बाजत (जम कर ठोका) अंतराष्ट्रीय वृद्ध दिवस
डॉ शोभा भारद्वाज
पाँच वर्ष पुरानी बात है | गौतम बुद्ध नगर से नोएडा आने वाली सड़क एक आने वाले ट्रैफिक के लिए एक जाने वाले ट्रैफिक के लिए है रास्ता भूल जाने पर यदि आप लौटना चाहें काफी दूर तक जाने के बाद चौराहा आता है | सड़क को दो भागों में बाँटने के लिए हरित पट्टी पर घास फूलदार छोटे पौधे छोटे वृक्ष इनकी ठंडी छाया मन को मोह लेती है | दो लड़के बाइक जा रहे थे अचानक उनकी नजर हरित पट्टी पर बैठे वृद्ध पर पड़ी वृद्ध की आँखे डूब रही थी चेहरे पर दीनता शायद वह भूखा एवं प्यासा था | लड़के चौराहे तक जाकर वृद्ध की दिशा में लौटे बाइक को खड़ा कर वृद्ध से पूछा आप यहां क्यों बैठे हैं |
वृद्ध हाथ जोड़ कर बोला मैं अपने बचवा का इंतजार हूँ कब से ? दो रात आज तीसरा दिन है आप ऐसे ही बैठे हो कुछ खाया पिया नहीं वृद्ध के ओंठ सूखे हुए थे शरीर में जान नहीं थी लड़के उन्हें समझा बुझा कर बीच में बिठा कर वापिस उसी जगह के सामने लाये जहाँ वृद्ध बैठा था बस स्टैंड पर उन्हें बिठाया एक दौड़ कर पानी एवं खाने के लिए दाल चावल लाया उसे यही मिला था ले आया | पानी पीने के बाद वृद्ध बोल सका इन्होने कहा पहले आप कुछ खा लीजिये | कुछ खाने के बाद वृद्ध ने बताया बिहार से उसका इलाज कराने के लिए उसका भतीजा जिसे वह बचवा कह रहा था उसे दिल्ली लाया था आपको क्या तकलीफ थी ?कुछ नहीं वह कह रहा था आप कमजोर होते जा रहे हैं दिल्ली के बड़े अस्पताल में आपका इलाज करवाऊँगा उसने मुझे यहाँ बिठा कर कहा ताऊ जी आप यहाँ छाया में बैठो में डाक्टर मिलकर आपके इलाज की व्यवस्था करके आता हूँ | आप यहाँ से हिलना नहीं दिल्ली शहर है आप खो जाओगे फिर में आपको कहाँ ढूँढूगा वृद्ध बार -बार उस स्थान पर नजर गड़ाये था जहाँ उसका बचवा उसे बिठा कर गया था और लोग भी इक्क्ठे हो गए उन्होंने कहा बाबा यह तो नोएडा का रास्ता है आपको आपका भतीजा मरने के लिए छोड़ गया है यदि जरा भी दया होती बस स्टैंड की बैंच पर बिठा जाता अब वह नहीं आएगा |
वृद्ध को विश्वास नहीं हो रहा था उसने आपने भाईयों और बहन को पालने के लिए शादी नहीं की वह सबके लिए माता पिता बन गया माता पिता कब के मर चुके थे | अपने खेती एवं अध बटाई पर खेत लेकर दिन रात मेहनत की जब खेती में उसकी जरूरत नहीं होती थी वह पटना बेलदारी करने जाता था खेती की कई एकड़ जमीन खरीदी कच्चा मकान पक्का किया सोचा था मेरा अपना परिवार नहीं है अपने भाईयो बहन के परिवार के बच्चों के साथ जियूँगा लड़का जो मुझे फेक कर गया है इस पर मैं जान छिड़कता था मेरे साथ ऐसा किया मेरा शरीर इतना गला कि नहीं है` मैं उन सबको सुधार न सकूँ सबकी सलाह से मेरे साथ ऐसा किया है मैं अपने गावँ का सरपंच रह चुका हूँ सबने कहा हम आपको वृद्धाश्रम पहुँचा देते हैं भीड़ बढ़ने लगी एक पुलिस की जिप्सी भी खड़ी हो गयी वृद्धाश्रम जायें मेरे दुश्मन मेरी जेब में इतने रूपये हैं मैं टिकट खरीद कर पटना और अपने गावँ जा सकता हूँ मुझे बस पुलिसिया डंडा चाहिए उन्हें मेरी बनाई जमीन चाहिए उसे तो अब पंचायत को दान दे कर स्कूल बनवाऊँगा | सबसे पहले डंडा बजाऊँगा |
पर बाबा हम कैसे देखेंगे बाबा पता दो अरे चिट्ठी भेजूंगा तुम सब भलेमानस हो | पुलिस वृद्ध की मदद करना चाहती थी लेकिन एक सज्जन कार से उतरे उन्होंने कहा आप अपनी ड्यूटी कीजिये मैं बाबा को अच्छा मजबूत डंडा खरीद दूंगा इन्हें ट्रेन में बिठा कर पटना पुलिस को इनकी फोटो नाम इनके गांव का पता और पटना पुलिस के द्वारा गावँ के थाने में शिकायत दूँगा यहीं से सुधार दूंगा | वह शायद बिहार के थे उन्होंने कहा बाबा बाजत वृद्ध ने कहा अरे जमकर बाजत | हमें कैसे पता चलेगा बाबा खबर मेरे पते पर डालना आप लोग जो इनके बारे में क्या हुआ जानना चाहते हैं खबर कर दूंगा बाबा तुम्हें कसम है दया मत दिखाना बाबा रो कर बोले सूना था बड़े शहर के लोग बहुत बुरे हैं परन्तु गलत सब उनसे गले मिले उनके पैर छुए वह सज्जन की गाड़ी में बैठ कर चले गए |
कार वाले व्यापारी सज्जन ने बाबा की खेतों में काम करते फोटो भेजी बाबा बिलकुल स्वस्थ भले चंगे दिखे चित्र के साथ लिखा था जम कर बजाया गावँ वालों ने मुँह काला कर गाँव से भगा दिया अब सुना है पटना में मजूरी कर रहे हैं | वृद्ध भाई के साथ ऐसा व्यवहार, सबकी मिली भगत थी | आगे सज्जन ने बताया मैं उनको अपने घर ले गया शाम को अपने डाक्टर को दिखाया उन्हें कोई तकलीफ नहीं थी बस अच्छा खाना न मिलने से खून की कुछ कमी थी दो दिन अपने पास ठहराया फ़िटनेस का मेडिकल सर्टिफिकेट की कॉपी पटना पुलिस के पास भेज दी | रिजर्वेशन करवा कर गाड़ी में बिठाया |
अंत में बाबा ने घर के पड़ोस में उनकी रिश्ते की अधेड़ दुखी बहन रहती थी उसको अपने घर में बुला लाये वह उनके खाने पीने का ध्यान रखती है वह गावँ की भलाई के कामों में लग गए घर को पाठशाला के लिए दे दिया दो कमरे अपने पास रखे | आगे उनके बड़े - बड़े सपने हैं खेत की जमीन पर इंटरमीडिएट कालेज बनवाएंगे सरकारी मदद न मिली तो आधे खेत बेच देंगे | उन पर सबसे पहली नजर मेरे बेटे की पड़ी दोनों ने अपने विवेक से भला काम किया था | दुःख होता है शहरों में कई वृद्ध अपना सब कुछ अपने बच्चों को दे देते हैं उनके दुर्व्यवहार को छिपाते हैं घर की इज्जत बनी रही | क्या उन्हें दंडित नहीं करना चाहिए ?