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आजूबाजू में हैं- मोबाइल खेलते हैं!
चाँद है पास हमिमून तक भूलते हैं!!
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दिल धड़कता है महसूस गर करते।
राह पर चलते, गर नहीं- बहकते।।
ठहर जाना हीं काबलियत है।
खुशबुओं में बह जाना हीं ज़िंदगी है।।
दिल धड़कता है महसूस गर करते।
राह पर चलते, गर नहीं बहकते।।
★★डॉ. कवि कुमार निर्मल★★