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मनखी की कविताएं

हरीश कंडवाल मनखी

71 अध्याय
0 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
32 पाठक
निःशुल्क

इसमे मेरे द्वारा सृजित कविताओं का संकलन है। 

mankhi ki kavitayen

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पुस्तक के भाग

1

हिंदी दिवस

13 सितम्बर 2021
3
8
0

<div> </div><p dir="ltr"><span style="font-size: 1em;">हिन्दुस्तान जिस देश का नाम</span><br></p

2

तुम्हारे लिये

16 सितम्बर 2021
3
6
4

<div><br></div><div><br></div><div><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/61384

3

तुम क्यों नही समझते

17 सितम्बर 2021
3
4
3

<div><br></div><div><br></div><div>मेरी पलको का बार बार तुमको देखके झुकना</div><div>मेरे हाथों का अन

4

इशारा कर दो

18 सितम्बर 2021
3
7
1

<div><br></div><div><span style="font-size: 1em;">अगर तुम हमसे नाराज नही</span><br></div><div>फिर&nb

5

चल मुसाफिर चल

21 सितम्बर 2021
1
3
2

<p> मॉ के गर्भ में नौ माह का किया सफर,</p> <p>मिला मुझे मॉ का सबसे पहले प्यार</p> <p>जन्म लेते

6

कोई

23 सितम्बर 2021
3
5
4

<div><br></div><div><br></div><div>किसी को भुलाकर ही </div><div>याद आता है कोई</div><div>किसी क

7

ऊपर वाले कि आवाज

25 सितम्बर 2021
0
3
0

<div> </div><div>जब कभी उहापोह की स्थिति हो</div><div>अंदर मन में कुछ उलझन सी हो</div><div>क्या

8

पापा की शान होती है बेटियां

26 सितम्बर 2021
2
2
0

<div> <span style="font-size: 1em;">बिटिया तेरी हर नादानी अच्छी लगती</span></div><div align="le

9

मॉ/ अम्मा

27 सितम्बर 2021
0
2
0

<p> अब जब भी गॉव जाता हूॅं </p> <p> गाड़ी से नीचे उतरते ही </p> <p>&n

10

मेरी तरह झूठे हो तुम

2 अक्टूबर 2021
5
5
3

<div><br></div><div><span style="font-size: 1em;"> इतने नाराज क्यों हो तुम</span><br></div><div

11

क्यो

7 अक्टूबर 2021
1
2
0

<div> <span style="font-size: 1em;">ये चाँद क्यो रोशन करता है चाँदनी को</span></div><div align=

12

तकिया

18 अक्टूबर 2021
0
1
0

<div> तकिया</div><div><br></div><div>तकिया भी बाहों को प्यार का कराता अहसास</div><div>ये तन्हाई

13

आईना

24 दिसम्बर 2021
0
0
0

<div align="left"><p dir="ltr">आईना देखकर हम संवरते है,<br> उसके पीछे सच से छिपते है<br> बहुत कुछ बं

14

चुनाव

12 जनवरी 2022
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0

सुना है कि चुनाव आ गयेमीठे भाषणों के दिन आ गएअभी तो सब होंगे नतमस्तकसब कहेंगे आपको पथ प्रदर्शक।सोशल मीडिया में छिड़ गया वारएक दूसरे पर आरोपो की बौछारकौन है भला यँहा दूध का धुलाचुनाव क

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ये आँखे

13 मार्च 2022
1
1
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ये आंखेदर्द में डूबी सुनसान हैं ये आंखे आँसू बन गए है अब मरहम बिन मंजिल की मुकाम है ये आँखे।।हर अश्क छिपाते है हर दर्द छिपाते है। नासूर जख्मो की गमगीन दास्तान सुनाती हैं

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तुम्हारे बिन

19 मार्च 2022
1
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वक्त का पहिया जो कभी रुकता नहींपता नही क्यूँ तुम बिन वक्त कटता नही।वैसे सब कुछ होते हुए, वैसा लगता नहीँमन समझाता है बहुत, दिल मानता नही।मालूम है कि तुम हो नहीं, पर ऐसा लगता नहींअहसास होता

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मौन  मुखर

24 मार्च 2022
1
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2

बहुत अनकही बातों को भी कह देता है मौनमन की अंतरंग सवालों का जबाब देता है मौन।चुप रहकर भी बहुत कुछ इशारा कर देता है मौनमन की बेचैनी को बिना कुछ कहे बता देता है मौन।मन में चल रहे अंतर्कलह को समझा देता ह

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जरा मुस्कुरा दो

30 मार्च 2022
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यूं चुप रहना तुम्हारा जुदा जुदा सा लगता हैये खामोशी तुम्हारी, खफा खफा सी लगती है।कुछ बंया कर दो, मौन तुम्हारा अच्छा नही लगता हैकुछ तो कह दो, यूं नाराज होना अच्छा नहीं लगता है।तुम्हारा कलियों के

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वो तुम नहीँ

28 अप्रैल 2022
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0

हर किसी को पीछे से देखा तो लगा कि वह तुम ही होजब वो मेरे सामने आए तो देखा को वह तुम ही नही हो।।तुम कही से आवाज दोगे हमकोतुम कही से दिखाई दोगे हमकोहम हर किसी मे ढूंढते रहे तुमकोलेकिन तु

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वो तुम नहीँ

28 अप्रैल 2022
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हर किसी को पीछे से देखा तो लगा कि वह तुम ही होजब वो मेरे सामने आए तो देखा को वह तुम ही नही हो।।तुम कही से आवाज दोगे हमकोतुम कही से दिखाई दोगे हमकोहम हर किसी मे ढूंढते रहे तुमकोलेकिन तु

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वो तुम नहीँ

28 अप्रैल 2022
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हर किसी को पीछे से देखा तो लगा कि वह तुम ही होजब वो मेरे सामने आए तो देखा को वह तुम ही नही हो।।तुम कही से आवाज दोगे हमकोतुम कही से दिखाई दोगे हमकोहम हर किसी मे ढूंढते रहे तुमकोलेकिन तु

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पथ के पत्थर

7 जून 2022
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पथ पर पड़े पत्थर भी राह दिखाते हैं वही मील के पत्थर साबित हो जाते है शीत गर्म दोनो का वह अहसास कराते हैं कभी राह मुश्किल कभी आसान बनाते हैं। पथ के पत्थर ठोकर खाकर गिराते है कभी गिरकर भी अक्ल ठिका

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ताला चाभी

17 जून 2022
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  चार दियारे अपने वजूद पर टिकी हैं छत की पटाले, दारे, नीचे झुकी है पलायन की दास्तां बया करती तस्वीर  ऐसी पुरखो की विरासत की तकदीर। दीवार पर लगे पत्थर शर्म से मौन है घर का कण कण बचपन, जवानी अधेड़ औऱ

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ताला चाभी

17 जून 2022
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चार दिरे अपने वजूद पर टिकी हैं छत की पटाले, दारे, नीचे झुकी है पलायन की दास्तां बया करती तस्वीर ऐसी पुरखो की विरासत की तकदीर। दीवार पर लगे पत्थर शर्म से मौन है घर का कण कण बचपन, जवानी अधेड़ औऱ बुढापा द

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कह दो कि सच नहीँ है।

25 जून 2022
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सच नहीँ हैकह दो कि हम तुमसे प्यार करते हैं, यह सच नहीं हैपल पल पलटकर देखना, शर्माना, यह मोहब्बत नहीं है।भीड़ में मुझे देखकर,चेहरे पर रौनक आना, प्यार नहीँ हैहर पल मेरा स्टेटस देखना, तस्वीर न

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समझौता कर लेते हैं

4 जुलाई 2022
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आओ अब छोड़ो झगड़ना समझौता कर लेते हैहम तुम एक है मिलकर इस बात को समझ लेते है।।क्या रखा है बहस करने में आओ बैठकर बात करते हैचार दिन की है ये ज़िन्दगी,आओ हँसकर जी लेते है।।एक दूसरे को गले मिलकर गिले शिकवे

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ये वादियां

1 अगस्त 2022
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ये वादियां ये घाटियां गवाह हैंप्रकृति के अनूठे सृजन के लिएये सदियों से यथावत खड़ी हैं, ईश्वर के शाश्वत प्रमाण के लिये।ये नहीं बदली ये आज भी सुंदर हैये स्थिर है, अविचल है, अडिग हैधरा की नैसर्

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रूप हूँ चाहे कुरूप हूँ। 

28 जनवरी 2023
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मैं भी कभी पौधा थाजिसे पशुओं ने रौधा थाफिर डाल बनकर लहरायामुझसे मवेशियों ने चारा पाया।मेरी सुंदर शाखाये मेरी शान थीमेरी हरी पत्तियां मेरी बान थी मेरी जड़े मेरा तना मेरी अभिमान थीमेरी शुद्ध हवा, वा

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ऑनलाइन मोहब्बत 

30 जनवरी 2023
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वो मेरा स्टेटस तो देखते होंगेगुड़ मॉर्निंग इविनिंग गुड़ नाईट मेसेज का इंतज़ार तो करते होंगेहर बार स्क्रीन तो चैक करते होंगे।मेरी डीपी क़ो ज़ूम करके देखते होंगेऑनलाइन हैँ या नहीं चैक करते होंगेकौ

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देहरादून

4 फरवरी 2023
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शांत आओ हवा का वातावरणअब प्रदूषण में बदल गया हैहरे पेड़ो से लखदख वन नगरअब कंक्रीट में बदल गया है।नहरों की वो कल कल ध्वनिगाड़ियों की हॉर्न में बदल गये हैएकड़ में बासमती और गन्ने केे खेत गज औऱ बिस्वा

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विरासत के रंग

13 मार्च 2023
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सियासत के रंग बदल जाते हैँअपने गैर और पराये अपने हो जाते हैँयँहा हर कोई सीढ़ी समझकर चढ़ते हैअपनों क़ो ही कुचलकर आगे बढ़ते हैँ।सियासत का नशा ही ऐसा है ,हर रोज पासे फेंक नई चाले चलते हैँ अपन

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चाहत

18 मार्च 2023
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तुम करोगे यूँ किनारा हमने सोचा ना था करा के दिल क़ो चाहत अपनी यूँ बदल जाओगे हमने ऐसा सोचा ना था। तुम जानो मज़बूरी हैं, या कोई लाचारी तुम्हारी हमें इस तरह से भूल जाने की आदत हैं या अदा हैं तुम्हारी देखके

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दोस्ती का रंग हमसे पूछिये

19 मार्च 2023
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दोस्ती क्या होती है मेरे दोस्तों से पूछियेयारों के संग जिंदगी क्या होती हमसे पूछियेजिंदगी में खुशी औऱ मस्ती के रंग भरते हैंदोस्तों के संग बिन बहाने महफ़िल सजते है।हंसी, मजाक, गाली गलौज की चलती बहारएक ह

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जाओ तुम

26 मार्च 2023
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आज सब्जी में नमक ज्यादा है,चावल थोड़ा गीले हो गए हैंरोटी जल गई ,चाय में मीठा कम हैभोजन तो अच्छा है, स्वाद नहीं है।अभी तो मैंने पोछा लगाया हैगीला तौलिया बिस्तर पर फेंका हैकितना काम करू, मैं भी इंसान हूँ

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साया

9 अप्रैल 2023
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एक जाना अनजाना से चेहरामेरे ख्वाबों में आता हैमैं तो सिर्फ सोचता हूँ उसकोवो धड़कन बन प्यार की मेरी सांसो में समा जाता है।जाने कौन है वो,हकीकत है या कोई ख्वाब है वो,धुंधला सा उसका अक्ष मु

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नदी के तीर

24 मई 2023
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यह गंगा नदी का तीर है, वर्षा के बाद की तस्वीर हैहमने गंगा को दिया ये प्यार, उन्होंने लौटाया उपहार।ये गंगा नदी है, सबके पापों को धुलती फिरती हैपूरे शहर का मलवा, अपने सिर पर ढोती रहती है।गंगा को माँ कहक

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पर्यावरण दिवस

5 जून 2023
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मॉ को खेत की मेड परडाली रोपते हुए खूब देखा हैदादी को पेड़ की सुरक्षा के लिएबाड़ करते हुए अक्सर देखा है। गॉव में पीपल को देवता का पेड़बरगद को ईष्टों का आसरापैंया को नागर्जा का प्रतीकमानते हुए कई पीढि

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मेरी तरह झूठे हो तुम

26 जून 2023
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इतने नाराज क्यों हो तुमइतने मायूस क्यों हो तुमक्या खता क्या भूल है हमारीजो चाहकर भी बताते नहीं हो तुम।।कभी तो इतना हॅसते थे तुमआज देखकर मुस्कराते नहीं हो तुमकभी तो घण्टों बातें करते थे तुमआज नाम

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गुलदस्ता

2 जुलाई 2023
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सुबह जब पहली किरण निकली गुलाब की वह पहली कली खिली शबनम की पहली बूँद की आहट चिड़ियाओ की पहली चहचाहट। कली की पंखुड़ीयों ने ली अंगड़ाई बाग़ में कदमो की आवाज आय

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लिख कर मिटा दिया।

8 जुलाई 2023
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आज पुराने रंजिशों को लिखकर मिटा दियाजिनसे थी शिकायत, उन्हें भी गले लगा दिया।आज हमने जो कुछ खोया था उसे भुला दियागमो की दुनिया को रेत पर लिखकर मिटा दिया।।मिले थे जो खत उनके, आज फिर से पढ़ लियाउनकी यादों

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वही गाँव  चाहिए

26 जुलाई 2023
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हमें नये शहर नहीं, वहीं पुराने गाँव चाहिएहमें स्मार्ट सिटी नहीं, पीपल की छाँव चाहिएहमें शहर का शोर शराबा नहीं, शांति चाहिएहमें बड़े मॉल नहीं, चौबारे की दुकान चाहिए।हमें बस पहाड़ के सब

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प्रकृति

29 जुलाई 2023
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प्रकृति तेरे अनेक रूपकभी बदरिया को बरसायेकभी चमकाये जेठ की धूप कभी कंपकंपाती रूह की शीतप्रकृति तेरे अनेको है रूप।बसत में वसुंधरा आहे हरी चादरग्रीष्म में छाई उदासी भरा रुखापनवर्षा में बादल ब

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तुम भी

31 जुलाई 2023
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lतुम भी चुप हो जाते, जब हम गुस्से में थेतुम भी हाथ बढ़ा लेते, जब हम मुश्किल में थे।तुम भी कह देते, जब हम मौन थेतुम भी मना देते, जब हम रुसवा थे।तुम भी हँस देते, जब हम गुम सुम से थे।तुम भी सुलझा दे

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मेरी हर कहानी में

3 अगस्त 2023
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मेरी हर कहानी में समाज का आईना होजीवन के हर पहलुओं का अपना मायना हो।।मेरी कहानी में गाँव की खुशबू समायी होपात्र ने अपनी सुंदर भूमिका निभाई हो।। मेरी कहानी में रीति रस्म सभी तीज त्योहार होराजनिति

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बुलावा

10 अगस्त 2023
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आज ससुराल से साली का फोन आयाबड़े मधुर स्वर में ससुराल आने का बुलावा आयासाली ने कहा बहुत दिन से नही मुलाकातआओ बैठकर करे जरा हंसी मज़ाक।।अगले दिन हम साली को मिलने घर से निकल गयेदो चार चॉकलेट लेकर ससुराल प

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मुझे जन्म लेने दो

17 अगस्त 2023
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मैं अभी अनजान और बेनाम हूँ आने वाले आपके भविष्य की शान हॅॅूएमुझे नहीं मालूम मेरा भविष्य क्या होगाएमुझे नहीं मालूम मेरा अंजाम क्या होगा।अभी तक मैने दुनिया में आने के लिए पहला कदम रखा ह

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वोट पल

28 अगस्त 2023
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वो पलवो पल बड़े हसीन थेजब वो सामने खड़े थेवो कुछ कहना चाहतेहम कुछ सुनना चाहतेमगर लफ़्ज़ मौन थे।उनकी निगाहे कभी उठतीतो कभी पलके खुद झुकतीइशारों को हम कैसे समझतेजब निगाहे उनकी शरमाती।।अजीब सी कशमकश थी

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फिर भी गिला है तुमसे।

29 अगस्त 2023
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यूं तो बहुत कुछ मिला है तुमसेफिर भी मुझको गिला है तुमसेख्वाब आंखों में तुम्हारे हैं अहसास बातो में तुम्हारे हैफिर भी मेरा प्यार मेरा करार अछूता है तुमसे।इस डूबती कश्ती को पार लगाया तुमनेमंजिलों

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शिक्षक

5 सितम्बर 2023
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माँ प्रथम गुरु जो जन्म से पहले ही सिखातीगर्भ में ही प्रेम की परिभाषा हमें समझातीजन्म के कुछ माह बाद मुस्कराना बतातीमाँ के घुटने प्रथम पाठशाला कहलाती।घर के सब परिजन बोलना चलना सिखातेपिताजी

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श्रीकृष्णा

6 सितम्बर 2023
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2

वासुदेव देवकी के पुत्रनंद बाबा यशोदा के सुतदाहू भैया के तुम अनुजद्वापर युग के तुम मनुज।पूतना, बकासुर, अघासुरतृणावत, वत्सासुर चक्रासुरखेलकर इनको मार गिरायाअपनी शक्ति से परिचय कराया। माँ यशोदा को

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चुनाव और आपदा

13 सितम्बर 2023
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चुनाव में दल बल होता है, आपदा में सुनपट्ट होता है, चुनाव में पूरी टीम होती है, आपदा में कोई नहीं दिखता है। चुनाव में दारू की बोतलेकोने कोने पहॅुच जाते हैआपदा में एक पान

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गलत फहमी

17 सितम्बर 2023
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वो दो जिश्म एक जान थेएक दूसरे के परवान थेमोहब्बत ऐसी कि हर वक्तएक दूजे पर मर मिटने वाले थे।वक्त ने जैसे जैसे रफ्तार पकड़ीमोहब्बत और गहरी होती चलीदोनों ने मर मिटने की कसमें खाईमंदिर में जाकर उन्होंने शा

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इशारा तो कर दो

18 सितम्बर 2023
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अगर तुम हमसे नाराज नहीफिर खफा खफा से क्यो होकह दो जो भी कहना है तुमकोनही कुछ कहना तो फिर चुप क्यों हो। हुई है गर हमसे कोई नादानियाँनादान समझ कर दुलार कर दोदिल की आवाज को समझे हम कैसेऐसा कोई

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चल मुसाफिर चल

21 सितम्बर 2023
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मॉ के गर्भ में नौ माह का किया सफर,मिला मुझे मॉ का सबसे पहले प्यारजन्म लेते ही रोने से हुई पहली बातनाल में लिपटकर आये खाली हाथ। पहली बार रोते ही मॉ ने खुशी जतायीउसके बाद बच्चे के रोने पर खुद रोयीम

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तस्वीर

12 अक्टूबर 2023
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अब माथे की तकदीर नहीं , तस्वीर बोलती है अब सच नहीं, साहब झूठ की तोती बोलती है रहा होगा कभी जमाना पाप पुण्या धर्म आस्था का अब तो राजनीति का धर

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नवरात्रि

15 अक्टूबर 2023
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देवी सती के रूप में अग्नि को देह समर्पण कियाअगले जन्म में शैलपुत्री के रूप में जनम लियाहिमालय की पुत्री ने शिवशंकर को पुनः वरण कियाप्रथम नवरात्रि आपका,सबने सर्वप्रथम पूजन किया।दूसरी मा

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राख /ख़ाक

12 दिसम्बर 2023
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जिंदगी एक रंगमंचहर कोई इसका पात्रजनम लेते ही उठतानाटक का पर्दा,नाल कटते ही,रोने की आवाज से दर्शक दीर्घा में कराताअपने अस्तित्व का अहसास। चुबंन, प्यार, पुचकारघर में सभी का दुलारनामकरण से आगे

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"वीर "

16 दिसम्बर 2023
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"वीर"हर एक सैनिक वीर होता है वह सरहद पर रक्षा करता हैहर मौसम में खुद को झोंककरदेश के अस्तित्व को बचाता हैइसीलिए सैनिक वीर कहलाता है।मेरी नजर में वह भी एक वीर हैजो खेतो में अपने को खपाता हैभ

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माँ

16 दिसम्बर 2023
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अब जब भी गॉव जाता हूॅं गाड़ी से नीचे उतरते ही पानी की बोतल हाथ में लिए तुम मुझे महसूस होती हो मॉ। किसी को रास्ते में, गाय चुगाते

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बाल वीर दिवस

26 दिसम्बर 2023
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दस गुरुवों में गुरु गोविन्द सिंह थे वीर संतधर्म रक्षा के खातिर बनाया खालसा पंथदार्शनिक थे, ज्ञानी संग बड़े कुशल योद्धाबर्बर मुग़ल बादशाह संग लड़े कई युद्ध।चमकौर की लड़ाई में सिख सेना में था उत्साहमु

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नया साल

30 दिसम्बर 2023
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नये साल में सिर्फ कैलेण्डर का बदलाव नहीअच्छे मित्रों, और परिचितों से मोह मोड़ना नहीअपने चिर परिचितों से संबंधों को तोड़ना नहींनये साल में प्रेमपूर्ण व्यवहार को बदलना नही।मन में उपजे कुत्सित भावों

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राष्ट्रीय बालिका दिवस

24 जनवरी 2024
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बेटी जब खिलखिलाती हैं तो पूरा घर खिलता हैंबेटी जब मुस्कराती हैं तो, दिल क़ो सुकून मिलता हैं।बेटी बड़ी होती हैं, उसे सँवरना और संवारना आता हैबेटी जब समझदार होती है, उसे संभालना आता है।बेटी जब सुसंस्कृत ह

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गणतंत्र दिवस

24 जनवरी 2024
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गणतंत्र दिवस हैं, राष्ट्रीय पर्व हमाराआज के दिन संविधान लागू हुआ हमाराजनता का जनता के लिए जनता द्वाराशासन हों, ऐसा संविधान बना हैं हमारा।सबके लिए स्वतन्त्रता और समान अधिकार होंसबको समान न्याय मिले ऐसा

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पीला पत्ता

27 जनवरी 2024
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घर में बैठे बुजुर्ग ने अपनेपरिवार से बात करनी चाही घर के सदस्यों ने उनकी बात परकभी ध्यान देने की कोशिश नहीं की।बुजुर्ग को अनदेखा अनसुना करते हुएसभी अव्यवस्थ होकर फ़ोन पर व्यस्त रहतेबुजुर्ग खुद से

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देहरादून

4 फरवरी 2024
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देहरादूनशांत आबोहवा का वातावरणअब प्रदूषण में बदल गया हैहरे पेड़ो से लखदख वन नगरअब कंक्रीट में बदल गया है।नहरों की वो कल कल ध्वनिगाड़ियों की हॉर्न में बदल गये हैएकड़ में बासमती और गन्ने केे खेत&nbsp

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दिल के अरमान

4 मार्च 2024
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दिल के अरमान फोन की रिंग टोन बजते हीएसएमएस की वाइब्रेट होते हीव्हाटसअप स्टेटस चैक करते हीअक्सर दिल धडकने सा लगता है। अगर उनसे बात नहीं होती हैदिल बेचैन सा हो जाता हैचाहे अनचाहे एक अहसा

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दिलरुबा

26 जून 2024
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ऐ दिलरुबा तुम समझती क्यों नहीं मेरे इस दिले जज़्बात को,तुम्हे भी हमसे प्यार हैँ, बताती क्यों नहीं अपने इन मीठे लफ्जो से, हर बार तुम्हे समझाते गये,अपनी दिल की बात, तुमसे क

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पुरुष

3 जुलाई 2024
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पुरुष पुरुष स्वभाव से निष्ठुर औऱ निर्दयी नहीं होता बल्कि उसको ऐसा समाज द्वारा बनाया जाता हैं तुम पुरुष हो, तुम रो नहीं सकते, तुम टूट नहीं सकते तुम अपने मन के भाव को जाहिर नही

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पुरुष

3 जुलाई 2024
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पुरुष पुरुष स्वभाव से निष्ठुर औऱ निर्दयी नहीं होता बल्कि उसको ऐसा समाज द्वारा बनाया जाता हैं तुम पुरुष हो, तुम रो नहीं सकते, तुम टूट नहीं सकते तुम अपने मन के भाव को जाहिर नही

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पुरुष

3 जुलाई 2024
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पुरुष पुरुष स्वभाव से निष्ठुर औऱ निर्दयी नहीं होता बल्कि उसको ऐसा समाज द्वारा बनाया जाता हैं तुम पुरुष हो, तुम रो नहीं सकते, तुम टूट नहीं सकते तुम अपने मन के भाव को जाहिर नही

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शरद पूर्णिमा

16 अक्टूबर 2024
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शरद की चाँदनी चमक रही आसमा में सोलह कलाओ से दमक रही नील गगन में चाँद की चाँदनी से खिला हैँ आज संसार धरती को मिल रहा हैँ चंदा का दुलार।खीर देखकर चंदा आज मुस्करा रहें होंगे अमृत की ब

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