कहानी कोरना की
आज शुभदिन 'शनिवार' है
साथ समस्त शब्द नगरी के सुधिजन,
साहित्य प्रेमियों का परिवार है
सौहार्दपूर्णता प्रचूर, न कोई मलाल है
विषय 'कोरोना'- बेताबी से इंतजार है
गोधुली पर्यन्त हो सृजन,
लक्ष्य संहार है
पन्ना नया हो ऐसा- कोभिड19
निगलने को तैयार है
कलम उगल रही अग्नि बाण,
अंत्येष्टि हेतु बेकरार है
आज कोभिड जन्मे सौ दिन हुए पूरे
लाख पार अलविदा कह- गये प्यारे
एक लाख अभी तक मर तक चुके है
'सोलह लाख' अश्रुपूरित मौन खड़े है
रक्तिम किष्लय-"रक्तबीज"
बना मुँह बाया है
अनैश्वरवाद-पूंजिवाद के
नाश हेतु मण्डराया है
चीन बन गया 'कर्बला',
इटली में उद्योग खड़ा है
कहानी कोरोना की आज सुनाते हैं
बुहान से मायाद्विप तक हो आते हैं
लंच कर फिर हम लेखनी उठाते हैं
★★★★★★★★★★★★
डब्ल्यु. एच. ओ. का साम्यवादी आक़ा
यह अहम तथ्य था छुपाया
अपना पाप बटोर इटली में
चट - पट संक्रमण फैलाया
"शेयर सहोट लोलुपता का
रंग दिखा पूंजिवाद अपनाया
मायाद्विप भी जब त्रस्त हुआ
मगर जादू कह सत्य झुटलाया
"कोभिड १९" जान बूझ कर
सात समुन्दर पार चीन पहुँचाया
एक लाख निरीह आदमियों को
अब तक कोरोना खा जश्न मनाया
चार माह में सत्रह लाख निर्दोषों को
निगल कर भी नहीं रे पातकी अधाया
डॉ. कवि कुमार निर्मल
शुभ संध्या