हिसाब न देनापडेगा मालिक के दरबार मे परवान चडजाये जिन्दगी गर सच्चाई की राहपर।
तमाशा है दुनिया दो दिनो का खत्म करके काम चलाजाता है हर कोई अपनी अपनी जगाहपर।.
भुकसे इन्सान जीतना जल्दी नही मरता खा खाकर जल्दी चलाजाता है अपने आखिरी ठिकाने पर।
लडता है क्यु दोस्त न तेरा कुछ है यहॉ न मेरा, खाली हात ही जाना है तुझे तेरी मुझे मेरी जगाहपर।.
*आशफाक खोपेकर*