नाझ नखरे तेरे सब उठायेंगे बचपन मे जासके तो जा।
बेफिक्र था तु जैसे उस जमाने मे फिर न होसकेंगा ।.
हर खता माफ थी, उस गोदी मे मॉ के जासके तो जा।.
सब मुम्कीन है गुजरा पल लौटकर नही आसकेंगा।
जारिया ए सवाब कोई बनाकर तु जासके तो जा।
*आशफाक खोपेकर*
29 नवम्बर 2016
नाझ नखरे तेरे सब उठायेंगे बचपन मे जासके तो जा।
बेफिक्र था तु जैसे उस जमाने मे फिर न होसकेंगा ।.
हर खता माफ थी, उस गोदी मे मॉ के जासके तो जा।.
सब मुम्कीन है गुजरा पल लौटकर नही आसकेंगा।
जारिया ए सवाब कोई बनाकर तु जासके तो जा।
*आशफाक खोपेकर*