रावण हर साल जल कर राख से जी उठता है
राम का तरकश खाली हो फिर भरता रहता है
यह राम रावण का युद्ध अनवरत मन में चलता है
खूँटे से बँधा स्वतंत्र हो लक्ष्मी संग विचरण करता है
सुर्य अस्त हो नित्य आभा बिखेर आलोकित करता है
अष्ट-पाश सट्-ऋपुओं के समन हेतु हमें यज्ञ करना है
साघना-सेवा-त्याग से दग्ध मानवता को त्राण देना है
रावण की सोने की लंका विभिषण पा सतयुग लाएगा
मन का राम विप्लव ला कर सद् विप्र समाज बनाएगा
रावण हर साल जल कर राख से जी उठता है
राम का तरकश खाली हो फिर भरता रहता है
🙏🙏🙏डॉ. कवि कुमार निर्मल🙏🙏🙏