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- ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼
- 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹
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- *विद्वता मनुष्य को विनयशील बनाती है , क्योंकि जिस डाली पर जितने फल होते हैं वह डाली उतनी ही ज्यादा झुकी रहती है | परंतु आज विद्वता का अर्थ ही बदलकर रह गया है आज विद्वानों में अहंकार का पुट दिखाई पड़ता है ! यदि विद्वान में अहंकार का दर्शन हो तो समझ लेना चाहिए कि अभी वह विद्वान विद्वता का अर्थ समझने का प्रयास कर रहा है , जिस दिन वह विद्वता की पूर्ण परिभाषा समझ जायेगा उसी दिन उसका अहम् भाव स्वत: नष्ट हो जायेगा | प्रत्येक विषय का ज्ञानार्जन करके विद्वानों की श्रेणी में गिने जाने वालों को विद्वता की परिभाषा भी समझने का प्रयास अवश्य करना चाहिए क्योंकि यदि विद्वता की परिभाषा नहीं जान पाये तो समाज में अनर्गल प्रलाप करके यत्र - तत्र अपने अहम् भाव का प्रदर्शन करते हुए उपेक्षित एवं असम्मानित होते रहेंगे |*
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- *शुभम् करोति कल्याणम्*
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