जब चाँद अमावस्या में छुप पटल पार हो जाए।
स्वप्नों में हटात् चमक तूं साकार हो छा जाऐ।।
पूर्णिमा में तो धुल - मिल 'उच्चाटन' करती हो।
दीवा - स्वप्न सम तुम मिल कर भी लगती हो।।
नारी का गहन भेद संग लिए तुम चलती हो।।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
30 अक्टूबर 2019
जब चाँद अमावस्या में छुप पटल पार हो जाए।
स्वप्नों में हटात् चमक तूं साकार हो छा जाऐ।।
पूर्णिमा में तो धुल - मिल 'उच्चाटन' करती हो।
दीवा - स्वप्न सम तुम मिल कर भी लगती हो।।
नारी का गहन भेद संग लिए तुम चलती हो।।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
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