बडजाता है प्यार बेशुमार यहॉ पैसा बडजाने पर.....
नये नये मिलते है यार भनक पैसो की लगजाने पर.....
कोई शक नही आज भी है दोस्त सुधामा जैसे...........
दिखावा नही करते जो काम वही आते है वक्त आनेपर....,...
*आशफाक खोपेकर*
बड़ी मुश्किल से मिलते हैं दोस्त दोस्ती निभाने वाले।
ऐसे तो बहुत मिलते हैं खा खुजा के बत्ती बुझाने वाले।.
गद्दारों से न कर उम्मीद वो तो होते हैं मुंह फेर के जाने वाले।
सच्चे यार ही होते हैं यार को बगैर मतलब दिल में बैठाने वाले ।.
*आशफाक*