कागज की नाव
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बाल गीत लिखते लिखते
जागतिक् विचारों में बह चला
बाल सुलभ जीवन मेरा
समयान्तर- छिटक दूर हो चला
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जो सोचा था, वह पा न सका
जो खोया था, न वापस ला सका
तुम्हारी यादों को समेटे
खुद को बहला न सका
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टच से काम चलता है,
श्याही पोतना क्या
अँगुली की पोर पर
उझलती हैं नद-नदियाँ,
कागज़ की नाँव पर बैठ
चप्पू चलाना क्या सोच-
कल्पना से ताना-बाना
सवँर पाता कहाँ
स्वतः स्फुटित हो झरना
बहता रहता है यहाँ
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कितनों की और जानें तुम लोगे?
कितने घरों को और तबाह करोगे?
आ रही है गंध तीव्र,
शरहद से बारूद की!
आग उठ रही है नफ़रत-
ओ'-ज़ेहाद की!!
गुमनाम सफर पर चलते हीं
बस जा रहे!
इन्सानियत का कत्ल
करते हीं जा रहे!!
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छलकते हैं जहाँ इन
नरगिसी आँखों के पैमाने
अगर पीना ही है तो दर्द की
महफिल में आके पी
यूँ मुर्दा होश के आगोश में
जीने के क्या माने
अगर जीना ही है तो जी,
सरापा बेखुदी में जी
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मुलम्मा लफ्ज का दिल की
कशिश पर चढ़ नहीं सकता
गज़ल गालिब की अपनी
कह के कोई पढ़ नहीं
सकता यह मत समझो कि
महफिल में नहीं है इल्मदाँ कोई
जो ज़र्रा आँख में झोंका,
किसी से कढ़ नहीं सकता
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बहुत छोटा, बहुत कम अक्ल
वह इंसान होता है
बुलंदी दूसरों की देख कर
जो- आह भरता है
सुखनवर देख कर अपने से
बेहतर जो सुलग उट्ठे
वो हुस्ने- शायरी का पाक
दामन- चाक करता है
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खुले दिल से बहाओ
दाद का दरिया, तड़प उट्ठो
अगर हम उम्र हो तो बाजुओं में
भींच लो उसको
जईफी के कदम चूमो,
हो औरत, दूर से झूमो
अगर हो उम्र में छोटा,
दुआ से सींच दो उसको
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है सबको पेट की भट्ठी,
सभी ईंधन जुटाते
जमाने की सुलगती
गर्दिशों में छटपटाते
मगर जब देख लेते हैं कोई
हँसता हँसी चेहरा
खुशी से झूमते हैं,
अपने गम को भूल जाते हैं
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दिनों में दर्द के, रातों में
रब के पास होते हैं
कभी हँसते हैं,
मोती की कभी लड़ियाँ पिरोते हैं
बहुत मशहूर होते हैं
शायरों के रतजगे यारों!
दिवाला पिट चुका जिनका,
वे लम्बी तान सोते हैं
सृजन विमल के खातिर
सुधिजन तरसते हैं
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प्यार जिन्दगी है,
नफ़रत मौत का फरमान!
इमान-धरम गर ना रहा,
किस जिन्दगी पर करता तूं गुमान!!
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जनाजा न उठने दो अभी,
कुछेक साँसें अभी बाकी हैं।
गफ़लत में सुलाया ताबूत में,
धड़कनो के तार अभी बाकी हैं।।
चाहतों का भरा है पिटारा,
जिन्दगी अभी और बाकी है।
शायर न कभी मरा है कभी,
आखिरी पन्ना किताब का;
लिखना अभी दोस्त बाकी है।।
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🌻डॉ. कवि कुमार निर्मल🌻
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पुनश्च: मध्य सारगर्भित भाग
मेरे दि. पिता श्री विमल राजस्थानी
द्वारा सृजित है©®