जतन न हो तकब्बुर,लालच का हर बुराई की जड है ।
मोहब्बत और इल्म का खजाना बांटने से बडजता है ।.
अक्लमंद है वो सुकुन से जीता और जीने देता है जो।.
जीन्दगी उस की भी गुजरजाती है जानवर की तरहा जीता है जो।
(आशफाक खोपेकर)
26 जून 2016
जतन न हो तकब्बुर,लालच का हर बुराई की जड है ।
मोहब्बत और इल्म का खजाना बांटने से बडजता है ।.
अक्लमंद है वो सुकुन से जीता और जीने देता है जो।.
जीन्दगी उस की भी गुजरजाती है जानवर की तरहा जीता है जो।
(आशफाक खोपेकर)