झगडे फसाद की जड है जुबां का लहजा।.
मोहब्बत बेपनहा बढाता है दिलो मे लहजा।.
लफ़्जो,लहजो से कई महात्मा बन बैठे है आज।.
इसी के दमपे पाखंडीयों ने पेहने है कलयुग मे ताज।.
(आशफाक खोपेकर)
25 जून 2016
झगडे फसाद की जड है जुबां का लहजा।.
मोहब्बत बेपनहा बढाता है दिलो मे लहजा।.
लफ़्जो,लहजो से कई महात्मा बन बैठे है आज।.
इसी के दमपे पाखंडीयों ने पेहने है कलयुग मे ताज।.
(आशफाक खोपेकर)