सब्र करो देशवासीयो बदलेंगे सब के नसीब देश को बदलने तो दो।
मसीहा न समझो उसे तो कोई बात नही पर कुछ काम करने तो दो।
लुटसे भरे पडे है खजाने जीनके खाली उन्हें उसे करने तो दो।
बहोत कुछ बदला है दो सालो मे पांच साल पुरे उसे करने तो दो।
लुटकर सोने की चिडयाँ फिरंगी फितने नफरत फैलाकर चलागया।
साठ सलो मे किसीने न कहा नफरत की आग को थंठी तो होने दो।
आतंगवाद रिश्वतखोरी गरीबी की फैली है देश में बड़ी बीमारी।
काबील हाकिम मीला है हमे सुकुन से उसे इलाज तो करने दो।
देश के बेगुनाहो, किसानों और जवानो को इस बिमारी से मरने न दो।
सब्र करो देशवासीयों बदलेंगे सब के नसीब देश को बदलने तो दो।
मसीहा न समझो उसे तो कोई बात नही पर कुछकाम करने तो दो।
*आशफाक खोपेकर*