मजहब ही जोडता है कई सरहदो को एक साथ।.
दीवारे खडी कर दे दिलो मे वो नही हो सकती मजहब की बात।.
नही जीनकी कोईऔकात खिलवाड करते वो मजहब के साथ।.
पसंद की कोई गुंजाईश नही होती मीलता है हर एक को ये पैदाईश के साथ।.
बेमतलब की है धर्मो की लडाई जीना आसां होगा समझदारी के साथ।.
(अशफाक खोपेकर )