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श्रीमते रामानुजाय नमः

12 अगस्त 2020

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।।श्रीमते रामानुजाय नमः।।


श्रीरामानुज स्वामी की मेलकोटे की यात्रा

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श्रीरामानुज स्वामी जी के मार्गदर्शन में सभी वैष्णव श्रीरंगम् में आनन्द मंगल से रह रहे थे। तभी एक दुष्ट राजा , जो शैव सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखता था, विचार किया कि शिवजी की श्रेष्ठता को स्थापित किया जाना चाहिये। उसने सभी विद्वानों को बुलाया और उन्हें जबरदस्ती शिवजी की श्रेष्ठता को मानने के लिये मजबूर किया। श्रीकूरेश स्वामी जी के शिष्य नालुरान ने राजा से कहा, “अनपढ़ अज्ञानी लोगों के मानने से क्या लाभ होगा? यदि आप सिर्फ श्रीरामानुज स्वामी जी और श्रीकुरेश स्वामी जी से मनवा सकते हों तभी यह सत्य हो पायेगा।”


यह सुनकर राजा ने अपने सैनिकों को श्रीरामानुज स्वामी जी को बुलाने के लिये भेजा। इस समय श्रीरामानुज स्वामी जी स्नान के लिये बाहर गये थे और श्रीकूरेश स्वामी जी ही मठ में थे । वे राजा के भाव को समझ गये और श्रीरामानुज स्वामी जी की तरह काषाय पोशाक धारण करके उनका त्रिदण्ड को लेकर सैनिकों के साथ राजा के दरबार पहुँचे। स्नानादि से निवृत होकर श्रीरामानुज स्वामी जी जब मठ में वापिस आये तो इस विषय में उन्होंने पूरी जानकारी प्राप्त की और घटित होनेवाली विपत्ति को ध्यान में रखकर महापूर्ण स्वामी जी की सलाह पर तुरन्त मठ छोड़ कर जाने को को उद्दत हुए। उन्होंने श्रीकूरेश स्वामी जी के वस्त्र धारण कर अपने शिष्यों के सहित श्रीरंगम् से दूर बाहर निकल आये। जब सैनिकों को इनके श्रीरंगम् से भाग जाने का समाचार मिला तो सैनिकों ने इनका पीछा किया। परन्तु श्रीरामानुज स्वामी जी ने थोड़ी मिट्ठी उठाई और उसे पवित्र करके उसे रास्ते में फैला दिया। सैनिकों को उस रेत पर पाँव रखने पर दर्द हुआ और इससे उन्होंने पीछा करना छोड़ दिया।


श्रीरामानुज स्वामी जी उस समय मेलकोटे (तिरुनारायणपुरम्) की ओर यात्रा किये जिसे उन्होंने सुरक्षित माना। जंगल के रास्ते में वे कुछ शिकारियों से मिले जो नल्लान चक्रवर्ती (श्रीरामानुज स्वामी जी के शिष्य) की आज्ञा से वहाँ थे। उन शिकारियों ने उन सभी का, जो 6 दिनों से नंगे पाँव चलते हुए भूखे प्यासे थे, स्वागत किया। उन्होंने उनके कुशल मंगल के बारे में पूछताछ की और तब श्रीवैष्णवों ने कहा कि एम्पेरुमानार यहीं हैं और उनका दर्शन कराया और तब सभी शिकारियों ने बहुत ही आनन्द का अनुभव किया। शिकारियों ने उन्हें शहद और मोटा अनाज अर्पण किया जिसे एम्पेरुमानार को छोड़ सभी ने स्वीकार किया। यहाँ से शिकारियों ने पास के एक गाँव में सभी को ले गये। यहाँ एक ब्राह्मण परिवार रहता था ।


वहीं ब्राह्मण की पत्नी (श्री चैलाचलाम्बा जी) ने सभी को प्रणाम करके प्रार्थना कि वे सभी पका हुआ प्रसाद को स्वीकार करें। श्रीवैष्णवों ने प्रसाद ग्रहण करने से मनाकर दिया और कहा कि वे हर किसी से प्रसाद ग्रहण नहीं कर सकते। तुरन्त अम्मा जी ने जवाब दिया कि वह स्वयं एम्पेरुमानार की शिष्या हैं और सभी को विस्तार से बताया कि कुछ समय पहिले ही श्रीरामानुज स्वामी जी ने उसे श्रीवैष्णव सम्प्रदाय में दीक्षा दी थी। उसने कहा , “उन दिनों मैं जब श्रीरंगम् में थी राजा और उनके मन्त्रीगण श्रीरामानुज स्वामी जी के पास आकर आशीर्वाद लेते थे। परन्तु श्रीरामानुज स्वामी प्रतिदिन भिक्षा लेने जाते थे।” फिर मैंने स्वामी जी से पूछा, “ जब यहाँ प्रसाद की पूरी व्यवस्था है तो आप भिक्षाटन के लिए क्यों जाते हैं? इतना अन्तर्विरोध क्यों है?” स्वामी जी ने कहा, “जब मैं भिक्षा के लिये जाता हूँ तो उन्हें भगवान् के विषय में ज्ञान देता हूँ।” मैंने स्वामी जी से प्रार्थना की कि मुझे भी ऐसा उपदेश प्रदान करें और तब उन्होंने मुझे श्रीवैष्णव सम्प्रदाय की दीक्षा दी। जब हमें अपने गाँव को वापस आना था तो मैंने स्वामी जी से उनका आशीर्वाद माँगा तब उन्होंने अपनी पवित्र चरणपादुका मुझे दे दी। हम फिर यहाँ आ गये।


यह सभी श्रीवैष्णव सुनकर एम्पेरुमानार (अपनी पहचान बताये बिना) सभी श्रीवैष्णवों को उसके द्वारा बनाये प्रसाद को पाने को कहा। परन्तु एक श्रीवैष्णव को उन्होंने उसके क्रिया कलापों पर नजर रखने को कहा। उसने खाना बनाने के बाद पूजा घर में जाकर कोइलाल्वार (भगवान्) को भोग लगाकर ध्यान में बैठ गई। श्रीवैष्णव ने देखा कि वहाँ भगवान् की तरह कोई मूर्ति है लेकिन वह सामान्य मूर्ति की तरह नहीं दीखती है। उसने श्रीरामानुज स्वामी जी को सारा वृत्तान्त बताया जिसे अभी-अभी देखा था। एम्पेरुमानार ने तब उस ब्राह्मण पत्नी से पूछा , “आप अन्दर क्या कर रही थीं? ”उसने जवाब दिया , “मैंने ध्यान लगाकर अपनी प्रार्थना श्रीरामानुज स्वामी जी द्वारा दी गई चरणपादुका से की और उन्हें भोग लगाया।” एम्पेरुमानार ने उस पादुका को बाहर लाने को कहा और उसने वैसे ही किया। एम्पेरुमानार ने अपनी पादुका पहचान लिया कि यह उनकी ही चरणपादुका है। तब एम्पेरुमानार ने उससे पूछा कि “क्या तुम्हें पता है एम्पेरुमानार यहाँ हैं?” और उसने दीपक के प्रकाश में सभी के चरणारविंदों का निरीक्षण किया। जब उसने एम्पेरुमानार के पवित्र चरणों को देखा तब वह खुशी से अचम्भित हो गयी और कहा, “यह तो एम्पेरुमानार के पवित्र चरणों के समान ही हैं परन्तु क्योंकि आप सफेद पोशाक धारण किये हो मैं अभागी आपको पहचान न सकी।”


तब एम्पेरुमानार ने अपना सही परिचय दिया और उससे उनकी आज्ञा को पुन: सुनाने को कहा जिसे एम्पेरुमानार ने उसे श्रीरंगम् में दिया था। उसने खुशी से पूर्व बातें बतायी और उसके पश्चात एम्पेरुमानार सभी को प्रसाद पाने की आज्ञा प्रदान किये। लेकिन वह स्वयं प्रसाद नहीं पाते हैं क्योंकि वह प्रसाद भगवान् को अर्पण नहीं किया हुआ था। तब उसने स्वामी जी को फल, दूध और शक्कर दिया और उसे स्वामी जी ने अपने भगवान् को अर्पण कर स्वयं ग्रहण किया। फिर वह श्रीवैष्णवों के पाने के बाद जो शेष प्रसाद बचा था उसे इकट्ठा कर अपने पति को देती है लेकिन स्वयं नहीं पाती है। इस पर उसके पति ने उससे पूछा कि तुमने यह प्रसाद क्यों नहीं लिया ? तब वह कहती है , “आपने एम्पेरुमानार को अपने आचार्य रूप में स्वीकार नहीं किया। वे इतनी दूर से हमारे तिरुमाली में पधारे हैं। केवल अगर आप उनको स्वीकार करने का वचन दे दें तो मैं प्रसाद ग्रहण कर लूँगी।” पति मान जाता है और फिर वह प्रसाद पाती है।


प्रात: काल वह ब्राह्मण एम्पेरुमानार के पास जाकर उनकी शरण हो जाता है। एम्पेरुमानार उसे उपदेश देते हैं और उसे शिष्य रूप में स्वीकार करते हैं। एम्पेरुमानार फिर काषाय वस्त्र धारण कर और त्रिदण्ड लेकर वहीं कुछ दिनों तक निवास कर फिर पश्चिम की ओर यात्रा प्रारम्भ करते हैं।


वे शालग्राम पहुँचते हैं जहाँ जैन और बौद्ध अधिक संख्या में रहते हैं और एम्पेरुमानार की ओर ध्यान नहीं देते थे। उन्होंने श्रीदाशरथी स्वामी जी को आज्ञा दिया कि गाँव के तालाब पर जाकर अपने पवित्र चरणों को तालाब के जल से धोकर जल को पवित्र करें और जिसने भी वह पवित्र जल को ग्रहण किया वह एम्पेरुमानार की ओर आकर्षित हो गया। श्रीआन्ध्रपूर्ण स्वामी जी ने एम्पेरुमानार को ही अपना सर्वस्व मान लिया था । वे आगे जाकर आचार्यनिष्ठा के एक महान उदाहरण हो गये। वहाँ से एम्पेरुमानार तोण्डनूर आकर वहाँ विट्ठल देव राय (उस क्षेत्र के राजा) कि बेटी को एक राक्षस से मुक्त किया। वह राजा और उसके परिवार एम्पेरुमानार के शिष्य बन गये और एम्पेरुमानार ने राजा को विष्णु वर्धन राय नाम दिया।


इस घटना को सुनकर 12000 जैन विद्वान एम्पेरुमानार से वाद-विवाद करने आ गये। एम्पेरुमानार अपने और उनके मध्य में एक पर्दा लगाते हैं। पर्दे के पीछे उन्होंने अपना वास्तविक हजार फणों वाले आदिशेष का रूप धारण करके सभी के सवालों का एक साथ जवाब दिया। परास्त हुये कई विद्वान एम्पेरुमानार के शिष्य बन गये । राजा भी एम्पेरुमानार का गुणगान करता है।


इस तरह एम्पेरुमानार तोण्डनूर में निवास करते समय उनका तिरुमण (तिलक करने का पासा) समाप्त हो गया और वे दु:खी हो गये। जब वे विश्राम कर रहे थे तभी श्रीसम्पतकुमार भगवान् उनके स्वप्न में आकर कहते हैं , “मैं आपका मेलकोटे में इंतजार कर रहा हूँ। यहाँ तिरुमण भी प्रचुर मात्रा में है।” राजा की सहायता से एम्पेरुमानार मेलकोटे पधारते हैं और भगवान् की पूजा के लिये जाते हैं। परन्तु दु:खी होकर देखते हैं कि यहाँ तो कोई मन्दिर हीं नहीं है। थकावट के कारण वे कुछ समय के लिये विश्राम करते हैं और भगवान् फिर से उनके स्वप्न में आकर अपना सही स्थान बताते हैं जहाँ उनको जमीन में रखा गया है। एम्पेरुमानार फिर भगवान् को जमीन में से बाहर लाकर भगवान् को श्रीसहस्रगीति का श्लोक निवेदन करते हैं जिसमें श्रीशठकोप स्वामी जी ने श्रीसम्पतकुमार भगवान् के गुणों का वर्णन किया है। वहीं उन्हें तिरुमण मिट्टी प्राप्त होती है जिससे वे अपने शरीर पर द्वादश तिलक धारण करते हैं। बाद में एम्पेरुमानार पूरे नगर को साफ कर और मन्दिर का पुन: निर्माण करते हैं और भगवान् की सेवा कैंकर्य के लिये कई सेवकों की व्यवस्था करते हैं।


उत्सव विग्रह की कमी के कारण वहाँ उत्सव मनाना बहुत कठिन था। जब एम्पेरुमानार इस विषय पर चिन्तित थे तब भगवान् फिर एक बार एम्पेरुमानार के स्वप्न में आकर कहते हैं, “रामप्रियन (उत्सव मूर्ति) दिल्ली के बादशाह के राजमहल में हैं।” एम्पेरुमानार उसी समय दिल्ली के लिये रवाना होते हैं और राजा से विग्रह को देने को कहते हैं। राजा एम्पेरुमानार को अपनी पुत्री के अंतरंग कक्ष में लाकर विग्रह दिखाते हैं। राजा की पुत्री को उस विग्रह से बहुत लगाव था और उस विग्रह से बहुत प्रेम भी करती थी। भगवान् को देख एम्पेरुमानार बहुत आनंदित हो गये और उस विग्रह को बाहर बुलाते हैं– “शेल्वपिल्लै यहाँ आइये।” भगवान् उसी समय कूदकर बाहर आकर एम्पेरुमानार के गोद में बैठ गये। यह देखकर राजा बहुत आश्चर्य चकित हुआ और बहुत आभूषण सहित भगवान् को एम्पेरुमानार के साथ भेज दिया। राजकुमारी को भगवान् की जुदाई से बहुत दु:ख हुआ और वह भी एम्पेरुमानार के पीछे-पीछे भगवान् के साथ चल देती है।


श्रीतिरुनारायणपुरम् की सीमा के नजदीक आने पर जिस तरह श्रीगोदाम्बा जी को भगवान् अपने में समा लेते हैं उसी तरह भगवान् ने राजकुमारी को भी अपने में समा लिया। भगवान् उनका तुलुक्का नाचियार नाम रखा और उनकी प्राण प्रतिष्ठा भगवान् के चरणकमलों में किया। उसके बाद गर्भगृह में उत्सव विग्रह की प्रतिष्ठापना कर और वहाँ सभी उत्सव मनाते हैं।


क्रमशः .........



–जय श्रीमन्नारायण

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गुरूपूर्णिमा विशेष

29 जून 2020
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*श्रीमते रामानुजाय नमः**श्री यतिराजाय नमः*💐💐💐💐💐💐💐💐 *गुरुपूर्णिमा विशेष*--- *द्वितीय भाग*🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕 गुरुदेव की असीम कृपा उनकी दया प्रेम वात्सल्य उसी के फलस्वरूप हमें परम आराध्य श्री लक्ष्मीनारायण जी के चरणों का आश्रय मिलता है और परमात्मा से मिलाने का पावन कार्य सिर्फ और सिर्फ श्

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गुरुपूर्णिमा पर विशेष

30 जून 2020
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*जय श्रीमन्नारायण* *श्रीमते गोदाम्बाय नमः*🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 *गुरुपूर्णिमा विशेष* *भाग तृतीय*🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 वैष्णव के चिन्ह स्वयं व्यक्ति को देव तुल्य बना देते हैं वैष्णव दीक्षा लेने के बाद पंच संस्कार युक्त मनुष्य स्वयं एक दिव्य यंत्र अर्थात दिव्य पुरुष के रूप में इस धरा धाम को आलोकित करता है

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गुरुपूर्णिमा विशेष

3 जुलाई 2020
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*जय श्रीमन्नारायण* *श्रीमते रामानुजाय नमः*🌹🌺🌹🌺🌹🌺🌹🌺 *गुरुपूर्णिमा विशेष* *चतुर्थ भाग*🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 प्रिय भागवत भक्तों जीवन एक मिट्टी का बना हुआ पुतला है इस पुतले को किस प्रकार से उत्तम रूप देकर समाज के हित में प्रशस्त करना सद्गुरु का कार्य है सद्गुरु की कृपा से वैष्णो मार

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गुरुपूर्णिमा विशेष

3 जुलाई 2020
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*जय श्रीमन्नारायण* *श्रीमते गुरुचरण कमलेभ्यो नमः*💐🌺💐🌺💐🌺💐🌺 *गुरुपूर्णिमा विशेष* *भाग ५*🦚🌳🦚🌳🦚🌳🦚🌳 *किमत्र बहुनोक्तेन शास्त्रकोटि शतेन च । दुर्लभा चित्त विश्रान्तिः विना गुरुकृपां परम् ॥*अर्थात :-बहुत कहने से क्या ? करोडों शास्त्रों से भी क्या ? चित्त की परम् शांति, गुरु के बिना

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गुरु पूर्णिमा पर विशेष

5 जुलाई 2020
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*जय श्रीमन्नारायण**श्रीमद गुरु चरणकमलेभ्यो नमः*🌼🌹🌼🌹🌼🌹🌼🌹🌼 *श्री गुरु पूर्णिमा विशेष* *भाग षष्ठ*🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼आप सभी भगवत भक्तों को पावन गुरु पूर्णिमा महापर्व की हार्दिक बधाई बहुत-बहुत शुभकामनाएं अनेकानेक अमंगल अनुशासनम आज का पावन पर्व वह पर्व है जिस दिन गुरु अपने शिष्य को शक्तिपात दीक्षा

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गुरु व शिष्य धर्म

5 जुलाई 2020
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*जय श्रीमन्नारायण**श्री यतिराजाय नमः*🥀🌷🥀🌷🥀🌷🥀🌷 *गुरु शिष्य के कर्तव्य*☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿सभी मित्रों को पावन गुरु पूर्णिमा पर्व की व श्री व्यास जन्मोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं गुरु और शिष्य का मिलन ठीक उसी प्रकार है जैसे एक छोटा सा जलबिंदु अनंत सागर में जाकर के मिले आज का दिन वही अवसर

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उपदेश सूत्र

29 जुलाई 2020
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*श्रीमते रामानुजाय नमः**श्रीगोदम्बाय नमः**चीराणि किं पथि न सन्ति दिशन्ति भिक्षां* *नैवाङ्घ्रिपाः परभृतः सरितोऽप्यशुष्यन् ।**रुद्धा गुहाः किमजितोऽवति* *नोपसन्नान् कस्माद्भजन्ति कवयो धनदुर्मदान्धान्*पहनने को क्या रास्तों में चिथड़े नहीं हैं? रहने के लिए क्या पहाड़ो की गुफाएँ बंद कर दी गयी हैं? अरे भाई !

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शिखा (चोटी) बन्धन क् महत्व

30 जुलाई 2020
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शिखा बन्धन (चोटी) रखने का महत्त्व💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐शिखा का महत्त्व विदेशी जान गए हिन्दू भूल गए।हिन्दू धर्म का छोटे से छोटा सिध्दांत,छोटी-से-छोटी बात भी अपनी जगह पूर्ण और कल्याणकारी हैं। छोटी सी शिखा अर्थात् चोटी भी कल्याण, विकास का साधन बनकर अपनी पूर्णता व आवश्यकता को दर्शाती हैं। शिखा का त्याग

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श्रीस्वामी जी की दिव्य यात्रा

31 जुलाई 2020
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।। श्रीमते रामानुजाय नमः।।श्रीरामानुजाचार्य जी की दिव्य देश यात्रा------------------------------------------------श्रीवैष्णव जन श्रीरामानुज स्वामी जी के पास जाकर कहते हैं – “स्वामी जी! आपने श्रीवैष्णव सम्प्रदाय को प्रतिष्ठित किया है और विरोधी सिद्धान्तों को हराया है। अब कृपया तीर्थ यात्रा पर चलिये औ

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श्रीमते रामानुजाय नमः

12 अगस्त 2020
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🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹*।।श्रीमते रामानुजाय नमः।।**श्रीपराशर भट्टर् और श्रीवेदव्यास भट्टर् का जन्म*-------------------------------------------------------श्रीपराशर भट्टर् और श्रीवेदव्यास भट्टर् कूरत्तालवान् (कूरेश स्वामी) और माता आण्डाल के सुपुत्र हैं । श्रीपराशर भट्टर् और श्रीवेदव्यास भट्टर् (दोनों भाई)

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श्रीमते रामानुजाय नमः

12 अगस्त 2020
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।।श्रीमते रामानुजाय नमः।।श्रीरामानुज स्वामी की मेलकोटे की यात्रा-------------------------------------------------श्रीरामानुज स्वामी जी के मार्गदर्शन में सभी वैष्णव श्रीरंगम् में आनन्द मंगल से रह रहे थे। तभी एक दुष्ट राजा , जो शैव सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखता था, विचार किया कि शिवजी की श्रेष्ठता को स्थ

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कृष्ण भक्त

20 अगस्त 2020
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🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻*बहुत ही प्रेरणाप्रद कथा**➖एक दरिद्र ब्राह्मण यात्रा करते-करते किसी नगर से गुजर रहा था , बड़े-बड़े महल एवं अट्टालिकाओं को देखकर ब्राह्मण भिक्षा माँगने गया , किन्तु उस नगर मे किसी ने भी उसे दो मुट्ठी अन्न नहीं दिया।* *➖आखिर दोपहर हो गयी , तो ब्राह्मण दुःखी होकर अपने भाग्य को कोस

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कलंक चतुर्थी

25 अगस्त 2020
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* *अज्ञानता वस किसी पर संदेह करना एक दिन मनुष्य को ऐसी स्थिति में पहुंचा देता है कि वह पश्चाताप की अग्नि में जलने लगता है और उसे प्रायश्चित का कोई उपाय नहीं दिखता बिना जाने बिना विचार किए किसी प्रकार का निर्णय करना कितना गलत होता है यह भगवान श्री कृष्ण जी ने अपनी लीला मात्र से

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गुरू

22 जुलाई 2021
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*जय श्रीमन्नारायण**स्त्रीयों को गुरू क्यूं नहीं बनाना चाहिये , और संतो को क्यूं स्त्रीयों से दूर रहना चाहिये ,, शास्त्र से*:-------- "" प्रश्न -- हमने गुरूसे कण्ठी तो लेली , पर उनमें श्रद्धा नहीं रही तो क्या कंठी उनको वापस कर दें ?"" उत्तर--कंठी वापस करने के लिए हम कभी समर्थन

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गुरु ही सर्वस्व है

29 जुलाई 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *भाग:-१* *गुरु ही सफलता का स्रोत*🥀🌲🥀🌲🥀🌲🥀 गुरु चाहते हैं कि शिष्य दिव्यता के इस मार्ग पर अग्रसर हो और तुम इस पद पर पहुंच जाओगे तो तुम्हें अपने आप एहसास होगा तुम्हें संतोष होगा कि तुम इस पद पर खड़े हो औरों को तो इस पद का ज्ञान भी नहीं है वह पत्र जहां

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गुरु ही सफलता का स्रोत

30 जुलाई 2021
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*गुरु ही सफलता का स्रोत*🌲🥀🌲🥀🌲🥀🌲🥀 *जय श्रीमन्नारायण* *भाग:-२*☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿इस दुनिया के लिए एक और शब्द है संसार संसार शब्द दो शब्दों के सहयोग से बना है सम सार इसका अर्थ है कि जो अवस्था मेरी प्रकृति के अनुरूप है वही संसार है इसलिए अगर मैं कामों को हूं तो सुंदर स्त्री को देखने में अ

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गुरु ही सफलता का स्रोत

31 जुलाई 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐 *गुरु ही सफलता का स्रोत**भाग:-----३*🌲🌿🌲🌿🌲🌿🌲🌿 *गतांक से आगे*---- *क्या गुरु का भी ऋण होता है*--------तो उत्तर आएगा हां शिष्य अपने गुरु का ऋण कभी उतार ही नहीं सकता अपने माता-पिता का ऋण उतार सकता है अपने स्वजनों का ऋण उतार सकता है क्योंकि उनसे उसके देश

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गुरु हि सफलता का स्रोत

1 अगस्त 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿*गुरु ही सफलता का स्रोत*🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼 *भाग:-४* *गतांक से आगे------* *अनुभवति हि मूर्ध्ना पादपस्तीव्रमुष्णं।**शमयति परितापमं छायया संश्रितानाम्।।*(अभिज्ञान शाकुंतलम:५/7)अर्थात:- वृक्ष अपने सिर से तो तीव्रउष्णता का अनुभव करता है पर अपने आश्रितों के ताप को छाया से

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बिल्वपत्र पूजन 108 मन्त्र

1 अगस्त 2021
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*महादेव की बिल्व पत्रों से पूजा*〰〰🌼〰🌼〰🌼〰〰त्रिदेवों में भगवान शिव को सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाला माना गया है। भगवान शिव को ‘भोलेनाथ’ और ‘औघड़’ माना गया है जिसका तात्पर्य यह है कि वो किसी को बहुत अधिक परेशान नहीं देख सकते और भक्त की थोड़ी सी भी परेशानी उनकी करुणा को जगा देती है।नीलकंठ रूपेण करुणामय

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गुरु हि सफलता का स्रोत

2 अगस्त 2021
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*श्री यतिराजाय नमः*🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺 *गुरु हि सफलता का स्रोत**भाग ५:-----**गतांक से आगे:----*गुरु के बारे में शास्त्र में कहा गया है--*गुरूर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः! गुरु साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः*अर्थात:- वास्तव में ही पूर्णता का दूसरा नाम गुरु है अष्ट महा सिद्धियां गुर

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नियमावली

3 अगस्त 2021
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🌺🍥🌺🍥🌺🍥🌺🍥🌺🍥🌺🍥 ‼️ *श्री राधे कृपा हि सर्वस्वम* ‼ *नियम एवं प्रतिज्ञा* ♦🍀♦🍀♦🍀♦🍀♦️🍀♦️🍀 *मित्रों यह समूह बनाने का एकमात्र उद्देश्य यह है कि जिन्हें हम भूलते जा रहे हैं उन सनातन परम्पराओं को हम पुन: जीवित कर सकें। सभी भगवत्प्रेमियों को एक

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गुरु ही सफलता का स्रोत

4 अगस्त 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷 *गुरु ही सफलता का स्रोत**भाग:-६*☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿*गतांक से आगे:------*संसार में दुख हैं हर दुख का कारण है और हर दुख का निवारण भी है गुरु की कृपा प्राप्त करने का सरल उपाय ही दीक्षा है और शिष्य का धर्म यही है की पुनः पुनः गुरु चरणों में उपस्थित होकर दीक्षा द

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गुरु ही सफलता का स्रोत

4 अगस्त 2021
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‼️ *श्रीमते रामनुजाय नमः* ‼️💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹 *🌹🌹गुरु ही सफलता का स्रोत 🌹🌹*🦚 *भाग ७*🦚*गतांक से आगे------**शिष्य कितना भी क्षमता वान क्यों ना हो जाए उस का साधन आत्मक स्तर कितना भी उच्च क्यों ना हो जाए चाहे उसमें ब्रह्मांड को दोबारा रचने की क्षमता ही क्यों ना आ जाए तब भी वह सद्गुरु के सामने शिशु

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गुरु ही सफलता का स्रोत भाग:-८

5 अगस्त 2021
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*‼️जय श्रीमन्नारायण‼️*🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞 *‼️गुरु ही सफलता का स्रोत ‼️**भाग ८:-------*🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷*गतांक से आगे:----**ब्रह्मज्ञान बिनु नारि नर कहहिं न दूसरि बात।**कौड़ी लागि लोभबस करहि बिप्र गुर घात।।'*🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹*अर्थात:-*(स्त्री-पुरुष ब्रह्मज्ञान के सिवा दूसरी बात ही नहीं कहते और

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गुरु ही सफलता का स्रोत

6 अगस्त 2021
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*श्रीयतिराजाय नमः*🦜🦚🦜🦚🦜🦚🦜🦚*‼️गुरु ही सफलता का स्रोत‼️* *भाग:-९**गतांक से आगे:----------**ब्रम्हाण्ड रश्मिनिकरेश्वनु गुज्जछदमात।**यस्य स्तुतीं प्रकृतिरेव स्वयं करोति।**गायन्ति यां ऋषिजनाः सुजनाश्च तं वै।**तं वन्दे रामानुजस्य चरणारविन्दम।।*जिनकी स्तुति स्वयं प्रकृति भी करती है उस स्तुति का

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गुरु ही सफलता का स्रोत

7 अगस्त 2021
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*श्रीमते यतिराजाय नमः*🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿🌿☘️ *‼️ गुरु ही सफलता का स्रोत‼️**भाग १०:--**गतांक से आगे:-------*शिष्य का जीवन गुरु से जोड़कर ही पूर्ण बनता है जीवन की यात्रा तो संसार में जिसने भी जन्म लिया है वह करता ही है लेकिन कितने व्यक्ति इस जीवन में पूर्णता प्राप्त करते हैं यह ज्यादा महत्वपूर्ण है शास्त

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गुरु ही सफलता का स्रोत

8 अगस्त 2021
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*🦚 जय श्रीमन्नारायण🦚*🌼🌞🌼🌞🌼🌞🌼🌞 *‼️ गुरु ही सफलता का स्रोत ‼️**भाग ११*🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌲☘️🌿*गतांक से आगे:-------* *यस्मान् महेश्वरः साक्षात कृत्वा मानुष विग्रहं।**कृपया गुरुरूपेण मग्नाः प्रोद्धरति प्रजा:।।**अर्थात:--*स्वयं परमेश्वर मानव मूर्ति धारण करके कृपया पूर्वक गुरु रूप में माया में म

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गुरु ही सफलता का स्रोत

10 अगस्त 2021
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*श्रीमते रामानुजाय नमः*🌲🌿🌲🌿🌲🌿🌲🌿*‼️गुरु ही सफलता का स्रोत ‼️**भाग १२:--**गतांक से आगे:-------*जीवन पौरुष के साथ जीने के लिए प्राप्त हुआ है और वह पौरुष गुरुद्वारा प्रदत्त ज्ञान का पूर्ण रूप से पकड़ कर ही प्राप्त हो सकता है। सद्गुरु हर जीवन में साथ रहते हुए उस मार्ग पर ले जाते हैं जो पूर्णता का,

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आपकी जिज्ञासाएं? हमारे समाधान

12 अगस्त 2021
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*श्रीमते यतिराजाय नमः**‼️ आपकी जिज्ञासायें ?? हमारे समाधान‼️*🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷*भाग १:---**प्रश्न:- गुरु दीक्षा क्या जरूरी है ??गुरु दीक्षा के कितने रूप हैं ??जब सीखना ही है तो दीक्षा के बिना भी तो सीखा जा सकता है तो दीक्षा के द्वारा गुरु एवं शिष्य के बीच कौन सा संबंध स्थापित हो जाता है**उत्तर:- सा

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आपकी जिज्ञासाएं??हमारे समाधान।

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*जय श्रीमन्नारायण*🌹🌼🌹🌼🌹🌼🌹🌼*‼️आपकी जिज्ञासाएं??हमारे समाधान।‼️**🦚भाग :-2**गतांक से आगे:----*केवट का गुरु कोई साधारण मनुष्य नहीं अपितु स्वयं भगवान भोलेनाथ थे पूर्व जन्म में जब वह परिवार के भरण-पोषण के लिए शिकार करता था एक दिन भूख और प्यास से व्याकुल जंगल में भटकता रहा और शिकार नहीं मिला हाथों

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आपकी जिज्ञासाएँ?? हमारे समाधान।

15 अगस्त 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳*‼️आपकी जिज्ञासाएं?? हमारे समाधान‼️*💐💐💐💐💐💐💐💐*भाग ३ :-**गतांक से आगे:--------*शिष्य का गुरु के प्रति एक कर्तव्य है और इसी प्रकार गुरु का भी शिष्य के प्रति एक कर्तव्य है शिष्य का मतलब है अनुशासन और पूर्ण समर्पण इसी प्रकार गुरु का भी तात्पर्

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आपकी जिज्ञासाएँ??हमारे समाधान। भाग 4

18 अगस्त 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿*‼️आपकी जिज्ञासाएँ?? हमारे समाधान‼️**भाग ४:-*🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺*गतांक से आगे:---------**प्रश्न:- क्या गुरु ईष्ट हो सकता है?**उत्तर:-* इष्ट का तात्पर्य एक ऐसी सत्ता से है जो उसके जीवन में सर्वोच्च है और जिस में लीन हो जाना वह अपना गौरव समझता है यदि शिष्य की भावना है

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प्रणाम करने का तरीका

25 अगस्त 2021
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<p>★★★प्रणाम निषेध ★★★</p> <p>°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°</p> <p>१_दूरस्थं जलमध्यस्थं धावन्तं धनगर्व

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छठी इंद्री

26 अगस्त 2021
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<p>🚩🔱🕉️⚛📿🔥 *छठी इंद्री को जागृत करने के 5 तरीके !*⚛</p> <p>

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आपकी जिज्ञासाएँ? हमारे समाधान

20 सितम्बर 2021
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<p>*श्रीमते रामानुजाय नमः*</p> <p>🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿</p> <p>एक बार पुनः आप लोगों की सेवा में प्रेषित ह

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श्राद्ध कब और कैसे

21 सितम्बर 2021
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<p>पक्ष विशेष</p> <p>〰〰🌸〰〰</p> <p>एकैकस्य तिलैर्मिश्रांस्त्रींस्त्रीन</p> <p>दद्याज्जलाज्जलीन।</p>

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आपकी जिज्ञासाएँ? हमारे समाधान

22 सितम्बर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425242f7ed561c89

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आपकी जिज्ञासाएँ?हमारे समाधान

24 सितम्बर 2021
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<p>*श्रीमते रामानुजाय नमः*</p> <p><br></p> <p>*‼️आपकी जिज्ञासाएँ?हमारे समाधान‼️*</p> <p><br></p> <p>

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आपकी जिज्ञासाएँ?हमारे समाधान

26 सितम्बर 2021
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<p>*श्रीयतिराजाय नमः*</p> <p><br></p> <p>☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️</p> <p><br></p> <p> *‼️आपकी जिज्ञास

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आपकी जिज्ञासाएँ?हमारे समाधान

1 अक्टूबर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425242f7ed561c89

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पितृ दोष

2 अक्टूबर 2021
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<p>*🕉हिन्दू संस्कार🕉*</p> <p><br></p> <p>पितृ दोष लक्षण,कारण एवं निवारण</p> <p>~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

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भोजन करने का नियम

12 नवम्बर 2021
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<p>*खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ*</p> <p>🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹</p> <p>*आजकल सभी जगह शादी-पार्टियों

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अयोध्या नाथ की लीला

26 नवम्बर 2021
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<p>*श्री अयोध्या जी के दशरथ महल की सत्य घटना*</p> <p><br></p> <p><br></p> <p>श्री अयोध्या जी में 'कन

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भक्त भगवान की प्रेम लीला

6 जनवरी 2022
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ठाकुर जी के प्रेमी भक्त 'श्री जयकृष्ण दास बाबा जी' के जीवन का एक सुंदर प्रसंग गोपाल की उल्टी रीति है। अगर कोई बुलाता है तब भी उसके पास नहीं जाते, और कभी कोई नहीं भी बुलाता तो उसके पास जरूर जाते हैं।

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श्रीवैष्णव तिलक महत्व

9 मार्च 2022
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*जय श्रीमन्नारायण* 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *श्री वृंदावन धाम की जय* अगर कोई कंठीधारी कृष्णभक्त या वैष्णव जो उर्धव-पुन्ड्र वैष्णव तिलक लगाकर किसी के घर भोजन करता है, तो उस घर के 20 पीढ़ियों को मैं (

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हनुमानजी का कर्ज

16 मई 2022
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(((( हनुमान जी का कर्जा )))) . रामजी लंका पर विजय प्राप्त करके आए तो, भगवान ने विभीषण जी, जामवंत जी, अंगद जी, सुग्रीव जी सब को अयोध्या से विदा किया।  . सब ने सोचा हनुमान जी को प्रभु बाद में बिदा करेंग

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लहसुन प्याज क्यों नहीं खाना चाहिए

28 जून 2022
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प्रश्नकर्ता - लहसुन-प्याज खाना चाहिए अथवा नहीं ? श्री बागेश्वर धाम सरकार एवं श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज ने इस सन्दर्भ में परस्पर विरोधी वक्तव्य दिये हैं, कृपया समाधान करें। निग्रहाचार्य श्रीभागवता

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सनातन संस्कृति पर भू माफियाओं का कब्जा

15 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[प्रथम भाग]* आज बहुत दिन बाद पुनः धारावाहिक

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सनातन संस्कृति पर बलात कब्जा

17 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ तृतीय भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*

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सनातन संस्कृति पर बलात कब्जा

17 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ द्वितीय भाग]*    कल के लेख में  आपने पढ़ा

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सनातन संस्कृति पर भू माफिया ओं का कब्जा

18 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ चतुर्थ भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण

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सनातन संस्कृति पर बलात अतिक्रमण

19 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ चतुर्थ भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण

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सनातन संस्कृति पर बलात कब्जा

20 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ पंचम भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*

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सनातन संस्कृति व धर्मस्थलों पर भूमाफियाओं का कब्जा

23 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ षष्ठम भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*

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सनातन संस्कृति व धर्मस्थल और आश्रमों पर भू माफियाओं का बलात कब जा

23 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ षष्ठम भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*

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*सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण*

24 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ अष्टम भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*

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सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण*

25 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ नवम भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*  

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सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण*

30 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ दशम भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*  

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