
*इस धराधाम पर जन्म लेने के बाद मनुष्य जीवन भर अनेक प्रकार के क्रियाकलाप सम्पादित करता रहता है ! समय - समय पर नाना प्रकार की कामनायें हृदय में प्रकट होती रहती हैं इन कामनाओं की पूर्ति के लिए मनुष्य अनेक प्रकार के उपाय किया करता है | कुछ लोग कर्मवीर होते हैं जो अपनी प्रत्येक कामना अपनी कर्म कुशलता से पूर्ण करके जीवन में आनन्दित होते हैं परंतु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी प्रत्येक कामना को देवी - देवताओं के भरोसे पूर्ण करने की आशा लगाये बैठे रहते हैं | देवी - देवताओं से भी अपनी कामना पूर्ण करवाने के लिए कर्म ही करना पड़ता है | सनातन धर्म में असंख्य देवी - देवताओं का वर्णन प्राप्त होता है और प्रत्येक देवी - देवता का विभाग भी पृथक है ऐसे में लोग सभी देवी देवताओं की पूजा करके अपनी सम्पूर्ण कामनाओं की पूर्ति करना चाहते हैं | प्राय: मानव मस्तिष्क में एक प्रश्न कौंधा करता है कि सभी देवी - देवताओं को एक साथ प्रसन्न करने का साधन क्या हो सकता है ? इसको समझाने के लिए हमारे कवियों ने लिखा है :-- "एकहि साधे सब सधै , सब सधै सब साधे सब जाय ! पानी देवै मूल को फूलहिं फलहिं अघाय !!" जिस प्रकार किसी वृक्ष को पुष्पित - पल्लवित बनाये रखने के लिए उसकी प्रत्येक डाल एवं पत्तियों पर पानी न डाल करके उसकी जड़ को सींचा जाता है उसी प्रकार भिन्न - भिन्न देवताओं की साधना करने की अपेक्षा एक ही देव का पूजन करके अपनी कामनाओं की पूर्ति की जा सकती है | आखिर वह कौन है जिसकी साधना करके सभी देवी - देवताओं की साधना का फल प्राप्त हो सकता है ? इस पर अनेक विचार देखने को मिलते हैं :- कहीं यह कहा जाता है कि गोमाता के शरीर में सभी देवी देवताओं का वास होता है तो गाय की सेवा करके यह फल प्राप्त किया जा सकता है ! तो कहीं वृक्षराज पीपल की वन्दना करते हुए लिखा गया है कि :-- "मूले ब्रह्मा त्वचा विष्णु: रुद्र शाखा महेश्वर: ! पत्रे पत्रे देवता तिष्ठति वृक्षराज नमोस्तुते !!" अर्थात पीपल वृक्ष में सभी देवताओं का निवास है अत: इसकी सेवा करनी चाहिए ! अनेक मत मतान्तर के बीच मनुष्य विस्मित व भ्रमित होकर कुछ भी नहीं कर पाता |*
*आज का मनुष्य देवी - देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए अनेक मन्दिरों में , सतसंग कथाओं में में जाकर विद्वानों से भिन्न - भिन्न कामनाओं के लिए उपाय भू पूछते हुए दिख रहे हैं और विद्वान भी प्रत्येक कामना के लिए भिन्न - भिन्न देवी - देवताओं का विधान बता रहे हैं ! परंतु इन सबसे अलग हटते हुए मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" आज आपको सभी देवी - देवताओं को एक साथ प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय बता रहा हूँ ! यदि सभी देवी - दिवताओं की कृपा प्पाप्त करनी है तो अपने घर में उपस्थित जीवित व प्रत्यक्ष देवी देवताओं की पूजा / सेवा करके उनके हृदय से मिकले हुए आशीर्वाद से सभी कामनाओं की पूर्ति की जा सकती है ! वे प्रत्यक्ष व जीवित देवी - देनता हैं माता - पिता | उदाहर भी है कि माता - पिता का महत्व समझ करके भगवान गणेश देवताओं में अग्रपूज्य हो गये ! एक साधारण से मनुष्य श्रवण कुमार को आज यदि सम्मान के साथ याद किया जाता है तो उसका कारण यह नहीं था कि उसने देवी - देवताओं की साधना करके प्रसिद्धि प्राप्त की थी ! श्रवण कुमार ने सभी देवी - देवताओं का दर्शन अपने माता - पिता में ही करते हुए उनकी ही सेवा में जीवन समर्पित करके अमर हो गया ! परंतु आज माता - पिता को उपेक्षित व निराश्रित करके वृद्धाश्रम में भेज देने वाले आज देवी - देवताओं की कृपा पाना चाहते हैं ! यह कैसे सम्भव हो सकता है ! घर में भोजन के लिए माता पिता को तरसाने वाले मन्दिरों में उच्चकोटि के स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों का भोग लगाकर कौन सी भक्ति कर रहा है यह समझ के बाहर है | यदि वास्तव में सभी देवी - देवताओं की कृपा एक साथ प्राप्त करने की कामना है तो कहीं अन्यत्र न जाकर अपने माता - पिता की सेवा करने मात्र से सभी देवताओं के साथ परमपिता परमात्मा की भी कृपा प्राप्त हो जायेगी |*
*जीवित देवी - देवता (माता - पिता) की उपेक्षा करके अलौकिक व अदृश्य देवी - देवताओं की कृपा कदापि नहीं प्राप्त हो सकती ! इसको समझने की आवश्यकता है |*