सोच समझकर चलती है जिंदगी की गाड़ी फिर भी हादसे हो ही जाते हैं।.
किस्मत का खेल इसे ही कहते है दुरीयां फासले हर रिश्ते में हो ही जाते है।.
इतना तेज न दौड़ना दोस्त जीस दौड़ मे अच्छे रिश्ते भी छुट जाते है।.
याद कर सिकंदर को अच्छे अच्छे रुस्तम भी यहां चार कांदो पर चले जाते है।.
*आशफाक खोपेकर*