ऐसी दौलत कमाई जाए लुटानेपर भी जो बढ़ती जाए।
रुपये पैसे वाली दौलत रह जाती यही साथ लेजायी न जाए।
मोहब्बत की तासीर गज़ब है दुश्मन भी काबु मेआ जाए।
नफरत जाहनुम बनादेंगी दुनिया हर दिल से ये मीटाई जाए।
*आशफाक खोपेकर*
फरेब सुकुन छीनलेता है फरेबी का ही चाहे लाख चलाखी से कीया जाय।
ऑखे बंद होसकती है इन्सान की कुदरत को कभी न भुलाया जाय।
खामीयाॅ खुद मे होती है दोस्तो जमाने को न बदनाम किया जाय।
समझ समझ का फेर है सुकुन समझदारी से गलतफैमीयाॅ दुर की जाय।
*आशफाक खोपेकर*
सोच नजरया अलग अलग ही सही आपसी प्यार इखलास कम न हो।
जमाने का दस्तुर अलग ही सही राहे मोहब्बत मे नफरतो की दिवार न हो।
रिश्ते खुद-ब-खुद निभ जायेगे तकब्बुर को सिने मे जगाह न हो।
जीने का मजा तब मीलता है प्यार ही प्यार जब सिने मे भरा हो।
*आशफाक खोपेकर*