चीन तूं मरेगा अपनी मरण
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खुदा का वज़ूद तुम सरयाम नकारते हो!
ज़हर इज़ाद कर सबको तुम मारते हो!!
हवस इतनी की पैसा अब उछालते हो!
दोज़ख़ की राह पे अपनों को डालते हो!!
तुम्हारा मुक़ाम जा तुझे आज पुकारता है!
दुनिया का हर इंसान तुझे ललकारता है!!
नाम तेरा जेहादियों के साथ मिट जाएगा!
हर सख़्स कहर बन तुझे निगल जाएगा!!
रूह सोई है जगा अब तो जरा रे चेत जा!
बहसिपन छोड़, पहली आयत देख जा!!
डॉ. कवि कुमार निर्मल