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पुलिस मुख्यालय......

16 सितम्बर 2022

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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्मम हत्या कर दी गई थी। मामला ही इतना गंभीर था कि वे आज पुलिस स्टेशन में ही रुक गए थे,....घर नहीं गए थे। इस केस को लेकर वे कितने गंभीर है, इस बात की पुष्टि उनके चेहरे पर छाई गंभीरता कर रही थी।
                   एस. पी. आँफिस, आधुनिक सुविधाओं से लैस, आँफिस में उनके कुर्सी के आगे टेबुल, उसके आगे लगा इंपोर्टेड सोफा चेयर। साथ ही कोने में रखा हुआ रेफ्रीजरेटर। आखिर वे पुलिस कप्तान थे और उनके आँफिस की व्यवस्था भी उसी प्रकार की होनी चाहिए थी। परन्तु उनका स्वभाव, अपने अधीनस्थ के लिए वे कठोर व्यवहार करते थे, परन्तु नगर वासियों के लिए उनके स्वभाव में मृदुलता कुछ अधिक ही थी। इस समय भी वे आँफिस में इसलिये ही रुके थे कि इस केस को जल्द से जल्द सुलझा कर जनता को राहत दे सकें।
जय हिंद सर! ......आँफिस का गेट खुला और आँफिस में कदम रखते ही सलिल एवं रोमील ने उन्हें सैल्यूट देते हुए बोला।
जय हिंद!.....आओ बैठो।....एस. पी. साहब अपना काम करते हुए ही बोले। सलिल एवं रोमील के आने से "मजाल कि उनके चेहरे पर कोई भाव आया हो"।
                           आँफिस में कदम रखने के बाद भी बाँस की किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं देखकर सलिल एवं रोमील की धिग्धी बंध गई।.....उन्हें ज्यादा तो कुछ भी समझ नहीं आया, बस इतनी ही बात दोनों समझ पाए कि आज उनकी जमकर क्लास लगने बाली है। इसलिये दोनों सावधानी पूर्वक आगे बढे और वहां रखे सोफे पर सावधानी पूर्वक बैठ गए। इस आँफिस में कदम रखते ही रोमील भी काफी हद तक संभल चुका था। कुछ पल पहले चलते-चलते भी निंद खींचने बाला रोमील अभी सावधान बैठा हुआ था, उसके चेहरे पर सतर्कता चश्पा हो गई थी। परन्तु मृदुल शाहा साहब को तो मानो इससे कोई मतलब ही नहीं था। वे तो बस अपने काम को निपटाने में लगे हुए थे और जब वे काम से निवृत हुए, उन दोनों को आए हुए करीब आधा घंटे हो चुका था।
हां तो सलिल, अब बताओ कि इस केस में कहां तक पहुंचे हो और आगे की क्या योजना है? एस. पी. साहब ने अपने काम से फ्री होते ही सबसे पहले यही प्रश्न किया और अपनी कुर्सी खींचकर उन लोगों के करीब ले आए और फिर उन्होंने अपनी नजर दोनों के चेहरे पर टिका दी। उन्हें इस प्रकार से अपनी ओर देखता पाकर एक बारगी तो दोनों का हिम्मत ही जबाव दे गया, फिर भी बातें तो करनी ही थी, इसलिये सलिल धीरे से बोला।
सर!.....इस केस में हम ज्यादा तो कुछ भी अभी तक नहीं जान पाए है।....परन्तु मौका- ए- वारदात की वीडियो क्लीप हमारे हाथ लगी है। बोलकर सलिल मौन हो गया, तब एस. पी. साहब बोले।
तुम भी न सलिल,....ऐसे आधी-अधूरी जानकारी दोगे, तो क्या समझ पाऊँगा। मुझे तो, इस केस में कितना प्रोग्रेस किए हो, उसके बारे में बतलाओ? एस. पी. साहब ने प्रश्न किया और फिर नजर टिका दी, सलिल के चेहरे पर। परन्तु सलिल उनके प्रश्न पुछने का तरीका ही ऐसा था कि एक पल के लिए सलिल जबाव देने का हिम्मत नहीं कर सका। फिर बहुत हिम्मत जुटाकर इस घटना के बारे में क्रम-बार बतलाने लगा।
                   एस. पी. साहब उसकी बातों को ध्यान पूर्वक सुन रहे थे। जबकि सलिल उन्हें बतलाने लगा कि किस प्रकार से नंदा एवं नंदिनी की हत्या की गई और फिर सी. सी. टीवी से वीडियो क्लीप हासिल हुआ। फिर वो बतलाने लगा कि किस प्रकार से इस केस में अब तक खोजबीन की है और वीडियो मिलने के बाद उसकी आगे की तैयारी क्या है? एस. पी. साहब ध्यान पूर्वक उसकी बातों को सुन रहे थे और जब सलिल चुप हुआ, उन्होंने वीडियो क्लीप चलाकर दिखाने को कहा।...फिर तो सलिल ने अपने मोबाइल को लैपटाँप से जोड़ दिया और वीडियो प्ले कर दिया।....एस. पी. साहब ने दोनों वीडियो क्लीप को ध्यान पूर्वक देखा और फिर मौन होकर सलिल के चेहरे को देखने लगे।
                          उन्हें इस प्रकार से देखता पाकर सलिल घबरा सा गया। उन्हें अपनी ओर इस प्रकार देखता पाकर सलिल समझ नहीं पा रहा था कि बाँस की मंशा क्या है? जबकि एस. पी. साहब करीब पांच मिनट तक मौन रहने के बाद सलिल को समझाने लगे कि तुम एक काम करो कि इस घटना को प्रेत से जोड़ दो और किसी तांत्रिक के पास इस घटना के संदर्भ में मिलो।.....हलांकि सलिल ने हल्के स्वर में इस बात का विरोध करने की कोशिश की,....परन्तु एस. पी. साहब उसको समझाने लगे। वे गंभीर होकर बतलाने लगे कि" इस घटना क्रम ने तहलका मचा दिया है"। इसपर मीडिया बाले टी. आर. पी के लिए इस केस को भुनाने की कोशिश कर रहे है। ऐसे में मुझे भी "डिबेट" के लिए बुलाया गया है।
                             इसके बाद एस. पी. साहब उसे अपनी योजना के बारे में समझाने लगे।....बाँस का आदेश सिर्फ पालन करने के लिए होता है, इसमें विरोध शब्द की कोई गुंजाइश नहीं होती। इसलिये सलिल सहमति में सिर को हिलाता रहा और फिर एस. पी. साहब ने जब अपनी बातें खतम की, सलिल ने उनसे अनुमति ली और उठकर आँफिस से बाहर निकला। जब वो आँफिस से बाहर निकला, रात के दो बज चुके थे। ऐसे में दोनों आँफिस बिल्डिंग से निकल कर स्काँरपियों के पास पहुंचे और गाड़ी में बैठने के साथ ही श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दिया।
                  स्काँरपियों ने सड़क पर आते ही रफ्तार पकड़ लिया था। जबकि रोमील, कार ड्राइव करते हुए भी सलिल के चेहरे को कनखियों से दख लेता था। रोमील के हाव-भाव बतला रहे थे कि आँफिस से निकलने के बाद वह कुछ उलझा-उलझा सा है। बात ही कुछ ऐसी थी, उसे एस. पी. सर द्वारा कहा गया "आधा शब्द" ही समझ आया था। अतः वो चाहता था कि सलिल से इस संदर्भ में बात करें।.....परन्तु वह हिम्मत ही नहीं कर पा रहा था सलिल से बात करने की, क्योंकि वो देख रहा था कि " सलिल" गहरे विचार में डूबा हुआ है। उधर सलिल भी समझ रहा था कि रोमील उससे कुछ पुछना चाह रहा है। परन्तु इस समय उसकी बोलने की इच्छा बिल्कुल भी नहीं थी। वह तो वास्तव में ही उलझा हुआ था, "बाँस द्वारा मिले आदेश ने उसे उलझाकर रख दिया था।
                         एस. पी. साहब द्वारा मिले आदेश के बाद वो सोचने पर विवश हो गया था कि " आगे क्या? वह अच्छी तरह से जानता था कि "घटित हुआ अपराध" भले ही सबसे अलग दिख रहा हो। लेकिन भूत-प्रेत से इस घटना को जोड़ना विक्टीम के साथ न्याय नहीं होगा। भले ही वो इस मामले को "प्रेत बाधा" के रुप में प्रचारित करें, ....परन्तु जब तक इस केस को उकेरा नहीं गया। उसे सफलता नहीं मिल सकती। वो जानता था कि एस. पी. साहब के आदेश का पालन करके त्वरित राहत तो मिल सकती है। लेकिन यह राहत बिल्कुल भी टिकाऊ नहीं होगी और फिर से इस मामले को तूल पकड़ना है। उसने इस बात को समझाने की कोशिश की थी,....परन्तु बाँस तो बाँस होता है। उन्होंने आदेश सुना दिया, उसके बाद कोई शक की या आर्गूमेंट की गुंजाइश नहीं रहती। ऐसे में उसके पास "आदेश पालन" करने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचा था।
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क्रमशः-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022
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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

16 सितम्बर 2022
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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

16 सितम्बर 2022
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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

16 सितम्बर 2022
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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

16 सितम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022
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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

18 सितम्बर 2022
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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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