ब्रह्म पूर्ण है!
यह जगत् भी पूर्ण है,
पूर्ण जगत् की उत्पत्ति
पूर्ण ब्रह्म से हुई है!
पूर्ण ब्रह्म से
पूर्ण जगत् की
उत्पत्ति होने पर भी
ब्रह्म की पूर्णता में
कोई न्यूनता नहीं
आती!
वह शेष रूप में भी
पूर्ण ही रहता है,
यही सनातन सत्य है!
जो तत्व सदा, सर्वदा,
निर्लेप, निरंजन,
निर्विकार और सदैव
स्वरूप में स्थित रहता
है उसे सनातन या
शाश्वत सत्य कहते हैं।
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