बडा बेरहम था इश्क मेरावक्त आया जब साथ देना कातो साथ छोड़ दिया ...खैर .....ना शिकवा इश्क से हैना शिकायत खुदा से हैबस ख़फ़ा मैं खुद से हूँ के मेरा इश्क ऐसा क्यों ? 10:02 am13/05/2023 &nb
कभी - कभी ना कुछ बाते , कुछ वादे और कुछ यादेबहुत तकलीफदेह होती हैजिसके याद आते ही हमएक गहरी खामोशी में चले जाते हैऔर तब कुछ भी अच्छा नहीं लगता हैहर चीज़ बेगाना सा लगने लगता हैजैसे कि ह
तुम करोगे यूँ किनारा हमने सोचा ना था करा के दिल क़ो चाहत अपनी यूँ बदल जाओगे हमने ऐसा सोचा ना था। तुम जानो मज़बूरी हैं, या कोई लाचारी तुम्हारी हमें इस तरह से भूल जाने की आदत हैं या अदा हैं तुम्हारी देखके
ओ खुदा ओ खुदा ओ खुदा... बदन रोज एक लहू-लुहान है नफ़रत, देखो कैंसी महान है खूबसूरत चिड़िया जो महमान है कैंसे थमे जुल्म का शिलशिला कब थमेगा दिलो का धुआं... ओ खुदा ओ खुदा ओ खुदा...
ओ खुदा ओ खुदा ओ खुदा... लड़की जो मुझसे वो अंजान है जाने नही क्यों मेरी जान है मधु मेरे दिल की वो महमान है पलक झपकते ही तसव्ववुर नखशिखा अज़ीज दिल को तेरी हर इक अदा...
ओ खुदा, ओ खुदा, ओ खुदा... घर की खातिर जो घर से निकल जाते है डगर पे अकेले ही चल जाते है शौंक अचानक बदल जाते है फिज़ा में जहर है घुला तितलिया हो रही गुम-सुदा...
*रिश्ता* जीवन में किसी को......... दिल से पसंद करते हो..... उससे रिश्ता जोड़े रखे..... आपका काम चाहे न हो... पर कभी गलत राय......... आपको नहीं देगा............ जीवन में बहुत से रिश्ते.... गलत
बेटियाँ पराई नहीं, दिलों में रहती है... एक बार एक गरीब पिता ने अपनी एकलौती पुत्री की सगाई करवाई... लड़का बड़े अच्छे घर से था, इसलिए माता-पिता दोनों बहुत खुश थे । लड़के के साथ लड़के के पूर
गर रखो हसरत फूलों से , तो कांटो से ना रुसवाई, जीवन के कई मोड़ पर , दोनो ही साथ निभाए,।। जीवन है रंग बिरंगी , हम जीते बन अतरंगी , इसके भाव है अनमोल, इसे हल्के में ना तोल,। गमों को भी हंस गले लगा, खुशिय
गुजरती गई मेरी जिंदगी यूं ही तमाम होकर , सोचा था कुछ ,हुआ कुछ , करना था कुछ, हो गया कुछ , रास्ते ऐसे ही बदलते गए, किस्मत भी रोज टालती रही , दूसरो से कोई गिला न था , अपने ही पैर कुतरते रहे , सोच
" कभी - कभी ऐसा वक्त आता हैं कि हमें कुछ फैसले लेना पड़ते हैं . .जो शायद सामने वाले का दिल तोड़ दे ... जिससे हम प्यार करते हैं . .
"दो लोगों के बीच छोटी - छोटी गलतफहमियां भी ...एक रिश्ते को खराब कर सकती हैं ,पर वही कमजोरी ... एक मौका देती हैं . . .नये दोस्त बनाने का मौका ... और अपने उसी रिश्ते को ... और मजबूत बनाने का म
हमने अपने औकात में रहना सीख लिया है . . .क्योंकि यहाँ औकात याद दिलाने वाले बहुत लोग है . . .हमने अपने बराबरी वालो से ...रिस्ता बनाना सीख लिया है . . .क्योंकि यहाँ अपने से बड़े लोगों से ...रिस्ता बना क
टूटा 💔हुआ दिल लेके जाऊँ कहाँ ...अब अपनी हाल - ए - दिल सुनाऊँ कहाँ✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )
जिंदा रह के क्या करू..जब कोई मुझसे खुश ही ना रहे ..ढूंढे थे खुश रखने के मैने बहुत तरीके ..फिर भी वो खुश ना हुए ...जो भी सपने देखे थे खुश रखने के लिए. . .जिस खुशी को सजो के रखे थेमैंने उनको
सांसे थम सी जाती है , जब किसी को मेरी वजह से ...दुःख पहुंचता है तो ...मन भर जाता है . . .एक आह निकलती हैमै उसके दुःख का कारण हूँ जान करपता नहीं मुझमें ऐसा क्या है ...कि जो भी मेरे पास आता है ...व
बीती बातें याद करके ...जलता है जिया मेरा ...क्या बताऊं तुम्हें ... ?दम घुटता है यहां मेरा ...छीपाया है मैंने कुछ ऐसे दर्द ...मेरे इस मुस्कुराहट के पीछे ...जिसे याद कर ...कई बार टूटकर बिखरी हूँ मैं ...
मुझसे दूर ही रहा करो ...मेरे पास आने का सोचना भी मत ...मैं वो चीज हूँ ... अगर जिसके भी हिस्से में आई .. उसकी पूरी जिंदगी बर्बाद हो कर रह जाएगी ...मेरा कोई हक नहीं बनता किसी के जिं
क्या खता थी मेरी जो तु मुझे छोड़ करमुझसे मूँख मोड़ लिए सारे रिश्ते नाते तोड़ करमुझसे मिलों की फसलें बना लियातुने एक बार भी यह बताना जरूरी नहीं समझा ...कि तुने मुझे ऐसी सजा क्यों दिया किस खता पे दिया .
मेरे जिंदगी में दुःख कोई कम नहीं हैपर मैंने भी ठान लिया हैं . . .जितना भी जिऊंगी ..हंस कर और हंसा कर जिऊंगी ...मैं लोगों के चहरे का मुस्कुराहट बनना चाहती हूँ ...मैं जितना भी जिऊ हंस कर जिऊं ...भ