एक न थे हम तब सोने की चिडिया था देश हमारा।
परायो ने लूटा सालों तक नोचनोच कर खजाना हमारा।
एक हुआ जब देश मजबुर हो भागा जालिम दुश्मन हमारा।
घरानेशाही शुरू हई आजाद होकर भी आजाद न हुआ देश हमारा!
खत्म होरहा है दौर अब घरानेशाही का लगता है अब आज़ाद देश हमारा!
सोने की चिड़िया बनजाएगा घरनेशाही से मुक्त होगा जब सारा देश हमारा !
*आशफाक खोपेकर*