न खबर थी हमे आने की न पता है हमे जाने का।.
कुछ दिनो का ठिकाना है दुनिया हम बेगानो का।.
मशरुफ है सब वक्त नही है समझने समझाने का।.
लुत्फ देगा सफर जीन्दगी का गर है इरादा काम नेक करजाने का।.
(आशफाक खोपेकर)
3 अगस्त 2016
न खबर थी हमे आने की न पता है हमे जाने का।.
कुछ दिनो का ठिकाना है दुनिया हम बेगानो का।.
मशरुफ है सब वक्त नही है समझने समझाने का।.
लुत्फ देगा सफर जीन्दगी का गर है इरादा काम नेक करजाने का।.
(आशफाक खोपेकर)