नफरत के बीज पिरोकर शौहरत दौलत हासील करते है आज ।.
खिलवाड मजहबो से करने वालो को ही पहनाया जाता है ताज।.
खौफेखुदा को भुलकर मौज मस्ती मे मश्गुल है आज सारे दगाबाज।.
जियो जीने दो सबक सब को मीलता है कुदरत के लाठी मे होती नही आवाज ।.
(आशफाक खोपेकर)
7 अगस्त 2016
नफरत के बीज पिरोकर शौहरत दौलत हासील करते है आज ।.
खिलवाड मजहबो से करने वालो को ही पहनाया जाता है ताज।.
खौफेखुदा को भुलकर मौज मस्ती मे मश्गुल है आज सारे दगाबाज।.
जियो जीने दो सबक सब को मीलता है कुदरत के लाठी मे होती नही आवाज ।.
(आशफाक खोपेकर)