कृष्ण
महाभारत का पार्थ-सारथी नहीं,
हमें तो ब्रज का कृष्ण चाहिए।
राधा भाव से आह्लादित मित्रों का,
साथ, चिर-परिचित लय-धुन-ताल चाहिए।।
प्रेम की डोर तन कर,
टूटी नहीं है कभी।
अंत युद्ध का,
हमें दीर्ध विश्राम चाहिए।।।
प्रेम सरिता में आप्लावन,
अतिरेक प्यार चाहिए।
दानवों का अट्टाहस नहीं,
प्रभु की मुस्कान चाहिए।।
प्रेम पथिक कृष्ण रे मुझे,
नव जीवन का वरदान चाहिए।।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल