कान्हां आयो
कृष्ण मथुरा जमुना पार आयो
गोकुल जा बहुत रे धूम मचायो
सथियन संग सारो माखन चुरा खायो
गइयन को सारे दिन गोपाल चरायो
बांसुरियां धुन सुन जग बउरायो
गोपियन को प्यारो बहोत भायो
देवकी माता को कन्हिया जायो
यशोदा पलना डाल झुलायो
कालिया नाग को मार भगायो
गोबरधन उठा इंद्र को हरायो
मामा कंस को बहुत डरायो
पूतना को प्राण चूस खायो
कृष्ण मथुरा जमुना पार आयो
गोकुल जा बहुत रे धूम मचायो
'निर्मल' कान्हा को गुण गायो
नयणों में आँसु भर भर आयो
मन में 'कृष्ण भाव' जगा पायो
बृंदावन को लख मन ललचायो
बरसाणे में फाग, अबीर उड़ायो
एक- अनेक काया दर्शायो
राधा को हर रूप दिखायो
बाँसुरी प्यारी तक थमायो
द्वारिकापुरी दूर जा बसायो
डॉ. कवि कुमार निर्मल