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उरुज से गीरे सितार

22 जुलाई 2016

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कहानी अजीब सी थी उन उरुज से गीरे सितारों की।.                                                      

पलट कर कभी न देखेते थेऐसे तकब्बुरी इन्सानो की।

मेहनत ने दी दस्तक किस्मत के दरवाजे पर दुआओं ने उरुज पर पोहचा दिया।.                                                      

हजम न कर सके कामयाबी बेगैरत  तक्बबुर ने उन को ऐसा नशा कर दिया।

इशारे कई दिये कुदरत ने संभल जानेके सब को नजर अंदाज कर दिया।                          

भुल गए थे वो अवकात अपनी हरकतो ने वही लाकर खडा कर दिया।.

शोहरत दौलत इज्जत न रही तक्बबुर ने दुआओं का सारा असर  बेअसर कर दिया।

कुदरत की लाठी मे आवाज नही होती उसने रुस्तमो तवंगरो को भी खत्म कर दिया।.                     

(आशफाक खोपेकर)


आशफाक़ खोपेकर की अन्य किताबें

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लहजा।

25 जून 2016
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झगडे फसाद की जड है जुबां का लहजा।.मोहब्बत बेपनहा बढाता है दिलो मे लहजा।.लफ़्जो,लहजो से कई महात्मा बन बैठे है आज।.इसी के दमपे पाखंडीयों ने पेहने है कलयुग मे ताज।.                                                        (आशफाक खोपेकर)

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आशफाक खोपेकर

26 जून 2016
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जतन न हो तकब्बुर,लालच का हर बुराई की जड है ।मोहब्बत और इल्म का खजाना बांटने से बडजता है ।.                                                                                                    अक्लमंद है वो सुकुन से जीता और जीने देता है जो।.                                                              

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उरुज से गीरे सितारे

22 जुलाई 2016
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कहानी अजीब सी थी उन उरुज से गीरे सितारों की।.                                                      पलट कर कभी न देखेते थे ऐसे तकब्बुरी इन्सानो की।मेहनत ने दी दस्तक किस्मत के दरवाजे पर दुआओं ने उरुज पर पोहचा दिया।.                                                      हजम न कर सके कामयाबी बेगैरत  तक्ब

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उरुज से गीरे सितार

22 जुलाई 2016
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कहानी अजीब सी थी उन उरुज से गीरे सितारों की।.                                                      पलट कर कभी न देखेते थेऐसे तकब्बुरी इन्सानो की।मेहनत ने दी दस्तक किस्मत के दरवाजे पर दुआओं ने उरुज पर पोहचा दिया।.                                                      हजम न कर सके कामयाबी बेगैरत  तक्बब

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मजहब [धर्म ]

23 जुलाई 2016
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मजहब ही जोडता है कई सरहदो को एक साथ।.                                                                दीवारे खडी कर दे दिलो मे वो नही हो सकती मजहब की बात।.                                         नही जीनकी कोईऔकात खिलवाड करते वो मजहब के साथ।.पसंद की कोई गुंजाईश नही होती मीलता है हर एक को ये पैदाईश के

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प्यार हमदर्दी

2 अगस्त 2016
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प्यार हमदर्दी  से काबु होता है बब्बरशेर भी हिम्मत उसे प्यार करने की हो ।कुछ न बीगाड पाती है मुसीबते हिम्मत अगर उस से लडने की हो ।हर मुश्किल आसां होंगी मुश्किलो का डर दिल मे न हो ।जन्नत बन जायेंगी दुनिया प्यार इन्सानियत गर सब के दिल मे हो ।(आशफाक खोपेकर)

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छोटा सा सफर

2 अगस्त 2016
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छोटा सा सफर है जिन्दगी का भरोसा नही है कल का ।मगरुर न बन इन्सां पता भी न चलेंगा तुझे आखिरी पल का ।तकलीफ मुसीबत फल है इन्सां की बुरी हरकतो का ।सुकुन चैन की जिन्दगी नतीजा है सब की दुआओं  का ।(आशफाक खोपेकर)

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सफर का लुत्फ़

3 अगस्त 2016
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न खबर थी हमे आने की न पता है हमे जाने का।.                                                              कुछ दिनो का ठिकाना है दुनिया हम बेगानो का।.                                                                        मशरुफ है सब वक्त नही है समझने समझाने का।.लुत्फ देगा सफर जीन्दगी का गर है इरादा का

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कुर्बानी

7 अगस्त 2016
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कुर्बानीयो से ही टल जाती है मुसीबते।                                          कुरबानीयो से ही हासील होती है नियामते।.कुछ खोकर ही कुछ मीलता है यहॉ यारो।.                               नाकारों पर मेहरबान कुदरत भी नही होती ।.                             (आशफाक खोपेकर) 

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जियो जीने दो

7 अगस्त 2016
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नफरत के बीज पिरोकर शौहरत दौलत हासील करते है आज ।.                                  खिलवाड मजहबो से करने वालो को ही पहनाया जाता है ताज।.                                खौफेखुदा को भुलकर मौज मस्ती मे मश्गुल है आज सारे दगाबाज।.                                  जियो जीने दो सबक सब को मीलता है कुदरत के ल

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इम्तेहान नही होते दोस्ती मे

7 अगस्त 2016
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इम्तेहान नही होते दोस्ती मे जब दो जिस्म एक जान होते है दोस्ती मे।.                           कुर्बानीयो का जज्बा निखर आता है सच्ची दोस्ती मे।.                                                            कमजोर पडजाते है रिश्ते फिर भी जिन्दगी बीतजाती है दोस्ती मे।.                                      

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खुश रहने का ईलाज

9 अगस्त 2016
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खुश रहने का एक है ईलाज रखना नजर हमेशा खुद से छोटों के पास।.                                             बचायेंगी झुकी नजर ठोकरो से  ऊँची नजर लेजाएगी मुश्किलो के पास।.ग़मगीन है कई ऐसे लोग जगहा नही है दौलत ऱखने को उनके पास।.                                                         सुकुन से सोलेते है कई

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आख़लाक़

9 अगस्त 2016
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आख़लाक़ नदारत हो ऐसे इल्म से जहालत भली।.                                                                                तकब्बुर लेआए ऐसी दौलत से मुफ़लिसी भली।                                                                                        तन्दुरस्ती सलामत रखे जो ऐसी फकीरी भली।.              

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वक्त

10 अगस्त 2016
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कब कहॉ कैसे किसी मोडपर रुख बदलेगा वक्त ।.                                                                           काबु मे सब कुछ कर पावोंगे न कर पावोंगे वक्त।.                                                                  औरों की गलतीयो से भी जां गंवाते है कई लोग।                              

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थकान

13 अगस्त 2016
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 थकान मेहसूस न होंगी जिन्दगी के सफर की हमराज हमसफर गर साथ है।                                     आसां होगा मुश्किलो से निकलना गर सब्र और हिम्मत एक साथ है।.                        न जमाना खराब होता है यारो न वक्त खाराब होता है।                                                                        

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करता धरता

13 अगस्त 2016
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करता धरता कायेनात का एक ही है ताकतवर कोई नही है उसके सिवा।.                                      सदीयो से खेल रहा खेल कायेनात चलाने का न जाने क्या करता होंगा इस के सिवा।कहानियॉ बडी बना लेता है इन्सां हकीकत एकपल न जी सकता खुद उसकी मर्जी के सिवा।शुन्य से शुरु शुन्य मे खत्म करदेगा वो कायेनात कहानी है य

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दुश्मनी

27 अगस्त 2016
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दुश्मनी दोस्तो से क्या करे दोस्त के लिए दोस्त का मुह फेरना ही काफी है । दुश्मन कई है मेरे दुश्मनी निभाने के लिए गले लगाने एक दोस्त ही काफी है ।ख्यालो मे दुनिया को बीठा सकते है दिल मे बीठाने एक दोस्त ही काफी है।. बनते बिगडते है हर रिश्ते निभाने के लिए रिश्ता एक दोस्त ही का

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अधुरी तमन्ना

10 सितम्बर 2016
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"अधुरी तमन्ना" ऑखो से ऑसु निकलने से पहले मेरी तक्लिफ दुर होने वाली है।अम्मी मेरी अब मुझे बेहद खुशी से अपने गले लगाने वाली है । बसेरा था कोख मे उसके आज वो मुझे सिनेसे लगाने वाली है। जतन करके रख्खा है अमृत आज वह मुझे पिलाने वाली है।ऑखो से ऑसु निकलने से पहले मेरी तक्लिफ दुर

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FWA election

12 अक्टूबर 2016
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दोस्तों, तीन टर्म से FWA पर कब्ज़ा जमाकर बैठे अंजुम राजबली और उनके साथी जलीस शेरवानी ,कमलेश पांडेजी ,और कुछ लोग फिल्म राइटर एसोसिएशन को अपनी जहांगीर समझकर मनमानी कर रहे है | इन्हें कोई अपोजीशन नहीं चाहिए जो इनकी मनमानी रोके इसी लिए अपने सात इंडस्ट्री के कुछ अच्छे ल

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FWA ELECTION

13 अक्टूबर 2016
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FILM WRITER ASSOCIATION [FWA] ELECTION AND AGM WILL BE. HELD ON 16 OCTOBER 2016,10 am, AT Celebration Club, Lokhandwala Complex, Andheri West. PLEASE ATTED WITH LARGE NUMBERS दोस्तों, तीन टर्म से FWA पर कब्ज़ा जमाकर बैठे अंजुम राजबली और उनके साथी जलीस शेरवानी ,कमलेश पांडे

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ELECTION ऑफ़ FWA

15 अक्टूबर 2016
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FILM WRITER ASSOCIATION [FWA] ELECTION AND AGM WILL BE. HELD ON 16 OCTOBER 2016,10 am, AT Celebration Club, Lokhandwala Complex, Andheri West. PLEASE ATTED WITH LARGE NUMBERS दोस्तों, तीन टर्म सेज्यादा FWA पर कब्ज़ा जमाकर बैठे अंजुम राजबली और उनके साथी जलीस शेरवानी ,कमल

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सब्र

10 नवम्बर 2016
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सब्र करो देशवासीयो बदलेंगे सब के नसीब देश को बदलने तो दो। मसीहा न समझो उसे तो कोई बात नही पर कुछ काम करने तो दो। लुटसे भरे पडे है खजाने जीनके खाली उन्हें उसे करने तो दो। बहोत कुछ बदला है दो सालो मे पांच साल पुरे उसे करने तो दो। लुटकर सोने की चिडयाँ फिरंगी फितने नफरत फैला

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जारिया ए सवाब

29 नवम्बर 2016
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नाझ नखरे तेरे सब उठायेंगे बचपन मे जासके तो जा। बेफिक्र था तु जैसे उस जमाने मे फिर न होसकेंगा ।.हर खता माफ थी, उस गोदी मे मॉ के जासके तो जा।. सब मुम्कीन है गुजरा पल लौटकर नही आसकेंगा। जारिया ए सवाब कोई बनाकर तु जासके तो जा। *आशफाक खोपेकर*

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जारिया ए सवाब

30 नवम्बर 2016
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बेफिक्र था तु जैसे उस जमाने मे दोबारा कभी न होसकेंगा ।नाझ नखरे तेरे उठायेंगे सब, बचपन मे जासके तो जा। मुम्कीन बोहत कुछ है,गुजरा पल लौटकर नही आसकेंगा। हर खता माफ थी, उस गोदी मे मॉ के जासके तो जा।. शानोशवकत न रहेगी न साथ कीसी के कुछ जायेंगा। जारिया ए सवाब कोई बनाकर तु जासक

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*IPRS MEMBERS *.

30 नवम्बर 2016
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*lPRS Members*. दोस्तो. आप लोगो को ये जानकर हैरानी होंगी के lPRS मे शुरु से ही अफरातफरी चल रही थी। मेम्बरो का हक्क मारा जा रहा था। साथ साथ स्टाफ के कुछ लोग भी जालसाजी कररहे थे। जावेद अखतर साहब 12साल से lPRS के साथ जो लडाई लडरहे है वो एक जालसाज की साजीस थी ,जिसे

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इन्सानियत

1 दिसम्बर 2016
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मोहब्बत हर दिल मे होती है दिलेरी मोहब्बत करने की किसी किसी मे होती है। मोहब्बत पानेकी उम्मीद सबको है मोहब्बत देने की तमन्ना किसी किसी मे होती है।. अजब कारीगरी है दुनिया बनाने वाले की.... इन्सान बोहत बनाता है वो पर इन्सानियत किसी किसी को नसीब होती है। *आशफाक खोपेकर*

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IPRS MEMBERS

5 दिसम्बर 2016
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*lPRS Members* दोस्तो, lPRS से समझोते वालीे बाते तो आप ने सुनी ही हेंगी,लेकिन lPRS के साथ किसने और कौन सी शर्तो पर समझोता हुआ है यह हम मे से किसे भी पता नही है और न ये लोग बताएंगे जो हमे समझोते पर दस्तखत करने बोले जारहे है।जीन मे कुछ राईटर आसेसियेशन के पुरा

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नफरत

5 दिसम्बर 2016
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नफरत से दिल को पत्थर बनाकर तडपकर ही जीना पडता ।. सिने मे इस लाइलाज मर्ज को पालकर जीना बडा मेहेंगा पडता ।. मोम होता मोहब्बत को दिल मे बसाकर इन्सां मुश्किल मे नही पडता ।. सुकुन ही सुकुन मीलता है जिन्दगी मे शैतानी चक्कर मे वो नही पडता । *आशफाक खोपेकर* बचपन करे नादानी जवानी होती मस्तानी ऐसा कुछ कर

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फक्र

5 दिसम्बर 2016
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फक्र इन्सानियत खोकर ही हासील करना पडता है।. बडा मेंहगा सौदा है इन्सान कों जानवर बनना पडता है।. शुक्र इन्सान होने का करो जानवरों को देखो कैसा जीना पडता है। फक्र मजहबपर करनेवालो को इन्सानियत छोडना पडता है। पैदा चाहे किसी मजहब मे हो उसी मे दाखीला दोबारा करना पडता है। *आशफाक खोपेकर* मुश्किल से मुश

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IPRS

8 दिसम्बर 2016
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कलयूग का दस्तुर

9 दिसम्बर 2016
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यादें पुरनी जब भी याद आये दिल को सुकुन पोहचाये ऐसा हर दिन गुजरजाए।. आज का दिन खराब करदे उस हरकत की यादें आनेवाले वक्त को दुखी करजाए । फुंक कर रखना हर कदम दोस्तो अपना कुकर्म ही कभी सामने अपने न आजाए।. कलयूग का दस्तुर निराला है भरे रहेंगे खज़ाने और मालीक कंगाल होजाए।. *

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खाली हात

11 दिसम्बर 2016
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हिसाब न देनापडेगा मालिक के दरबार मे परवान चडजाये जिन्दगी गर सच्चाई की राहपर। तमाशा है दुनिया दो दिनो का खत्म करके काम चलाजाता है हर कोई अपनी अपनी जगाहपर।. भुकसे इन्सान जीतना जल्दी नही मरता खा खाकर जल्दी चलाजाता है अपने आखिरी ठिकाने पर। लडता है क्यु दोस्त न तेरा कुछ है यह

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खौफेखुदा

17 दिसम्बर 2016
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पहेचान अपने कर्मो से होंगी दरिंदे आलीमो बुजरुगों के घर भी पैदा होसकते ।. ताकद आझमाईश कमजोर पर न हो हौसले बुलंद किसी के भी होसकते ।. कुदरत का नीज़ाम अजब और निराला है दिन बूरे किसी के भी होसकते।. खौफेखुदा बसा हो

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राह ज़िन्दगी की

17 दिसम्बर 2016
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कांटो भरी है राह ज़िन्दगी की या फूलों से सजी है डगर |अपनी अपनी सोच का असर दिखता अपनी ही राह पर|लडख़ड़ाते है कदम हिम्मत न सात हो जिंदगी की राहपर | बचपन जवानी भूढ़ापा आते नहीं है ये पड़ाव सब राहपर|मिलजायेंगी आख़िरी मंजिल न जाने किसे किस पड़ाव पर | आशफाक़ खोपेकर

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दोस्ती

23 दिसम्बर 2016
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बडजाता है प्यार बेशुमार यहॉ पैसा बडजाने पर..... नये नये मिलते है यार भनक पैसो की लगजाने पर..... कोई शक नही आज भी है दोस्त सुधामा जैसे...........

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मुकद्दर

23 दिसम्बर 2016
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सब्रोसुकून आता हो जाए दुआ ऐसी खुदा से कर।. लाइलाज मर्ज की दवा ये तू सजदा खूदा को कर।. हर सितमगर का हीसाब होंगा इन्तेजार थोडा और कर।

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ज़माना।

3 जनवरी 2017
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जख्मो को सहलाने की उम्मीद न कर जख्मो को कुरेदने का आदी है ज़माना।जज्बात बेहतर है सिने में छुपाना कद्र करने वालों का न रहा पता-ठिकाना।रोनाधोना चुपचाप ही हो तो अच्छा दुखों मे शामील होना होगया रस्म पुराना।. एक ही मन्तर चलता है आज जिसका भरा है खज़ाना उसीके पिछे जमाना।.

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तकदीर का बहाना

3 जनवरी 2017
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दिल को बहलाने तकदीर का बहाना अच्छा है।. दुःखो को भुलजाने तकदीर का बहाना अच्छा है।. अच्छे बुरे की पहचान दोस्तो वक्त जरुर कराता है।.

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सफर जिंदगी का

7 जनवरी 2017
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सब को जाना है अचानक ये दुनिया छोड़कर न रहपाऐंगा कोई धन दौलत शानोशौकत को पकड़कर मोहताजी फिर भी करता है इंसान जिंदगी भर ये सोचकर ..कोई तो मिलेंगा खभीनकभी जो दिखाएगा रास्ता मसीहा बनकर........ ...अशफ़ाक खोपेकर

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मतलबी

7 जनवरी 2017
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बोहत मीलेंगे मतलबी मतलब निकालकर चले जानेवाले।. होश न खोना कभी अपनो कोभी लुटते है अब जमानेवाले।. सच्चाई का कोई तोड नहीं लेकिन.....

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*रिश्ता दोस्ती का *.

8 जनवरी 2017
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माना के बदल रही है दुनिया पर तुम न बदलजाना मेरे दोस्त। खजाना भरा होगा दोस्तो से तेरा मेरे पास बचे है चन्द पुराने दोस्त। वो बीते हुए दिन वो पुरानी यादें अब वही अनमोल खजाना है मेरा दोस्त।. बदलते जमाने ने बदलदी काय

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चार शेर

21 जनवरी 2017
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अपनो परायो से भरा कारवा जिंदगी का ऐतबार दोस्तो का किया करो।. हमदर्द भी दगा देते है इस कलयुग मे होश अपने खोकर न जीया करो।. समझ समझ का फेर है एक दुसरे को समझकर जिंदगी जीया करो।.

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मोहब्बत

16 फरवरी 2017
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नफरते मीटाकर इजहारे मोहब्बत हो जाए जिंदगी की शाम ढलने से पहले।. संभलना बेहतर है नफसा नफसी का आलम खत्म न होंगा कयामत से पहले। अपने पराये सब छुटकर अंधेरा न हो जाए सुरज ढलने से पहले। मौत का ऐतबार नही आगोश मे लेले अगला कदम बढने से पहले।. *आशफाक खोपेकर*

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जिंदगी की गाड़ी

16 फरवरी 2017
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सोच समझकर चलती है जिंदगी की गाड़ी फिर भी हादसे हो ही जाते हैं।. किस्मत का खेल इसे ही कहते है दुरीयां फासले हर रिश्ते में हो ही जाते है।. इतना तेज न दौड़ना दोस्त जीस दौड़ मे अच्छे रिश्ते भी छुट जाते है।. याद कर सिकंदर को अच्छे अच्छे रुस्तम भी यहां चार कांदो पर चले जाते है।. *आशफाक खोपेकर*

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जन्नत

12 दिसम्बर 2017
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नहीं सिखाता बैर रखना मजहब कोई हैवानियत तु छोडकर देख।. संवर जाएंगी तकदीर रब के सामने खुद को तु झुकाकर देख।. अपना पराया छोडकर सबको एक नजर से तु देखकर देख। जन्नत बनजाएंगी दुनिया इन्सानियत को तु जगाकर देख।. *आशफाक खोपेकर*

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दौलत ,फरेब ,नज़रया .

12 दिसम्बर 2017
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ऐसी दौलत कमाई जाए लुटानेपर भी जो बढ़ती जाए। रुपये पैसे वाली दौलत रह जाती यही साथ लेजायी न जाए। मोहब्बत की तासीर गज़ब है दुश्मन भी काबु मेआ जाए। नफरत जाहनुम बनादेंगी दुनिया हर दिल से ये मीटाई जाए। *आशफाक खोपेकर* फरेब सुकुन छीनलेता है फरेबी का ही चाहे लाख चलाखी से कीया जाय। ऑखे बंद होसकती है इन्सान की

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मां मेरी

14 दिसम्बर 2017
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मां पर निछावर तु ने दुनिया को वार दी।. जन्नत उठाकर उसके कदमों में दाल दी।. फिकी लगे सब ये दुनिया की नियामत मां के बगैर।. अपना न कोई जहां मे लगते है सारे गैर मां के बगैर ।. साये मे उसके सुकुने दिल था क्यु तु ने मेरी जन्नत उठा दी।क्या थी खता जो ऐसी सजा दी क्यु तु ने मेरी दुनिया लुटा दी।. मां पर निछावर

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लुत्फ

14 दिसम्बर 2017
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लुत्फ दुगना करले जिंदगी का मोहब्बत तुझसे करनेवाले से प्यार करके।. जी का जंजाल बन जायेगा किसी और को चाहने वाले को प्यार करके।. कमज़ोरी न बन जाए कोई अपनी जीले जिंदगी दिल पे काबु करके। खुबसूरती दगा दे सकती है प्यार मीलता प्यार करने वाले से

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सोने की चिडिया

25 मई 2018
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एक न थे हम तब सोने की चिडिया था देश हमारा।परायो ने लूटा सालों तक नोचनोच कर खजाना हमारा।एक हुआ जब देश मजबुर हो भागा जालिम दुश्मन हमारा।घरानेशाही शुरू हई आजाद होकर भी आजाद न हुआ देश हमारा!खत्म होरहा है दौर अ

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मदत

28 मई 2018
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तोहफो से बडो को रिजाने से बेहतर जरुरतमंद की मदत होजाए।न जाने किस किस की रोझीआयी है तेरे पास इन्साफ बराबर होजाए ।तन्दुरती,दौलत,शौहरत अपनो की दुआओं का असर है।तक्कबुर मे बेखौफ होकर इसे अपनी जागीर न समझी जाए।*आशफाक खोपेकर*

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साथी

29 मई 2018
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मालिक के भरोसे चल राहे जिन्दगी मे सुख दुख के साथी मीलते रहेगे।मतलबी मतलब निकालकर चले जायेंगे,सच्चे आखिरी खांदेतक साथ रहेंगे। जैसा बोवोंगे दुगना वैसे ही पावोंगे ये दस्तुर है कुदरत का---- तौफिक कुछ ऐसा करने की दे मालिक,फना होकर भी सब के दिलमे रहेंगे। *आशफाक खोपेकर*

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रिज्जक

30 मई 2018
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सोच बदलने से सबकुछ नही बदलेगा कर्मो को बदलना होगा। तरक्की नामुम्कीन नही दोस्तो बुरे इरादो को बदलना होगा। कुदरत जमीन आसमान समन्दर मे हर किसीको रिज्जक पोहचाती है। रिज्जक तेरी भी कही न कही आयी होगी उठकर उसे तलाशना होगा। *आशफाक खोपेकर*

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मशरुफ

31 मई 2018
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हर कोई हर वक्त अब मशरुफ है मोबाईल के साथ। दमडी की कमाई नही मीनटभर की फुरसत नही--- यही होरहा है आज अकसर कई लोगो के साथ। माना के अनगिनत फायदे होते है मोबाईल मे नेट आने के साथ। दुनिया को करीब लेकर अपनो से दुर हो बैठे मोबाईल के साथ। फिक्र नेटवर्क डाटा चार्जीग की रहती रहो

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अख़लाक़

1 जून 2018
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सुन्हरी यादो को सजोए रखना मुश्किल हालात मे सहारा बनजायेगी। दुखोमे अपनी उन हरकतो को यादकरना जिसने औरो का दिल दुखायी होगी। न डर खुश्यो का मज़ा दुगना होगा गर गम़के साये से जिन्दगी गूजरी होगी। खौफेखुदा दिलमे बसाकर देख हर दिन ईद और हर रात चांदरात होजायेगी। *आशफाक खोपेकर

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राहे जिन्दगी

2 जून 2018
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राहे जिन्दगी के सफर मे हर पल संभलकर चलना होगा। बेकसुर राहगिर भी कभीकभी हादसो का शिकार होते है। वक्त का लिखा कोई नही जानता वक्तके खेलसे सब अंजान होते है।

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इन्सान

4 जून 2018
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जेब नही होती कफन मे फिर भी मशगुल है दौलत समेटने मे इन्सां। उमदा हिस्सा इस छोटीसी जिन्दगी का बरबाद करके पच्छताता है इन्सां। देखे है दुनिया वालोने कई तवंगर और बादशाह को खाली हात जाते हुए। भुलकर खुदाको जर,ज़मी, ज़ेवर, शौहरत के पीछे आज भी दौडता है इन्सां

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इबादत

7 जून 2018
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कर्म से होती पहेचान सबकी कर्म ही है मील्कियत आखिरत की। दिखावा कुछभी करो फल वही देता खुदा जैसी है नियत आप की। सखावती का दिखावा बेवकुफी है उससे नही बनती पहेचान किसी की।

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शुद्ध आत्मा

8 जून 2018
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संगत से नही विचारो से साधु संत पीर फकीर महात्मा के शुध्द होती आत्मा। पापी कई लगेपडे है डेरो मे सिर्फ खिदमत संगत से शुध्द करने अपनी आत्मा।

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दोस्ती

10 जून 2018
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रिश्ता नही है कोई दोस्ती से बडकर एहतराम उसका करना आना चाहीये। कोई उम्मीद दोस्त से करने से पहले तुम्हे भी दोस्ती निभाना आना चाहीये। ऐसे तो बोहत मीलते है दोस्त मतलब निकालकर मुह फेरनेवाले।

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गाफिल

10 जून 2018
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धनदौलत रिश्तेनातो की लालच मे आज इंसा बेखबर खुदा से होगया। दौरे तरक्की मे मश्गूल आज इंसा गाफिल खुद ही से होगया। चकाचौंद मे दुनिया की आज इंसा अपने रब से दुर होगया। जाना है जिसीके पास पलभर उसे यादकर के देखो कही वो हमसे खफा तो न होगया? *आशफ़ाक़ खोपेकर*

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जीने का तरीक़ा

11 जून 2018
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इस से बढकर दिलेरी नही खताओं को औरों की माफ करना। सुकुन का सबसे बडापल है मलाल को दिल से साफ करना। अगले पल का न भरोसा किसी का बेहतर है दिल का बोज कम करना।

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ताअसुबी मगरुरी

12 जून 2018
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ताअसुबी मगरुरी किसी को दोस्त बनने नही देती है दुर इससे रहना बेहतर। हराम काम कई ये करादेती खत्म कर इंसानियत बनादेती है जानवर से बदतर। नासुर की तरहा बढजाती है ये करदेती है दुर सारे अपनो से अकसर।

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