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दुनिया की समस्त सरहदें मिट गर गुम हो जाती।
मजहब-फीरकापरस्ती की दिवारें टूट ढ़ह जाती।।
नफ़रत का फ़ितूर न होता, जंग का इल्म न होता।
मुहब्बत का नजारा, इंसान इंसान का प्यारा होता।।
इतिहास के पन्नों से खून रिस कर टप-टप पड़ता है।
कहीं कंस कहीं रावण अट्टाहास कर ताण्डव करता है।।
नित 'द्रोपदी' का चीर हरण, सीताएँ अग्नि परिक्षाएँ देती हैं।
आत्मदाह कर प्रलयंकारी शिव की प्रिय सति यहाँ जलती है।।
युग-युग से देव-दानवों में कलह-युद्ध, कथायें जुटती रहती हैं।
धर्म के नाम पर शोषण की चक्की त्वरित हो मानव को त्रस्त करती है।।
मानव मरता रोज, बारुदी सुरंगें फट; नित कब्रें खुदती रहती हैं।
वसुधैव कुटुंबकम् प्रेणेता कौन? कब महाकौल 'शंखनाद' करेगा।।
मानव दानव बन मानव का बध यूँ हीं क्या करता हीं रहेगा?
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मयपन का नशा उतर जाता है
यादों का नशा उतर रह जाता है
खुशी जिंदगी के लिए जरुरी है
"ग़म" का मजा कुछ और हीं है
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तूं मेरा आईना बन,
मैं आज खुदा बन के आजमाता हूँ।
तूं मेरा आइन बता,
मैं समन्दर बन ज्वार बन जाता हूँ।।
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'हर्फों' को सजा 'गुरु' बन जाओ
जुवान की मिठास से छा जाओ
नेह की चादर ओढ़ सवँर जाओ
मन की बात सुन 'जन्नत' पाओ
गुरु पूर्णिमा है, जरा झुक जाओ
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अहबाब की निगाहों में बसर -- हीं पहली तालीम है!
तसव्वुर-ओ'-तरन्नुम, इज़हार-ए-इश्क हीं तालीम है!!
"अज़ीजपन-गुफ़्तगु" खूबसूरत असर सिद्दतों का है!
बिछड़ों को मिलाना हीं सच्चे 'उस्ताद' का हुनर है!!
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दिल की परतों में छुपा सिर्फ तअन्नुस दिखता है।
न जिश्म दिखता है, न बदन का रंग दिखता है।।
सोख अदाओं के उठा जलवा,तूफान दिखता है।
दिल की परतों में छुपा सिर्फ प्यार दिखता है।।
💐💐💐💐💐कवि💐💐💐💐💐