022
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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022
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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

18 सितम्बर 2022
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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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