लौटने पर किसी ने कहा तलवार पास रखनी चाहिए, किसी ने कहा छुरी।
तलवार और छुरी का उपयोग शिकार में हो सकता है; परंतु मैं तलवार से छुरी को ज्यादा पसंद करूँगा और छुरी से भी बढ़कर लाठी को, और लाठी से बढ़कर कुल्हाड़ी को। लाठी और छुरी का विवाद बहुत पुराना है। सटकर लड़ने में छुरी बहुत काम दे सकती है। परंतु अच्छी लाठी लाठी ही है। तो भी पास में एक अच्छी लंबी छुरी या अच्छी कुल्हाड़ी का रखना उपादेय।
हथियारों के विकल्प के विषय पर बहुत विषाद है। कोई कुछ कहता है और कोई कुछ। जिनके पास अटूट साधन और समय है और जिनको अपना जीवन शिकार के अंचल में भेंट करना है, वे भिन्न बोरों की दर्जनों बंदूकें रखते हैं; परंतु मेरी समझ में एक 12 बोर दुनाली और एक प्रबल राइफल अल्प साधन और स्वल्प अवकाशवाले के लिए काफी हैं। राइफल के बोरों में मुझको तो 30 बोर अच्छा जान पड़ता है। इसकी मुहारी गति (Muzzle velocity) और मुहारी शक्ति (muzzle energy) संतुलित होती है। यदि बड़े शिकार के लिए प्रबलतर बंदूक ही वांछित हो तो 500 या 450-400 बोरवाली राइफल बहुत अच्छी है। अमेरिका संयुक्त राज्य के प्रधान प्रेसीडेंट प्रथम रुजवेल्ट नामी शिकारी थे। उनको अफ्रीका के सिंहों के मारने का बहुत शौक था - उन्होंने मारे भी बहुत थे। उनकी सम्मति में 405 बोर विंचैस्टर राइफल सिंह की औषध थी (medicine gun for lions); परंतु बात अपने-अपने पसंद की है। और वास्तव में अच्छा हथियार वह है, जो अपने हाथ को लग जाए।
दूसरा प्रश्न कारतूसों का है। 12 बोर की बंदूक के लिए बिलकुल पास (लगभग पंद्रह फीट के अंतर पर) चलाने के लिए एल जी (हिरनमार छर्रा) बहुत अच्छा है; परंतु सुअर इत्यादि विकट जानवरों के लिए तो टूटी गोली (split bullet) वाला कारतूस ज्यादा अच्छा। राइफल के लिए नरम नोकवाला कारतूस (soft nosed bullet) ही काम का है। पक्की गोली (hard ball) प्रायः निराशा और दुर्घटना का प्रत्यक्ष कारण बनती है।
कुछ लोग पिस्तौल या रिवाल्वर के भरोसे शिकार खेलने की इच्छा करते हैं। ये हथियार नजदीक से आत्मरक्षा के बड़े अच्छे साधन हैं; परंतु शिकार के लिए तो बहुत कम उपयोगी हो सकते हैं।