फक्र इन्सानियत खोकर ही हासील करना पडता है।.
बडा मेंहगा सौदा है इन्सान कों जानवर बनना पडता है।.
शुक्र इन्सान होने का करो जानवरों को देखो कैसा जीना पडता है।
फक्र मजहबपर करनेवालो को इन्सानियत छोडना पडता है।
पैदा चाहे किसी मजहब मे हो उसी मे दाखीला दोबारा करना पडता है।
*आशफाक खोपेकर*
मुश्किल से मुश्किल इम्तीहान मेहन्तकश को डरा नही सकते।.
चाहे लाख तुफां आये मेहन्तकश कभी गश खा नही सकते।.
मुसीबत मे संभलजाना आसां नही रुस्तम भी परेशां हो सकते।.
मेहन्त लगन इमान्दारी पर भरेासा करने वाले सात समन्दर पार कर सकते।.
*आशफाक खोपेकर*
कर्मो को याद करके पीर पैगम्बर मसीहावों के दरबार मे लगता है आजभी मेला।
जीयो और जीनेदो सुकुन से सबको देगये नसीहत दुनिया है दो दिनो का मेला।
भीड मे गुजरी जिन्दगी का आखिरी सफर करना पडता है तन्हा और अकेला।.
हक्क हलाल जिन्दगी ही दुर रखती है हमसे दुनिया आखिरत का हरएक झमेला।.
*आशफाक खोपेकर*