जिंदगी हो इंद्रधनुष सी,कभी गम हो कभी खुशी।यही जिंदगी की कसौटी है, कभी गुस्सा हो कभी हंसी।।जिंदगी हो इंद्रधनुष सी----------------------।।नहीं डरना पहाड़ों से,क्यों रोना देखकर कांटें।सतुंष्ट हो हर रंग से
मेरे बचपन की दोस्त , मेरी सहेली ,जिसका नाम था निधि 😊हमारी दोस्ती तब हुई थी जब हम नर्सरी में थे । वो रोज एक गुलाब का फूल लाती और मुझे देती ।हमारी दोस्ती भी उस गुलाब के फूल जैसी थी ,तरोताजा,खिली
नमस्कार दोस्त , फिर से हाजिर हु आप के लिए नई रचना लेकर - आज की इस रचना को विषय है बचपन की दोस्ती , ऐ विषय और टैग मेरा बहुत पसंदीदा विषय है , इस विषय पे मेरी एक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है " लंगोटिया
प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है । औरों का पता नही हम पूर्णतः स्वस्थ है। हां लोग कोशिश करते है अपनी बीमारी दूसरे पर लादकर उसे बीमार घोषित करने मे लगे रहते है पर जनता और जानकार बेवकूफ नहीं है उन्हें समझ
डियर काव्यांक्षी कैसी हो प्यारी🥰 मैं लोगों की लाख कोशिशों के बाद भी अच्छी हूं प्यारी,😀वैसे तो मैं खुद में मस्त और म
जो मित्र एक दूसरे का सुख दुख बांट कर किसी भी समस्या को अपनी बना कर के उसका समाधान कर दे | वही सच्ची मित्रता है |जो मित्रता युवावस्था में बनती व बिगड़ती है | शायद उसमें वह आनंद नही जो बचपन की मित्रता मे
हम उसे कितना चाहते हैं ,ये कैसे जताए ...क्या अहमियत रखता है वो मेरे लिए ,ये कैसे बताए ...होंगी उसकी खूबसूरती पर मरने वाली लाखों दिवानी , पर ये दिल तो उसकी नटखट अदा और मासूमियत पर मरता है ,❤️❤️❤️❤
बिगड़ा हुवा है आज तक कितनो का मानसिक स्वास्थ,ऑनलाइन तो दोस्त सारे हकीकत में कोई ना जाने हाल,दिल तो तड़पे पाने को यहां सिर्फ़ एक ऐसा इंसान जो,तुमसे ज्यादा जाने तुम्हें हर हाल में आकर खड़ा रहे वह
हजारों मिलो के फासले थे हमेशा तेरे मेरे दरमिया,कैसे होता मिलना कुछ अपने अंदर ऐसी खामियां।
इधर सम्राट माहिरा से छुप - छुप कर मिलता रहा । सम्राट ने अपने चाल चल दी थी । उसने माहि को बताया था कि अर्जिता नहीं चाहती है कि हमदोनों एक साथ रहे । उसने मुझसे कहा था कि वो मुझे पसंद करती है । शाय
अर्जिता जो अब तक सोच रही थी कि वह माहिरा को कैसे बताएगी ये सब । फीर अपने आप को मजबूत करते बोली -कैसे भी हो माहि मैं तुम्हें और अंधेरे में नहीं रख सकती हूँ । अब आगे ......
लेने दो इसको भी जन्म।लड़की भी तो संतान है।।लड़का-लड़की में भेद क्यों।लड़की भी तो इंसान है।।लेने दो इसको भी---------------।।सक्षम नहीं किस क्षेत्र में।करने को कार्य लड़कियां।।रखती है योग्यता हर कार्य की।वर्
डियर काव्यांक्षी कैसी हो प्यारी 🥰मैं तो मजे में हूं । और कोई कितनी भी कोशिश कर ले। हमे दुखी करने की उनकी कोशिश नाकामयाब करे
मानसिक स्वास्थ्य का व्यक्ति की दिनचर्या स्वाभाव पर काफी असर पड़ता है। जब व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ होता है, तो उसका हर काम काफी अच्छे से होता है क्यों की वो अच्छे मनोस्तथी मे होता है। लेकिन,
पँख तो हर परिन्दे के होते हैं लेकिन,हर परिन्दा ऊँची उड़ान भर नहीं पाता,पँख तो मुर्गे के भी होते हैं,पर वो बाज बन नहीं पाता।बाज अपने बच्चे को उड़ान सिखाने के लिए,एक हजार फुट की ऊँचाई से गिराता है,रोज बहु
मनुष्य के जीवन में जिस तरह शारीरिक स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है उससे ज्यादा उसे मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है। मनुष्य का मानसिक स्वास्थ्य ही उसकी बुद्धिमत्ता की की वास्तविक परख होता है।एक व्यक
महाकवि कालिदास के एक सूक्ति है - शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्' अर्थात धर्म का (कर्तव्य का) सर्वप्रथम साधन स्वस्थ शरीर है। यदि शरीर स्वस्थ नहीं तो मन स्वस्थ नहीं रह सकता। मन स्वस्थ नहीं तो विचार स्वस्थ
बिन हमारे तुम एक दिन, दोस्त बहुत पछताओगे।आयेगी याद मोहब्बत हमारी, ऑंसू बहुत बहाओगे।।बिन हमारे तुम एक दिन-------------------।।होगा असर नहीं कभी कम,मेरे इन आँसुओं का।मिलेगा नहीं तुमको और,ऐसा दिल वफाओं क
डियर दिलरुबा दिनांक-11/9/22 दिन-रविवार तुम अपना रंजो गम, अपनी परेशानी मुझे दे दो, तुम्हें ग़मकी कसम अपनी निगेहबानी मुझे दे दो। हां दिलरुबा तुम्हारे लिए ही तो लिख रही हूं,,,, तुम आजकल कुछ ज्यादा प
योग और ध्यान तकनीक प्राचीन आध्यात्मिक अभ्यास हैं, जिन्हें पिछले ४-५ वर्षों में वर्ल्ड में विकसित किया गया है। हम इन प्रथाओं की जड़ों को स्वीकार करते हैं क्योंकि आज हम उन्हें अपनी जागरूकता, कल्याण, स