बेफिक्र था तु जैसे उस जमाने मे दोबारा कभी न होसकेंगा ।
नाझ नखरे तेरे उठायेंगे सब, बचपन मे जासके तो जा।
मुम्कीन बोहत कुछ है,गुजरा पल लौटकर नही आसकेंगा।
हर खता माफ थी, उस गोदी मे मॉ के जासके तो जा।.
शानोशवकत न रहेगी न साथ कीसी के कुछ जायेंगा।
जारिया ए सवाब कोई बनाकर तु जासके तो जा।
*आशफाक खोपेकर*